दिसंबर का महीना सर्दियो का मौसम उसपर नववर्ष की छुट्टियों पर बाहर किसी हिल स्टेशन जाने का प्रोग्राम बनाया जा रहा हो तो कौन खुश नहीं होगा कुछ ऐसा ही प्रोग्राम बनाने में मोहन अपने मोबाइल फोन पर व्यस्त था उसकी बेटी आराध्या उसे होटल बुकिंग और कौन सी गाड़ी से चलना सूटेबल रहेगा बता रही थी कि घर पर काम करनेवाली रमा दीदी आ गई मगर वह रोज की तरह आते ही रसोईघर में जाने की बजाय वहीं दरवाजे पर ही खड़ी हो गई
अरे बुआजी….. दरवाजे पर ही क्यों खड़ी हो अंदर आओ ना ….
नहीं आराध्या बिटिया वो भाभी…भाभी कहां है
अरे रमा … आओ ना देखो सारा काम बिखरा हुआ पड़ा है संभालो अब रसोईघर को … दोनों बाप बेटी चाय पकौड़े …. अच्छा वहां तेरे लिए भी रखें है
भाभी वो ….वो मैं एक हफ़्ते के लिए काम पर नहीं आऊँगी….. मुझे हफ्ते भर की छुट्टी चाहिए
क्या … अरे भाई कयुं …. इतनी ठंड है उसपर तुझे छुट्टी चाहिए चार पांच दिनों बाद छुटी ले लेना वैसे भी हम कुछ दिनों के लिए घूमने जा रहे है वो नये साल सेलिब्रिट करने सुधा रमा की बात सुनकर परेशान होते हुए बोली
नहीं भाभी … अभी बहुत जरूरी है छुट्टी
मोहन ने मोबाइल से नजरें हटाकर सुधा की और देखा सुधा गर्म कपड़ों में भी ठंड से बुरी तरह कांप रही थी एक तो कड़ाके की ठंड उसपर रसोईघर में बिखरा हुआ काम मगर वहीं दुबली पतली रमा कामवाली बगैर शाल और स्वेटर के बड़ी शांत खड़ी थी
तुम्हें ठंड नहीं लग रही है रमा बहन …. स्वेटर नहीं तो कम से कम कोई शाल या कोई चादर पहन लिया होता
हमारे घर में आग लग गई है भैया…. ठंड कहा से लगेगी कहते हुए रमा फफक कर रोने लगी ये सुनते ही सुधा ने उसका हाथ पकड़ लिया
आग …. कैसे …. रमा क्या हुआ
भाभी कल रात बहुत ठंड थी जो भी ओढ़ना था वो बच्चों को ओढा दिए था मैंने… मेरा मरद बीमार हैं तो उनके लिए थोड़ा आग जला कर मे भी वहीं आग ताप रही थी पता नहीं कब थोड़ी देर के लिए आँख लग गई और जब आँख खुली तो सब जल रहा था .. …
परिवार को बचा लिए भाभी मगर मेरी गृहस्थी पूरी जल गई कहते हुए रमा के आँसू रुक नहीं रहे थे और वहीं मोहन के हाथ मोबाइल पर चलते हुए अचानक रुक गए थे सुधा ने तुरंत उसे अपनी शाल ओढा दी और वह मोहन की तरफ देखने लगी मोहन उसकी खामोशी समझ गया उसने तुरंत बिस्तर छोडा और रमा से कहा… ठीक है रमा बहन तुम छुट्टी ले लो …
रमा दोनों हाथों को जोड़े चुपचाप वहां से निकल गई
आराध्या बोली …. पापा …. क्या हमारा छुटियां मनाना जरुरी है …. पापा क्या हम बुआजी को घर बनाने में मदद करते हुए खुशियों से नया साल सेलिब्रिट करे ….
हां मेरी बच्ची …. इस बार हम यही घर में रहकर नववर्ष के आगमन की खुशियां मनाएंगे मगर उससे पहले हमें कुछ ऐसी ही खुशियां किसी और के घर उनकी जिंदगी में भी भरनी है कयुं मोहनजी
बिल्कुल सही कहा तुम दोनों ने …. अब ये घूमने मौज-मस्ती करने वाले पैसे सचमुच की खुशियां मनाने के काम आएंगे …. आओ सुधा आओ आराध्या …. हम सभी चले रमा बहन और उनके परिवार में खुशियों बांटने …..
कहते हुए अपना क्रेडिट कार्ड लिए मोहन सुधा और आराध्या के साथ रमा बहन के घर की ओर निकल गया
एक सुंदर रचना….
#दीप…🙏🙏🙏