
शिव आराधना में सावन मास के सोमवार का विशेष महत्व
महराजगंज,
सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय होता है।
इस महीने में हर भक्त मानो शिव के रंग में रंग जाता है।
हर जगह बम भोले की गूंज सुनाई देती है।
कहा जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को बहुत आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
भगवान की कृपा और मनवांछित फल प्राप्ति के लिए लोग सावनभर भगवान की सेवा और भक्ति करते हैं।
सावन के महीने के सोमवार का भी विशेष महत्व होता है।
ज्यादातर शिवभक्त सावन सोमवार का व्रत रखकर उस दिन शिव जी की विशेष आराधना करते हैं।
माना जाता है कि इससे भक्त की कामना जरूर पूरी होती है।
इसलिए खास है सावन का सोमवार
कहा जाता है कि भगवान शिव की पहली पत्नी देवी सती ने जब अपने पिता के घर पर अपने पति शिव का अपमान होते देखा तो वे बर्दाश्त नहीं कर पाईं और राजा दक्ष के यज्ञकुंड में उन्होंंने अपना शरीर त्याग दिया।
इसके बाद उन्होंने हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया।
पार्वती के रूप में भी उन्होंने भगवान शिव को भी अपना वर चुना और उन्हें प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया।
कहा जाता है सावन के महीने में ही शिव जी उनके तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
इसके बाद पार्वती जी का शिव जी के साथ विवाह हुआ।
तब से ये पूरा माह शिव जी और माता पार्वती दोनों का प्रिय माह बन गया।
चूंकि सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती को समर्पित होता है,
ऐसे में उनके प्रिय माह सावन में पड़ने वाले सोमवार का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाता है।
जो शिव भक्त सामान्यत: सोमवार का व्रत नहीं भी रखते,
वो भी सावन के सोमवार का व्रत जरूर रखते हैं।
सावन के सोमवार का महत्व
कहा जाता है कि सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनवांछित कामना पूरी होती है।
सुहागिन महिलाओं को सौभाग्यवती होने का आशीष प्राप्त होता है और पति को लंबी आयु प्राप्त होती है।
वहीं अगर कुंवारी कन्याएं ये व्रत रखें तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
सावन के सोमवार में ऐसे करें पूजन
सावन के सोमवार के दिन सुबह और शाम स्नान के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके आसन पर बैठें।
शिव जी और माता पार्वती को………….
दूध,
दही,
घी,
शक्कर,
शहद व गंगा जल से शिव परिवार को स्नान कराएं।
फिर…………
चंदन,
फूल,
फल,
धूप,
दीप,
रोली,
वस्त्र,
बेलपत्र,
भांग,
धतूरा आदि अर्पित करें. गणपति को दूर्वा अर्पित करें।
शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें।
सावन सोमवार की व्रत कथा पढ़ें और अपनी कामना को शिव जी से पूरी करने की प्रार्थना करें।
इसके बाद आरती करें।
पूजा के बाद प्रसाद वितरण करें।