
रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को खगरिया ज़िले के शाहबद (अब अलौली) गाँव, बिहार में हुआ था। उनके पिता का नाम जमुन पासवान और माता का नाम इंदिरा देवी था। वे एक गरीब दलित परिवार में जन्मे, लेकिन अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर राजनीति में ऊँचाइयों तक पहुँचे।
उन्होंने कोसी कॉलेज (भागलपुर विश्वविद्यालय) से स्नातक की पढ़ाई की और फिर राजनीति विज्ञान में एम.ए. तथा कानून की डिग्री (एल.एल.बी.) प्राप्त की। बचपन से ही उनमें सामाजिक न्याय और समानता के प्रति गहरी भावना थी,
जो आगे चलकर उनके राजनीतिक जीवन की नींव बनी।
रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1969 में की, जब वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (SSP) से बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। 1974 में उन्होंने जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और आपातकाल (1975-77) के दौरान जेल भी गए। आपातकाल के बाद वे जनता पार्टी में शामिल हुए और 1977 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए, जहाँ उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की।
राजनीति में उनका करियर कई दशकों तक फैला रहा। उन्होंने केंद्र में विभिन्न प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया — वी.पी. सिंह, एच.डी. देवेगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकारों में वे मंत्री रहे। वे रेल मंत्री, संचार मंत्री, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री जैसी अहम जिम्मेदारियाँ संभाल चुके थे।
1990 के दशक में उन्होंने अपनी खुद की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की स्थापना की, जो बिहार की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति बनकर उभरी। वे सामाजिक न्याय, दलितों के अधिकार और गरीबों के उत्थान के लिए निरंतर आवाज़ उठाते रहे।
रामविलास पासवान के परिवार में उनकी पत्नी रीना पासवान और दो बच्चे — चिराग पासवान (जो अब LJP के अध्यक्ष और सांसद हैं) तथा आशा पासवान हैं। चिराग पासवान आज अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 2020 को रामविलास पासवान का निधन हो गया। उनके निधन से भारतीय राजनीति, खासकर बिहार की राजनीति को एक बड़ी क्षति पहुँची। वे आज भी अपने समर्थकों के बीच “दलितों की आवाज़” और “गरीबों के मसीहा” के रूप में याद किए जाते हैं।