
एक समय की बात है एक छोटे से शहर में राम और सीता नाम के कपल रहते थे।
उनका एक अर्जुन नाम का बेटा था, जिसकी शादी रिया नाम की लड़की से हुई थी।
राम और सीता कड़ी मेहनत करते थे और अपने बुढ़ापे के लिए पैसे बचाते थे।
रिया बहुत लालची लड़की थी और हमेशा अपने लिए महंगी महंगी चीजें चाहती थी।
जैसे-जैसे साल बीतता गया,
रिया का लालच और बढ़ता गया।
वह अपने पास रखे चीजों से कभी संतुष्ट नहीं रहती थी।
वह हमेशा अपने सास-ससुर से महंगे तोहफे मांगा करती थी और उनके बचाये हुए पैसों में से भी कुछ हिस्सा अपने लिए मांगती थी।
राम और सीता बहुत ही अच्छे पेरेंट्स थे,
इसलिए उसकी सारी जरूरतों को पूरा करते थे ताकि परिवार में शांति बनी रहे।
वह अपने पति अर्जुन के ऊपर भी दबाव डालती थी, कि वह अपने मां बाप से पैसे और संपत्ति मांगे।
बिना किसी मेहनत के वह बहुत ज्यादा संपत्ति इकट्ठा करना चाहती थी,
एक दिन राम और सीता ने यह फैसला लिया कि वह रिया को सबक सिखाएंगे।
वह उसे बुलाए और बोले की “बेटा हमें तुमसे कुछ बहुत ही जरूरी बातें करनी है।
हमने यह फैसला लिया है कि हम अपनी जायदाद का कुछ हिस्सा अपने बच्चों में बाटेंगे और उसका कुछ हिस्सा तुम्हे भी देना चाहते हैं.” रिया ख़ुशी से झूम उठती है क्योंकि वह हमेशा से यही चाहती थी।
लेकिन राम और सीता के मन में कुछ और ही चल रहा था।
उन्होंने एक पत्थरों से भरा हुआ बैग उसे दे दिया और बोला,
बेटी यह तुम्हारे हिस्से की संपत्ति है।
रिया उस बैग को देखकर गुस्सा हो गई।
उसने उस पत्थर से भरे हुए बैग को जमीन पर फेंका और जोर से चिल्लाते हुए बोली कि,
” मेरी मजाक उड़ाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई।
मुझे पैसे चाहिए, ये पत्थर नहीं। ”
राम और सीता ने शांत तरीके से उसे समझाया और बोले “रिया, सच्ची संपत्ति सिर्फ पैसे और चीजों के बारे में नहीं है।
यह प्यार, दया और जो कुछ भी तुम्हारे पास है,
उसके लिए आभारी होने के बारे में है।
हमने हमेशा तुमसे प्यार किया है और तुम्हारी देखभाल की है,
और यह पैसों से भी अधिक कीमती है.”
रिया को एहसास हुआ कि वह लालच में कितनी अंधी हो गई थी।
उसको अपने किये गए बर्ताव के लिए पछतावा होने लगता है।
उसने अपने सास और ससुर से माफ़ी मांगी और अपने तरीके बदलने का वादा किया।
उस दिन के बाद से उसमें बदलाव आया और वह एक अच्छी बहू बन गई।
रिया के बदलाव की बात पूरे गाँव में फैल गई और सभी ने एक बेहतर इंसान बनने के लिए उसकी प्रशंसा की।
रिया अपने परिवार का ख्याल रखते हुए और उनके बीच मिले प्यार के लिए आभारी होकर हमेशा खुश रहने लगी।
“सच्चा धन प्यार,
दया और जो हमारे पास है उसके लिए आभारी होने से आता है,
न कि हमेशा और अधिक चीजों की चाह रखने से।”