
बहु बिना बुलाए मायके भी नहीं जाना चाहिए
” मम्मी जी इस बार मैं अपने मायके जा रही हूं इसलिए आप छोटी से कह देना कि वो मेरे आने के बाद मायके चले जाए।
वैसे भी मुझे अपने मायके गए हुए दो साल हो गए हैं”
बड़ी बहू गरिमा ने निर्मला जी से कहा।
” अरे बहू तू मायके जाकर क्या करेगी, अब तो तेरी मां भी नहीं रही। जब तक माता-पिता होते हैं तब तक ही मायका
होता है। भाई भाभी का क्या है? बुलाए तो बुलाए, नहीं तो नहीं बुलाए। और वैसे भी तेरे मायके में कोई प्रोग्राम तो है
नहीं। अभी छोटी को ही जाने दे”
निर्मला जी ने कहा।
” नहीं मम्मी जी, हर बार में यही सोच कर रह जाती हूं। लेकिन इस बार नहीं। इस बार तो मैं मायके जरूर जाऊंगी।
जब छोटी मायके जाती है तो मेरा भी मन करता है मायके जाने का ”
गरिमा ने कहा।
” देख बहू, मैं तुझे मायके जाने के लिए मना नहीं करती, लेकिन जब तक माता-पिता होते हैं तब तक एक बेटी पर
बेधड़क अपने मायके आ जा सकती है। लेकिन जब गृहस्थी भाई भाभी के जिम्मे आ जाए तो बिना न्यौते के मायके नहीं
जाना चाहिए। इससे अपनी ही इज्जत घटती है”
निर्मला जी ने समझना चाहा।
” मम्मी जी भाई भाभी तो मेरे ही है ना। भाई तो मेरे साथ ही पल कर बड़ा हुआ है। बचपन से हम में कितना प्रेम था। फिर इतना सब क्या सोचना। और फिर छोटी भी तो जाती है अपने मायके। उसे तो आप कभी नहीं रोकती”
गरिमा जैसे कुछ समझना ही नहीं चाह रही थी।
” देख बहू, तेरा मायका है तेरी मर्जी है मैं कुछ नहीं कहूंगी और ना ही तुझे जाने से रोकूंगी। आखिर तुम भी पढ़ी-लिखी समझदार हो। छोटी के मायके की स्थितियों में और तुम्हारे
मायके की स्थिति में बहुत फर्क है। बाकी तुम्हारी मर्जी। जब तुम जाना चाहो, चली जाओ”
कहकर निर्मला जी अपने कमरे में आकर बैठ गई।
आखिर सास के हां करते ही गरिमा खुश हो गई। दो साल हो चुके थे उसे अपने मायके गए हो। आखरी बार मम्मी के
परलोक गमन पर गयी थी। उसके बाद तो मायके जा ही नहीं पाई।
देवरानी को मायके जाते देखती तो उसका मन भी करता जाने का। पर सासु मां थी कि जाने ही नहीं देती। कभी किस बहाने से रोक लेती तो कभी किस बहाने से।
लेकिन इस बार तो गरिमा ठान कर बैठी थी कि चाहे कुछ भी हो जाए उसे मायके जाना है।
खैर, गरिमा ने अपने कमरे में आकर फटाफट अपना सामान पैक कर लिया। और अपनी बेटी के स्कूल से आने का इंतजार करने लगी। आखिर उसे भी तो अपने साथ लेकर जाती। खैर जब उसकी तेरह वर्ष से बेटी स्कूल से आई तो उसने खुशी-खुशी उसे बताया कि वो मामा मामी के घर जा रहे
हैं। पर यह सुनकर बेटी ने जाने से इनकार कर दिया।
” मम्मी मैं नहीं जाऊंगी। वैसे भी मैं वहां अकेली बोर हो जाती हूं। मामा जी की दोनों बेटियां तो अपनी क्लासेस में
बिजी रहती है। मेरे साथ कोई खेलने वाला भी नहीं होता”
खैर कहा तो उसने सही था। इसलिए गरिमा ने ज्यादा उसे जाने के लिए नहीं कहा।
खैर, गरिमा ने कैब बुक की और थोड़ी देर में अपना सामान लेकर वहां से रवाना हो गई। दो घंटे के सफर के बाद वो
अपने मायके पहुंची। उसे लगा था कि उसके भैया भाभी उसे देखकर खुश हो जाएंगे। लेकिन सोचा हुआ अक्सर सच
नहीं होता।
उसे देखते ही भैया ने कहा,
” अरे गरिमा, आज अचानक कैसे आना हो गया। फोन भी नहीं किया तूने”
भैया का सवाल सुनते ही गरिमा के चेहरे की खुशी गायब हो गई।
