
श्रीमदभगवत पुराण कथा में अम्बरीष की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रोता
महाराजगंज, परतावल ब्लाक अंतर्गत माधोपुर ग्राम सभा में हो रहा श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ महाराज अम्बरीष की कथा सुन कर भाव विभोर हुय जनता कथा ब्याश आचार्य लोकनाथ तिवारी ने राजा अम्बरीष की कथा श्रोताओ को श्रवण कराया कि
एक बार अम्बरीष राजा ने व्रत रखा था। व्रत के पारण से कुछ ही पहले दुर्वासा ऋषि उनके यहाँ पहुँचे। राजा ने ऋषि को आमंत्रित किया। आमंत्रण स्वीकार करके ऋषि नित्यकर्म के लिए नदी तट पर चले गए और बहुत देर तक नहीं लौटे। जब व्रत पारण का समय बीतने लगा तो विद्वानों के परामर्श पर राजा ने जल ग्रहण कर लिया। लौटने पर जब दुर्वासा ने देखा कि अंबरीष ने उनकी प्रतीक्षा किए बिना ही जल ग्रहण कर लिया है तो वे कुपित हो उठे। उन्होंने अपनी जटा का एक बाल तोड़कर भूमि पर पटका, जो कृत्या बनकर तलवार हाथ में लिए राजा पर झपटी। उसी समय विष्णु का सुदर्शन चक्र प्रकट हुआ और कृत्या को नष्ट करके दुर्वासा के पीछे लग गया। ऋषि अपने प्राणों की रक्षा के लिए ब्रह्मा, शिव और अन्त में विष्णु के पास गए, पर किसी ने भी उन्हें शरण नहीं दी। अन्त में विष्णु के परामर्श पर ऋषि को अंबरीष की शरण में जाना पड़ा और इसी समय संगीत ब्याश पवन दुबे,अंगद मिश्र,प्रभु कुमार ,कृष्णा कुमार ने भजन गा कर सबको भाव मे रुला दीय,,,,,, पकड़ लो हाथ बनवारी नही तो डूब जायँगे ,,,, आचार्य जी कहा कि इस कथा का मुख्य उद्देश्य विष्णु की महत्ता को श्रेष्ठ सिद्ध करना है।