प्रेस नोट
जनहित सर्व समाज सेवा समिति, संपूर्ण भारत
राष्ट्रीय अध्यक्ष – कवयित्री सोनी शुक्ला “क्रांति”, लखनऊ (उ.प्र.)
वर्तमान समय में समाज में समानता, सम्मान और न्याय के मुद्दों पर लगातार चर्चाएँ होती रही हैं। विशेषकर आरक्षण व्यवस्था को लेकर समाज के अनेक वर्गों में असंतोष, भ्रम और सवाल देखने को मिल रहे हैं। ब्राह्मण बेटियों के सम्मान एवं सुरक्षा से जुड़े कई उदाहरणों और अनुभवों ने यह स्पष्ट किया है कि सामाजिक सौहार्द, नारी मर्यादा और समान अवसरों की आवश्यकता आज पहले से अधिक महसूस की जा रही है।
समाज के लोगों का कहना है कि वर्षों से विभिन्न वर्गों के बीच अंतरजातीय विवाह हुए, अनेक बड़े नेता स्वयं ब्राह्मण समुदाय की महिलाओं से विवाह कर चुके—फिर भी समाज में “आरक्षण” को लेकर जो राजनीतिक भ्रम फैलाया गया, वह समाप्त नहीं हुआ। जिन नेताओं ने सामाजिक एकता का उदाहरण प्रस्तुत किया, उनमें दो प्रमुख नाम शामिल हैं:
1. डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं डॉ. सविता अंबेडकर
संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने अपनी दूसरी पत्नी के रूप में डॉ. सविता अंबेडकर (शारदा कबीर)—जो एक मराठी सारस्वत ब्राह्मण परिवार से थीं—के साथ विवाह किया। यह विवाह सामाजिक समरसता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण रहा।
2. स्व. रामविलास पासवान एवं रीना शर्मा
देश के प्रमुख दलित नेता एवं केंद्रीय मंत्री रहे रामविलास पासवान ने दूसरी पत्नी रीना शर्मा से विवाह किया, जो एक ब्राह्मण परिवार से थीं। यह भी सामाजिक एकता और पारिवारिक मेल–जोल का सशक्त प्रतीक था।
इसके बावजूद आज भी समाज में आरक्षण के नाम पर वैमनस्य, भेदभाव, अनावश्यक विवाद और सामाजिक विभाजन देखा जा रहा है। अनेक परिवारों का कहना है कि कन्याओं के सम्मान, शिक्षा और सुरक्षा के मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है और आरक्षण की बहस में असामाजिक तत्व अनर्गल टिप्पणी कर जाते हैं, जिससे महिलाओं की गरिमा आहत होती है।
जनहित सर्व समाज सेवा समिति का स्पष्ट मत है कि—
किसी भी बेटी का अपमान स्वीकार्य नहीं है।
नारी सुरक्षा और सम्मान सर्वोच्च होना चाहिए।
सरकार को महिलाओं की रक्षा व सम्मान के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
आरक्षण नीति पर खुले विचार-विमर्श, समीक्षा और सामाजिक संवाद की आवश्यकता है, ताकि सबको समान अवसर मिल सके।
कवयित्री सोनी शुक्ला “क्रांति” का कहना है कि समाज में जो भ्रम और भ्रमित करने वाली राजनीति है, उसे समाप्त करना समय की मांग है। नारी शक्ति अब चुप नहीं रहेगी। हम संवैधानिक तरीके से न्याय, सम्मान और समानता की लड़ाई लड़ेंगे। हमारा उद्देश्य संघर्ष नहीं, सकारात्मक परिवर्तन है—जिससे हर वर्ग की बहन-बेटियों को सुरक्षित, सम्मानित और समान अवसरों वाला वातावरण मिले।