” हां भैया वो आप लोगों से मिलने का बड़ा मन था। इसलिए बिना फोन किये ही आ गई”
गरिमा ने कहा।
” अच्छा अच्छा। अब आ गई हो तो बैठो आप। मैं चाय नाश्ता लेकर आई। वैसे हमारा बाहर जाने का प्लान था”
अचानक भाभी ने कहा। फिर उसके साथ उसका सामान देखकर भाभी बोली,
” अरे! आप क्या रहने के लिए आई हो”
भाभी के सवाल को सुनकर गरिमा सकपका गई। उसे लगा कि उसने बिना फोन किये अचानक आकर सबसे बड़ी
गलती कर दी। लेकिन तभी भाभी बोली,
” वो क्या है ना कि मैं कुछ दिनों के लिए अपने मायके जा रही हूं। काफी #दिनों से प्लान बना रखा था। पर अब आप
अचानक आ गई तो मुझे अब सोचना ही पड़ेगा”
” पर मम्मी हम तो कहीं नहीं जा रहे थे। अचानक कब प्लान बन गया। मैंने तो स्कूल में #छुट्टी के लिए भी नहीं बोला”
अचानक गरिमा की भतीजी ने कहा।
उसकी बात सुनकर भाभी एक पल के लिए झेंप गई। फिर उसे डांटते हुए बोली,
” अब क्या तुझे हर प्लानिंग बतानी पड़ेगी। अपने काम से मतलब रख। बड़ों की बातों में बीच में मत बोला कर”
” अरे इसे डांटना छोड़ो और गरिमा के लिए चाय पानी लेकर आओ ”
भैया ने बात को पलटते हुए कहा।
लेकिन गरिमा को सब समझ में आ रहा था। सचमुच उसने यहां आकर गलती की। काश सास की बात मान ली होती है। आखिर वो भी तो अपने तजर्बे से कह रही थी।
खैर, उसने बात को पलटते हुए कहा,
” नहीं भाभी मैं रुकने के लिए नहीं आई हूं। इस बैग में तो जरूरी सामान है जो मैं इधर लेने के लिए आई थी। तो सोचा
आप लोगों से मिलती चलूं”
उसकी बात सुनते ही भाभी के चेहरे पर अपने आप #मुस्कुराहट आ गई। जैसे बहुत बड़ी जीत हासिल हो गई हो।
खैर मुश्किल से आधा घंटा वहां रुक कर गरिमा वापस अपने ससुराल रवाना हो गई। लेकिन एक बार भी भाई भाभी
ने ये नहीं कहा कि दोबारा आना।
जब #ससुराल पहुंची तो निर्मला जी बाहर #हाॅल में ही बैठी हुई थी। उसे देखकर निर्मला जी को सब समझ में आ गया। पर गरिमा की आंखों में आंसू आ गए। यह देखकर निर्मला जी ने कहा,
” #बहु मैंने तुझे पहले ही कहा था कि जब तक मायके से न्योता ना आए मायके नहीं जाना चाहिए। बिना न्यौते के
जाने से अपना ही मान घटता है”
” मम्मी जी मुझे नहीं पता था कि #मम्मी #पापा के जाते ही मायका पराया हो जाएगा। मुझे आपकी बात मान लेनी
चाहिए थी। कम से कम यूं बेइज्जती तो नहीं होती। यहां पर भी सब #हसेंगे मुझ पर”
गरिमा ने रोते हुए कहा।
” कोई नहीं हंसेगा तुझ पर। मैंने किसी से नहीं कहा है कि तुम मायके गई हो। सबको यही पता है कि तुम अपनी सहेली से मिलने गई हो। और उसके बाद तुम अपने मायके सबसे मिलते हुए इधर आ जाओगी। अगर तुम रुक जाती तो कह देती कि #मायके वालों ने रोक लिया। इससे पहले छोटी घर
आ जाए अपना सामान ले जाकर के कमरे में रख दे”
#निर्मला जी ने कहा तो गरिमा को थोड़ी तसल्ली आई। यह देखकर निर्मला जी ने कहा,
” देख बहू, जब तक तेरे माता-पिता थे तब मैंने तुझे कभी मायके जाने से नहीं रोका। लेकिन मैं अपने अनुभव से कह रही हूं कि जब तक #भाई #भाभी खुद ना बुलाए तो मायके मत जाना। अरे बिना बुलाए तो कहीं नहीं जाना चाहिए। चाहे वो मायका हो या ससुराल हो”
” जी मम्मी जी आगे से मैं इस बात का बिल्कुल ध्यान रखूंगी”
कहकर #गरीमा अपना सामान अपने कमरे में रखने चली गई। लेकिन मन ही मन अपनी सास को धन्यवाद जरूर दिया कि उन्होंने अपनी समझदारी से कम से कम ससुराल में उसका मजाक बनने से तो रोक दिया।