
*स्वास्थ्य संदेश* ……
*बुढ़ापा में हड्डियों की देखभाल*
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*बृध्दावस्था ,मनुष्य जीवन का ढलता -सूर्यास्त है।*
*हमारा शरीर एक बहुत जटिल ईश्वर द्वारा निर्मित अद्भुत मशीन है। यह भ्रूणावस्था से मृत्यु तक अनवरत लगातार चलने वाली मशीन है।*
*जैसे मशीन के विभिन्न पुर्जे लगातार चलते चलते घिस जाते हैं और कमजोर पड़ने लगते हैं उसी तरह हमारे शरीर के विभिन्न अंग भी समय के साथ कमजोर पड़ने लगते हैं*।
*वजन लेने वाले जोड़ों में घिसन जल्दी होती है।ज्यादा उपयोग, ज्यादा वजन, चोटिल, मैलएलानमेंट,हड्डियों का टेढ़ापन एवं कमजोर हड्डियों (आस्टियोपोरोसिस ) के मामले में हड्डियां समय से पूर्व घिसने लगती हैं।*
*बुढ़ापे में सबसे गंभीर समस्या आस्टियोपोरोसिस है।इसमें हड्डियां कमजोर होने कारण हल्के-फुल्के चोट से टूट जाती हैं।*
*बुढ़ापे में होने वाली हड्डी की बिमारियों के लिए हल्का ब्यायाम ,पौष्टिक संतुलित आहार जिसमें कैल्शियम ओर प्रोटीन की मात्रा अच्छा हो तथा किडनी,हृदय एवं लीवर के स्वास्थ्य के अनुसार लेने से घिसन एवं अन्य बिमारियां ज्यादा उम्र में होती है और होने पर ज्यादा कष्ट नहीं रहता है।*
*बुढ़ापे में उम्र के कारण होने वाली अधिकांश बिमारियों को “इलाज से कन्ट्रोल” की श्रेणी में रखा गया है अर्थात् आजीवन डॉक्टर की सलाह का पालन करना पड़ता है*।
*बुढ़ापे में मनुष्य को शरीर से समझौतावादी एवं शरीर की क्षमता के अनुकूल ही क्रिया-कलाप करना चाहिए। क्षमता के विपरीत उत्साह में किये कार्य घातक एवं कार्य न कर पाने पर मन में अवसाद पैदा करता है।*
*इस उम्र में शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द रहता है।हल्का-फुल्का दर्द बर्दाश्त करें एवं ज्यादा दर्द होने पर डॉक्टर की सलाह से दर्द की दवा का सेवन करें / ईलाज करवायें। ज्यादा दर्द की दवा किडनी को नुकसान करती है।*
*छड़ी / वाकर एवं कामोड के इस्तेमाल से भी बहुत राहत रहती है*
*बहुत कष्ट एवं लाचार होने पर घुटने एवं कुल्हे का प्रत्यारोपण एक्सपर्ट द्वारा एवं साफ-सुथरे अस्पताल में करवाने से अधिकांश लोग ज्यादा ऐक्टिव एवं दर्द से छुटकारा प्राप्त कर लेते हैं।*
*डा.गंगासागर सिंह”विनोद”*
( *लेखक डॉक्टर गंगासागर सिंह पूर्वांचल के जाने माने अस्थि रोग विशेषज्ञ हैं* )