अगस्त 24, 2024 को मैंने गोंडा से लखनऊ वापस आते समय कर्नलगंज मार्केट में “खेक्सी” ख़रीदा थे जिसको मैंने अपने फेसबुक पेज पर साझा किया था। 29 अगस्त 2024 को मैं अपने लखनऊ ग्रीन- गार्डेन के “खेक्सी” के पौधों को साझा कर रहा हूँ। मैंने पिछले वर्ष खेक्सी के पौधे हमीरपुर उत्तरप्रदेश से मंगाये थे। मानसून की बूँदे पड़ते ही “खेक्सी” उग आयी। मैंने उसकी लतावों को फेलने के लिये मचान बनायी। मैं इसके फलों का इंतज़ार करता रहा । काफ़ी पीले-पीले फूल भी आ गये, परंतु फल एक भी नहीं मिले।कारण- एक भी नर पौधा नहीं था जिसके कारण परागण नहीं हो पाया। फल काफ़ी लगे परंतु परागण नहीं होनें के कारण पीले होकर गिर गये। मैंने आज ही हमीरपुर से नर और मादा पौधे मंगाये हैं।नर-मादा की पहचान फूल आने पर ही हो सकती है क्योंकि दोनों की पत्तियाँ एक ही प्रकार की होती हैं।हमारे गृह जनपद सिद्धार्थनगर में मेरा गाँव जंगल के किनारे है। बरसात के समय जंगल में ख़ेकसी मिलती थी। जून में बरसात होते ही ख़ेकसी जागृत हो जाती थी और उसकी लताएँ झाड़ियों पर फैल जाती थी। इस समय खेकसी का “पीक” सीजन है जो अक्टूबर तक मिलती है।ठंडक बढ़ते ही खेकसी की लताएँ सूख जाती हैं। इसकी जड़ें “कन्द” के रूप में होती है जो ज़मीन में सुरक्षित रहती है और अगली साल फिर उग जाती है।गाँव में रहते समय हमें पहचान थी कि जंगल में कहाँ-कहाँ खेकसीं मिलती है। हमारे गाँव के जंगल में बहुत अधिक जंगली सुअर आ गये जिनका ज़मीन में मिलने वाले कन्द पसंदीदा भोजन है।जंगली सुअरों ने हमारे गाँव के जंगल में खेक्सी की जड़ों को खा गये। अब हमारे जंगल से हमारी प्रिय खेक्सी लुप्त हो गई। मैंने पिछले वर्ष भी हमीरपुर से खेक्सी के पौधे मंगाये थे।कुकरविट परिवार की सब्ज़ियों में ख़ेकसी और परवल ही ऐसी प्रजातियाँ हैं जिनमे नर और मादा अलग-अलग पौधे होते हैं, जिसे “Dioecious” कहा जाता है।लौकी, खीरा,कद्दू, कुंदरू, करेला, टिंडा, ककड़ी,ख़रबूज़, तरबूज़ आदि “Monoecious” पौधे है जिसके एक ही पौधे में नर-मादा फूल एक साथ आते हैं जिसके कारण परागण में कोई समस्या नहीं आती है। असम, बंगाल में बड़ी साइज की ख़ेकसी मिलती है जिसे वहाँ “भात करेला” कहा जाता है। मैंने असम से भी बड़ी खेक्सी के पौधे मंगाये हैं जो कल 30-8-24 को सुबह मुझे प्राप्त हो जाएँगे।बड़ी खेकसी अपने शहरीय बाज़ारों में मिल जाती है परंतु अपनी देशी ख़ेकसी का कोई जवाब नहीं । बुंदेलखंड और चंबल के बीहड़ों में ख़ेकसी बहुतायत में मिलती है। ख़ेकसी जंगली सब्ज़ी है जिसके कारण यह पूरी तरह ऑर्गेनिक है। अगले वर्ष मुझे भरपूर खेक्सी और असम का “खेकसा” भरपूर मात्रा में मिलेगा।खेक्सी/ ख़ेकसा में पोटैशियम, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर सहित कई माइक्रोन्यूट्रीएंट मिलते है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। Brij Lal IPS Retd. Member of Parliament (Rajya Sabha)
Dated Lucknow August 29, 2024