
दुसाध भारत की सबसे मजबूत निडर साहसी जाति है। राजा सुहेलदेव पासी उत्तर प्रदेश के बहराइच पर राज करने वाले राजाओं मे गिने जाते हैं। लखनऊ शहर भी राजा लाखन पासी के नाम पर है। महाराजा बिजली पासी जी जो बिजनौर के राजा हुए, दुसाध राजा सूर्य के उपासक थे। कोणार्क का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर राजा इन्द्र दमन ने करवाया। औरंगाबाद का प्रसिद्ध सूर्य मंदिर दुसाध राजाओं की देन है।
जहां तक चौहर मल की बात है। ये दो भाई थे चौहरमल और कुंवर मल। दोनो परम वीर। दोनो बिहार की लोककथाओं मे समाहित हैं। किऊल के पूरब जाने पर कुंवर मल लोकगाथाओं में हैं। मुगलों को धूल चटाने मे दोनो ने अप्रत्याशित भूमिका निभाईऔर बख्तियार खिलजी का प्रभाव इधर नही पडा।यह भी कहा जाता है कि दोनो भाई ब्राह्मण कुल से थे ।मरते वक्त इन दोनो भाईयों को तिझिया नामक दुसाध मां ने पाला और वीरता सिखाई। दोनों आजीवन अविवाहित रहे। सत्यता कितनी है यह नही कह सकता।
दुसाध निःसंदेह वीर जातियों मे थी जिससे अंग्रेज भय खाते थे इसलिये अंग्रेजों नेजिन 152 से अधिक जातियों को आरक्षण से अलग रखते हुये1861 के जयराम पेशा एक्ट मे डाला उसमे दुसाध और पासी भी थे ।जिसका विरोध अम्बेडकर ने नही किया ।तब मसूरियादीन पासी ने इसका विरोध किया और नौ साल जेल मे रहे ।आजादी के बाद छूटे और तब इन जातियों को आरक्षण मिला।
यह आगे मसूरियादीन पासी के कारण हुये। अंग्रेजों ने जिन 152 से अधिक जातियों को 1861 के जरायम पेशा एक्ट में डाल दिया था उसमें दुसाध जाति भी थी ।उस समय अंबेडकर ने इन जातियों के लिये कोई प्रयास नही किया और इन सब जातियां आरक्षण से अलग कर दी गयी।
तब मसूरियादीन पासी ने इनके लिये संघर्ष किया ।नौ साल जेल में रहे और आजादी के बाद रिहाई हुई। इन्हें 1961के आस पास जहां तक मुझे स्मरण है आरक्षण मिला ।प्रयाग राज से आजीवन लोकसभा के सांसद रहे । किंतु कांग्रेस ने इन्हें भुला दिया ।अब कोई पासी दुसाध इस तपस्वी को जानता भी नहीं है ।न ही इनके त्याग संघर्ष को जानने की कोशिश करता है ।