कंबोडिया के विश्व के सबसे बड़े हिंदू मंदिर अंकोरवाट
#अंकोरवाट भगवान विष्णु की मंदिर है
जिसे सन 1110 में महाराजा सूर्यदेव बर्मन ने बनवाया था । इस मंदिर पर मुगल दरिंदों की नजर नहीं पड़ी क्योंकि यह मंदिर घने जंगलों में छुपा हुआ था एक बार एक अंग्रेज जो जंगल में ट्रेकिंग कर रहा था तब उसकी नजर इस विशाल मंदिर कंपलेक्स पर पड़ी जो लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है
इस मंदिर को बनाने के लिए विशाल मेकांग नदी के रास्ते को मोड़ा गया था क्योंकि बनाने वाले इंजीनियर ऐसी जमीन चाहते थे जो कई शताब्दियों तक मजबूती से ही रहे हो साथ ही साथ हुआ है यह चाहते थे कि यह मंदिर मेकांग नदी से पास ही हो लेकिन बाढ़ का पानी मंदिर तक ना आने पाए ..साथ ही साथ जिस पर भूकंप का असर ना हो फिर उन्होंने मेकांग नदी के बाढ़ से बचाने के लिए करोड़ों टन मिट्टी और पत्थर भरकर ऊंची ढलाई बनाई गयी
मेकोंग नदी में अक्सर बाढ़ आती है लेकिन आज तक कभी भी अंकोरवाट मंदिर में बाढ़ का पानी प्रवेश नहीं किया और सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि
जिस पत्थर से यह पूरा मंदिर कांप्लेक्स बना है उस तरह का पत्थर उस जगह से 3000 किलोमीटर दूर मिलता मिलता है यानी कि उस जमाने में इन लोगों ने इतने विशाल पत्थर को वहां तक कैसे ले गए होंगे पूरे मंदिर कंपलेक्स को बनाने में एक चम्मच सीमेंट या रेत का इस्तेमाल नहीं हुआ है और ज्यादातर पूरी की पूरी पत्थर पूरी की पूरी शिला का इस्तेमाल किया गया है और कई पत्थर तो इसमें लाखों टन के हैं
आज भी ऐसा क्रेन नहीं है कि जो इतने बड़े पत्थर को उठाए और उसे इंटर लॉकिंग मेकैनिज्म के द्वारा दूसरे पत्थर के अंदर फिट कर दे
सबसे बड़ा आश्चर्य इस मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की विशाल काली प्रतिमा है
जो पूरी एक ही ग्रेनाइट के पहाड़ी को काटकर बनाई गई है और कंबोडिया और उसके अगल-बगल के तमाम देशों में कहीं ग्रेनाइट नहीं है इतिहासकार शोधकर्ता यह बताते हैं कि उस वक्त यह ग्रेनाइट का पहाड़ या तो भारत से गया होगा या इटली से गया होगा
लेकिन उस जमाने में इतने बड़े ग्रेनाइट के पहाड़ को ले जाया गया होगा और तो और इस पूरे ग्रेनाइट के पहाड़ को तराश कर भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा कैसे बनाई गई होगी
जय सनातन धर्म और संस्कृति की🚩