
*माइग्रेन क्या है, व होम्योपैथिक मे इसका इलाज
( दवा ) क्या है*
माइग्रेन सर में होने वाली बीमारीओं में सब से अधिक देखा जाता है। माइग्रेन की वजह से कई बार इतना सरदर्द होता है कि रोगी कुछ भी और करने में असमर्थ रहता है। माइग्रेन सरदर्द के होम्योपैथिक इलाज की बात करने से पहले हम समझ लें कि ये क्या बीमारी है और क्यूँ होती है।
माइग्रेन का अर्थ क्या है ?
माइग्रेन एक प्रकार का सरदर्द है। यह अंग्रेजी के हेमिक्रेनिआ से बना है जिस का अर्थ होता है – एक ओर होने वाला सरदर्द। सामान्यतः लोग यही समझते हैं कि माइग्रेन का दर्द केवल एक ओर ही होता है। यह मान्यता पूरा सच नहीं है। कई बार यह दर्द एक ओर होता है और कई बार सारे सर में दर्द होता है।
माइग्रेन क्या होता है ?
माइग्रेन में सरदर्द टीस मारने वाला या यूँ कहें की धड़कने वाला होता है। कई बार ऐसा महसूस होता है जैसे सर फट रहा हो। सामान्यतः यह दर्द एक ओर ही होता है। बहुत से लोगों को पूरे सर में भी दर्द रहता है। कई बार दर्द एक ओर से दूसरी ओर बदलता रहता है। एक बार दर्द बाईं ओर हुआ तो अगली बार दर्द दाईं ओर हो जाता है।
माइग्रेन के लक्षण
माइग्रेन के लक्षण इस प्रकार हैं –
1. दर्द कई घंटों तक चलता है और कई बार तो यह दर्द कई दिन भी चलता रहता है।
2. माइग्रेन का दर्द बार बार होता रहता है। हर कुछ दिन के बाद वही दर्द फिर से प्रारम्भ हो जाता है। कुछ घंटों तक चलने के बाद यह दर्द ठीक हो जाता है और फिर से कुछ दिनों में हो जाता है। कई बार बहुत समय तक कोई दर्द नहीं होता मानो कभी माइग्रेन नाम की चीज़ होती ही नहीं।
3. यह दर्द टीस मारने वाला होता है या यूँ कहें कि जैसे कुछ धड़क रहा हो।
4. दिल कच्चा होना या उल्टी आना अकसर देखा जाता है।
5. रोगी किसी भी प्रकार से रौशनी या शोर सह नहीं पाता है। लोग ऐसे में किसी अँधेरे कमरे में ही रहना पसंद करते हैं।
6. कुछ लोगों को सोने से आराम मिल जाता है और माइग्रेन ठीक हो जाता है।
7. कुछ लोगों में सरदर्द के आरम्भ होने से पहले औरा प्रारम्भ होता है। उन्हें तेज़ रोशनी दिखती है या आँखों में अंधापन होता है या हाथों पैरों में चींटियाँ चलने के एहसास होता है।
माइग्रेन क्यूँ होता है या माइग्रेन के कारण
चाहे मैडिकल साइंस बहुत तरक्की कर चुकी है, आज तक माइग्रेन का सटीक कारण पता नहीं चल पाया है। लेकिन कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में ज़रूर पता चल पाया है जो इसे बढ़ाती हैं। पाया गया है कि निम्नलिखित बातों से माइग्रेन का सरदर्द बढ़ता है –
मानसिक तनाव से माइग्रेन का सरदर्द बढ़ता है। यह हर रोगी ने महसूस किया है कि तनाव किसी भी कारण से हो, वह सरदर्द को बढ़ाता है।
धूप में जाने से माइग्रेन का सरदर्द आरम्भ हो जाता है और अगर पहले से हो रहा हो तो अधिक हो जाता है।
नींद न आने से भी माइग्रेन बढ़ शुरू हो जाता है।
भूख लगने पर यदि समय पर खाना न खाया जाए तो उससे भी माइग्रेन आरम्भ हो जाता है।
ऊंची आवाज़ या शोर आम तौर पर माइग्रेन का कारण बन जाता है।
स्त्रियों में मासिक धर्म से पहले और उन दिनों में भी माइग्रेन अधिक होता है।
माइग्रेन के लिए घरेलू इलाज
इंटरनेट पर बहुत से घरेलू इलाज बताये जाते हैं। इन में इलायची, अदरक, सेब का सिरका, बर्फ लगाना आदि शामिल हैं। हमारे अनुभव में इन में से कोई भी इलाज माइग्रेन को स्थाई रूप से ठीक करने में समर्थ नहीं है। कुछ लोगों को अल्प काल के लिए इन से थोड़ा आराम मिल सकता है परन्तु हर रोगी को नहीं मिलता। इन में से माइग्रेन को जड़ से या पूरी तरह से ठीक करने में से कोई भी समर्थ नहीं है।
माइग्रेन का स्थाई उपचार सम्भव है
जब माइग्रेन का दर्द हो तब आप एक सरदर्द की गोली ले लें , यह सरदर्द का स्थाई उपचार नहीं है। हर कुछ दिन के बाद फिर से दर्द होगा और आप को फिर से पेनकिलर दवा लेनी पड़ेगी। यह सिलसिला सालों साल चलता रहता है। इसी लिए मैंने कहा है की यह स्थाई उपचार नहीं है। यह तो केवल तत्कालिक राहत मात्र है।
होम्योपैथिक दवाएं माइग्रेन का स्थाई उपचार करने में समर्थ हैं। लोग अक्सर सोचते है कि ये छोटी छोटी गोलियां क्या कर पाएंगी जब इतनी बड़ी बड़ी पेनकिलर्स कुछ नहीं कर पाईं। इसी वजह से वे होम्योपैथिक चिकित्सा के बारे में सोचते भी नहीं। यह बहुत बड़ी भूल है। होम्योपैथी की छोटी छोटी गोलियां माइग्रेन के सरदर्द को जड़ से ठीक करने में पूरी तरह सक्षम हैं। कुछ ही माह का उपचार ऐसे रोगियों के भ्रम को दूर करने के लिए बहुत है। वे भूल जाते हैं कि उन्हें कभी माइग्रेन का सरदर्द होता था।
