
।।संसार मोहन गणेश कवच!!🕉️
पूरे संसार को मोहित करने वाला श्री गणेशजी का कवच इस कवच को प्रतिदिन पाठ करने से समस्त प्रकार के नजर दोष विघ्न बाधाओं से रक्षा होती है।
यह कवच अत्यंत प्रभावशाली है यह न तो कीलित है और न श्रापित है कोई भी व्यक्ति कोई भी महिला या पुरुष श्रद्धा पूर्वक इसका पाठ कर लाभ ले सकते हैं।
इस कवच के प्रभाव से चारो दिशाओं से रक्षा होती है व्यापार व्यवसाय तरक्की के बुलंदियों पर पहुचने लगता है। आपके साथ जो भी अशुभ घटनाएं घटित हो रही उसमे पूरी तरह से विराम लग जाता है।व आपके साथ सब शुभ ही शुभ होने लग जाते हैं।।
विनियोग:–ॐ अस्य श्री गणेश कवच मन्त्रस्य प्रजापतिः ऋषि बृहती छन्दः श्री गजमुख विनायकों देवताः गं बीजम गिं शक्ति गह कीलकम धर्म कर्म अर्थ मोक्षेषु श्री गणपति प्रित्यर्थे जपे विनियोगः।।
🌳श्रीगणेश कवच🍁
ॐ गं हुं श्रीगणेशाय स्वाहा मे पातुमस्तकम्।
द्वात्रिंशदक्षरो मन्त्रो ललाटं मे सदावतु॥
ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं गमिति च संततं पातु लोचनम्।
तालुकं पातु विध्नेशःसंततं धरणीतले॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीमिति च संततं पातु नासिकाम्।
ॐ गौं गं शूर्पकर्णाय स्वाहा पात्वधरं मम॥ दन्तानि तालुकां जिह्वां पातु मे षोडशाक्षर:॥
ॐ लं श्रीं लम्बोदरायेति स्वाहा गण्डं सदावतु।
ॐ क्लीं ह्रीं विघन्नाशाय स्वाहा कर्ण सदावतु॥
ॐ श्रीं गं गजाननायेति स्वाहा स्कन्धं सदावतु।
ॐ ह्रीं विनायकायेति स्वाहा पृष्ठं सदावतु॥
ॐ क्लीं ह्रीमिति कङ्कालं पातु वक्ष:स्थलं च गम्।
करौ पादौ सदा पातु सर्वाङ्गं विघन्निघन्कृत्॥
प्राच्यां लम्बोदर: पातु आगन्य्यां विघन्नायक:।
दक्षिणे पातु विध्नेशो नैर्ऋत्यां तु गजानन:॥
पश्चिमे पार्वतीपुत्रो वायव्यां शंकरात्मज:।
कृष्णस्यांशश्चोत्तरे च परिपूर्णतमस्य च॥
ऐशान्यामेकदन्तश्च हेरम्ब: पातु चोर्ध्वत:।
अधो गणाधिप: पातु सर्वपूज्यश्च सर्वत:॥
स्वप्ने जागरणे चैव पातु मां योगिनां गुरु:॥
इति ते कथितं वत्स सर्वमन्त्रौघविग्रहम्। संसारमोहनं नाम कवचं परमाद्भुतम्॥
श्रीकृष्णेन पुरा दत्तं गोलोके रासमण्डले।
वृन्दावने विनीताय मह्यं दिनकरात्मज:॥
मया दत्तं च तुभ्यं च यस्मै कस्मै न दास्यसि।
परं वरं सर्वपूज्यं सर्वसङ्कटतारणम्॥
गुरुमभ्यर्च्य विधिवत् कवचं धारयेत्तु य:।
कण्ठे वा दक्षिणेबाहौ सोऽपि विष्णुर्नसंशय:॥
अश्वमेधसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।
ग्रहेन्द्रकवचस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम्॥
इदं कवचमज्ञात्वा यो भजेच्छंकरात्मजम्।
शतलक्षप्रजप्तोऽपि न मन्त्र: सिद्धिदायक:॥
आपके अंदर योग्यता होते हुए भी आप उक्त व्यक्ति विशेष को प्रभावित नही कर सकते इस कवच के नियमित पाठ से आपके अंदर प्रबल आकर्षण बढ़ने लगता है जिससे जो भी आपके संपर्क में आते हैं वे आपकी बातों से प्रभावित हुए बिना नही रह सकते।
इस कवच का पाठ कृष्ण पक्ष के चतुर्थी से आरम्भ कर अपनी क्षमता अनुसार 5 या 11पाठ सुबह स्नान के बाद स्वक्ष होकर साफ सुथरे वस्त्र धारण कर श्री गणेश जी के समक्ष धूप दीप प्रज्ज्वलित करके करें।
आसन जो भी आपके पास हो जो ऊर्जा का कुचालक हो उसे आप ले सकते हैं आपका मुख पूर्व या उत्तर की तरफ हो दीपक आप मीठे तेल का या सम्भव हो तो घी का लगाएं।
।।जय गणेश देवा।।
॥जय गणेश देवा ॥