
इस बच्चे के एक हाथ में यूरिन बैग है, दूसरे में बिस्किट का पैकेट। ये अपनी ‘डायलेसिस’ का इंतज़ार कर रहा है!!
इसी जगह 7 साल के एक दूसरे बच्चे को “जुवेनाइल डायबिटीज़” है, जो दिन में 3 दफ़े इंसुलिन लेता है!!
यहीं एक 6 साल की बच्ची को तैयार करते हुए उसकी माँ ने कहा,
“जब पैदा हुई थी, 650 ग्राम की थी, छोटी-सी… डॉक्टर ने कहा था — बचेगी नहीं।
पहले दो दिन वो जितनी दफ़े सांस लेती, मैं उसकी छाती पर उतनी दफ़े हाथ रखती…
आज सुबह से जब से उसे तैयार कर रही हूँ, वो दिन याद कर रही हूँ, इसलिए भावुक हो रही हूँ।”
तीनों इसी दुनिया की बातें हैं… असल बातें…!!!
दुनिया में कितने ऐसे लोग हैं, जो खामोशी से अपने हिस्से की लड़ाई लड़ रहे हैं —
उन चीज़ों के लिए जिनकी नेमत हमको, आपको हासिल है,
फिर भी वे तल्ख नहीं हैं, नाराज़ नहीं हैं…
और हम ज़िंदगी में कितना समय बेफ़ज़ूल के गरूर और तल्ख़ी में जाया कर देते हैं…!!
मकसद बस इतना कि यह पोस्ट पढ़ी जानी चाहिए, समझी जानी चाहिए!!
कभी अस्पताल भी आकर देखा करें — असली लड़ाई लड़ते मरीज़॥