माइग्रेन का होम्योपैथिक उपचार
मैंने अपने 20 साल से भी अधिक के अनुभव में माइग्रेन के इलाज के लिए 100 से भी अधिक दवाओं का प्रयोग किया है। किस रोगी को कौन सी होम्योपैथिक दवा ठीक कर पाएगी, यह निर्भर करता है उस रोगी में पाए जाने वाले लक्षणों पर। उसे यह माइग्रेन किस कारण से हो रहा है, यह भी देखना आवश्यक है। मानसिक तनाव इस का एक महत्वपूर्ण कारण होता है तथा उसे दूर करना भी आवश्यक होता है। यहां समय और जगह के अभाव में जो 5 दवाएं सबसे अधिक प्रयोग में लाई जाती हैं, उन के बारे में बताया जा रहा है।
माइग्रेन की 5 सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवाएं
बेलाडोना – टीस वाली दर्द के साथ होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
ग्लोनाइन – खून के ठहराव के साथ होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
नेट्रम मयूर – शोक या उदासी से होने वाले माइग्रेन के सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
सेंग्विनारिआ – दाईं ओर होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
स्पाइजिलिआ – बाईं ओर होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
इस का ये अर्थ नहीं है की केवल यही 5 दवाओं से माइग्रेन के हर रोगी को ठीक किया जा सकता है। अकसर इन से भिन्न दवाओं का प्रयोग करना पड़ता है। वह रोगी के लक्षणों पर निर्भर करता है।
बेलाडोना – टीस वाली दर्द के साथ होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
माइग्रेन के लिए प्रयोग होने वाली होम्योपैथिक दवाओं में से बेलाडोना सबसे अधिक प्रयोग होने वाली दवा है। सरदर्द बहुत भयंकर और टीस मारने वाला होता है। माथे में तीस मारने वाला दर्द होता है। दर्द अचानक शुरू हो जाता है।
यह दर्द शोर, रोशनी और किसी भी स्पर्श से बढ़ता है। ठंडी हवा लगने से भी दर्द बढ़ता है। सर को ज़ोर से दबाने से दर्द में आराम मिलता है। चेहरा लाल और गर्म रहता है। रोगी लेटना पसंद नहीं करता है क्यूंकि लेटने से दर्द बढ़ जाता है।
ग्लोनाइन – खून के ठहराव के साथ होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
जब सरदर्द खून के ठहराव से होता हो तो ग्लोनाइन माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। सर की ओर खून का दौरा बढ़ जाता है। चेहरे और सर पर लाली और गर्मी महसूस की जाती है। नब्ज़ के चलने के साथ साथ टीस जैसी तीखी दर्द महसूस होती है। धूप में जाने से दर्द अधिक होता है। रोगी सर के आस पास किसी भी प्रकार की गर्मी सह नहीं पाता है। सर को ढकना भी अच्छा नहीं लगता।
नेट्रम मयूर – शोक या उदासी से होने वाले माइग्रेन के सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
नेट्रम मयूर किसी भी प्रकार के शोक, उदासी या तनाव से होने वाले सरदर्द के लिए सर्वोत्तम दवा है। खून की कमी से होने वाले सरदर्द के लिए भी यह उत्तम दवा है। किशोर उम्र की लड़कियों में यह सरदर्द अकसर देखा जाता है।
सरदर्द के साथ तात्कालिक अंधापन भी हो सकता है। ऐसा महसूस होता है कि आँखों की रोशनी चली गई हो परन्तु यह कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाता है। कई बार दर्द ऐसा होता है मानो सर में सैंकड़ों हथोड़ियाँ मार कर रही हों। सूर्य के साथ सरदर्द बढ़ता और घटता है। दिन में सरदर्द अधिक होता है तथा शाम को दर्द कम हो जाता है। चेहरा पीला सा पड़ जाता है। आँखों पर ज़ोर पड़ने के कारण भी सरदर्द बढ़ता है।
सेंग्विनारिआ – दाईं ओर होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
दाईं ओर होने वाले सरदर्द के लिए सेंग्विनारिआ एक सर्वोत्तम दवा है। दर्द अमूमन सर के पिछले भाग से आरम्भ होता है और आगे आकर दाईं आँख पर ठहर जाता है। ऐसा मालूम होता है मानो सर और माथे की नसें मानो सूज गई हों।
सरदर्द सामयिक होता है और बार बार एक ही समय पर होता रहता है जैसे कई लोगों में हर सप्ताह होता है। लेट जाने से और सोने से आराम मिलता है।
स्पाइजिलिआ – बाईं ओर होने वाले माइग्रेन के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा
स्पाइजिलिआ बाईं ओर होने वाले सरदर्द के लिए सर्वोत्तम होम्योपैथिक दवा है। इस दवा में सरदर्द बाईं आँख पर आकर ठहर जाता है। ऐसा महसूस होता है जैसा किसी ने कस के कोई धागा सर के चारों ओर से बाँध दिया हो। स्पर्श से और चलने से यह दर्द बढ़ता है।