“आज मैं मम्मी – पापा के साथ अपनी शादी की शॉपिंग करने गई । हम सुबह घर से निकले थे पर सामान ख़रीदते- खरीदते शाम हो गई थी।मम्मी ने कहा लहँगा, साड़ियाँ और कपड़े तो ले लिए हैं।अब एक दिन और आएँगे तो बाकी का सामान ले लेंगे।देर बहुत हो गई थी बैग भी बहुत सारे थे तो भैया को ऑफिस से मार्केट बुला लिया था।हम घर आए तो भाभी सबके लिए चाय बना लाईं।
माँ ने भाभी से कहा ..शोभना दस मिनट में खाना लगा दो और बिस्तर भी जल्दी लगा देना थक गए हैं ,जल्दी सोएँगे।
भाभी ने खाना लगा दिया ,जिसे देखकर मैंने पूछा वाह ! भाभी आज भी मेरी पसंद का खाना…क्या बात है ? भाभी बोलीं रीना दीदी आपकी शादी को बीस दिन रह गए हैं ,तो अब मैं रोज़ आपकी पसंद का ही खाना बनाऊँगी।
माँ बोलीं कि चलो शोभना ने एक तो अक्ल की बात सोची । असल में माँ बात- बात पर भाभी को ताने देती थीं, दिन भर उनको घर के कामों में लगाकर रखतीं और उनके हर काम में गलतियाँ भी खूब निकालतीं थीं ।लेकिन भाभी कभी भी शिकायत नही करतीं थीं ,घर का सारा काम अकेले करतीं थींऔर जैसा माँ कहतीं थीं वैसा ही करतीं थीं।पिताजी भी माँ की हाँ में हाँ मिलाते थे और मैं भी माँ का पूरा साथ देती थी ।घर का एक भी काम मैं नही करती थी और भाभी को कितना परेशान करती थी सारे प्रोजेक्ट उनसे बनवाती,रोज़ कुछ नया खाने की फरमाइश करती ।एक बार जय भैया भाभी के लिए साड़ी लाए वो भी जिद्द करके मैंने ले ली।
जल्दी ही मेरी शादी का दिन आ गयाऔर फिर विदा होकर ससुराल आ गई।
दरवाज़े पर मेरी आरती उतारते समय नंद बोली अंदर जाने के पाँच हज़ार रुपए देने पड़ेंगे।मुझे याद आया कि भाभी ने पर्स में दस हज़ार रुपए रखे थे तो मैंने झट से पाँच हजार नंद को दे दिए और सोचा कि आज भाभी ने बचा लिया।
फिर शादी की सारी रस्में हुईं ।मेरी मुँह दिखाई के समय मेरी सास ने सबसे कहा मेरी बहु सुंदर ही नहीं गुणी भी है और मुझे गहनों के साथ पाँच हजार रुपए दिए।
दो दिन बाद मेरी रसोई में मीठा बनाने की रस्म थी,मैं बहुत घबराई हुई थी ।मेरी सास ने मेरी हालत को भाँप लिया और जल्दी से खीर बना दी और मुझसे बोलीं की तुम इसमें ड्राई फ्रूट्स डाल दो बस और सुनलो मैं अभी तुमसे एक महीने तक कोई काम नहीं करवाने वाली।
उन्होंने कहा ..बहू पहले तुम सबकी पसंद जान लो और यहाँ सब कुछ समझ लो फिर काम करना और हाँ ,तुम्हे कभी भी कोई परेशानी हो तो बेझिझक मुझे बताना ।मैं तुम्हारी माँ जैसी ही हूँ और मुझे गले से लगा लिया फिर बोलीं तुम्हे घूँघट करने और हर वक्त साड़ी पहनने की भी ज़रूरत नहीं। ये भी तुम्हारा अपना घर है और तुम बेटी जैसी हो ।अमन कह रहा था तुम नौकरी करना चाहती हो? तुम अगर जॉब करना चाहती हो तो जरूर करना तुम्हें पूरी आज़ादी है।
तभी घंटी बजी।भैया मुझे पगफेरे के लिए लेने आए थे।
चलते समय माँजी ने मेरा माथा चूमा और कहा जल्दी आना।।कार में बैठते ही मैं ये सोचने लगी कि मैंने दो दिन में ही ससुराल में कितना कुछ पा लिया ।शादी के समय कितना डर लग रहा था कि कैसे जिम्मेदारियां सँभालूंगी पर माँजी ने और ससुराल में सबने इतना प्यार दिया कि सारा डर ही ख़त्म हो गया ।सच कितना फर्क है मेरी माँ और सासूमाँ में..।
मैं जब घर पहुँची तो सब मुझसे मिलकर मेरे हालचाल पूछने लगे फिर भाभी चाय बना लाईं और साथ में मेरी पसंद के पकौड़े भी।मुझे पता था कि खाना भी मेरी पसंद का ही बना होगा।
मैं उठी और भाभी के गले से लगकर रोने लगी ।सब पूछ्ने लगे क्या हुआ ? मैंने हाथ जोड़कर भाभी से कहा मुझे माफ कर दो भाभी ,मैंने आपको बहुत परेशान किया है।आपको सिर्फ काम के लिए ही अपना समझा एक भाभी की तरह नहीं।आप जब इस घर में आई होंगी तो आपके भी अरमान होंगे ।आपको भी डर लगा होगा लेकिन माँ, मैंने और पिताजी ने आपको अपना नहीं समझा।
शारदा जी ने कहा रीना ये तू क्या कह रही है? रीना बोली हाँ माँ मैं सच कह रही हूँ।हमने भाभी को बहुत तकलीफ दी है।कभी नही पूछा कि उन्हें क्या पसंद है?वो क्या चाहती हैं? वो अपने घर कब गईं ये भी याद है आपको और भाभी कितनी अच्छी कंपनी में थीं ,आपने कह-कहकर उनकी नौकरी तक छुड़वा दी।माँ अब आपको भाभी के लिए अपना रवैया बदलना होगा।उन्हें बेटी की तरह प्यार करना होगा ।मेरी आँखे तो खुल गईं अब आपको और पिताजी को भी बदलना होगा। भाभी आप बताओ आप एक साल से ये सब झेल रही हैं ,आखिर क्यों और आपने कभी भैया से भी कुछ नही कहा क्यों?
शांत हो जाइए दीदी ।आपके भैया ने तो मुझे कई बार गुस्से में कहा की क्यों सहन कर रही हो तुम कुछ बोलती क्यों नहीं पर दीदी आप तो जानती हैं कि मैं अपने घर की इकलौती बेटी हूँ और माँ हैं नहीं…तो मैंने आपको अपनी बहन समझा और माँजी को अपनी माँ ..तो मैं ये सोचकर चुप रहती थी कि मैं अपनी बहनऔर माँ के लिए कुछ भी कर सकती हूँ।
ये सुनकर सबकी आँखों में आँसू आ गए ।माँ ने भाभी को गले लगाकर कहा बेटी तूने हमें क्या माना और हमने तेरे साथ क्या किया।माफ कर दे मुझे ।आज से मेरी एक नही दो बेटियाँ हैं ,पिता जी ने भाभी के सिर पर हाथ रखा और सबने एक दूसरे को गले लगा लिया 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