
कुछ लोग वामपंथ और दक्षिणपंथ की चाशनी में घोल कर आपको अपनी बातें पिलाते हैं।
इसके लिए वे सनातन परम्पराओं और गंगोजमन तर्कों का सहारा लेते हैं।
हालांकि,
हमारे जैसे लोग ऐसे कुतर्कों को एक मिनट में छिन्न-भिन्न कर सकते हैं।
फेसबुक पर सक्रिय ऐसे लोगों को पहचानिए।
ये लोग कभी कश्मीर में भारतीय फौजियों के बलिदान और अपमान पर नहीं लिखते।
वक्फ बोर्ड की कारगुजारियों पर आंखें मूंद लेते हैं और सेकुलरों पर कभी उंगली नहीं उठाते।
वे रोहिंग्या, बांग्लादेशी और घुसपैठियों पर कभी एक टिप्पणी भी नहीं करते।
वे कभी भी सेकुलर और हिन्दू विरोधी नेताओं पर अपना नजरिया स्पष्ट नहीं करते।
भारत में ही हिंदुओं के पलायन पर उनका एक भी लेख आपको नहीं मिलेगा।
उनके शहर में “सिर तन से जुदा” हो जाता है,
लेकिन इस विषय पर उनकी एक भी पोस्ट नहीं होती।
हमेशा अपनी बचपन की कहानियां सुनाएंगे, जिनमें हिन्दू-मुस्लिम की प्रेम भरी कहानियां होंगी।
जैसे कि होली दहन की लकड़ी वे अहमद मियां से खरीदते थे, जो उन्हें 2 किलो लकड़ी फ्री में दे देते थे।
ताजिये के नीचे से निकलने के बाद उनके बच्चों को आज तक बुखार नहीं आया।
देश विभाजन के तत्कालीन हत्याकांड, केरल, कश्मीर और एसटीएसजे उन्हें दुखी नहीं करते।
सबसे विशिष्ट बात यह है कि ये लोग हिंदुओं को पीछे ले जाने वाली रूढ़ियों और गंदी परम्पराओं के घोर समर्थक होते हैं।
यहाँ इनका वामपंथ कुंद हो जाता है और दिखावटी दक्षिणपंथ इन रूढ़ियों का समर्थक बन जाता है।
हमारा देश एक विविधतापूर्ण और समृद्ध संस्कृति का वाहक है,
जिसे हमारी सनातन परंपराओं और विरासत ने सदियों से सहेज कर रखा है।
यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस विरासत की रक्षा करें और इसे आगे बढ़ाएं। परन्तु कुछ लोग अपनी स्वार्थपूर्ण विचारधाराओं के चलते हमारे देश की अखंडता और एकता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करते हैं।
वे लोग, जो अपने निजी स्वार्थों के लिए समाज में विभाजन और द्वेष फैलाते हैं, उन्हें पहचानना और उनके कुतर्कों का विरोध करना आज के समय की मांग है।
हमें उन लोगों के खिलाफ खड़ा होना होगा जो हमारे सैनिकों के बलिदान और उनके अपमान पर चुप्पी साधे रहते हैं। हमें उन पर भी नजर रखनी होगी जो वक्फ बोर्ड की गड़बड़ियों पर आंखें मूंदे रहते हैं और सेकुलरिज्म के नाम पर हिंदुओं को निशाना बनाते हैं।
हमें यह समझना होगा कि देश की सुरक्षा और अखंडता सबसे महत्वपूर्ण है।
कश्मीर में भारतीय फौजियों का बलिदान, केरल और कश्मीर में हिंदुओं का पलायन, और विभाजन के समय हुए हत्याकांडों को याद रखना और उन पर चर्चा करना हमारी जिम्मेदारी है।
हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश में किसी भी प्रकार की कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा न मिले और हर व्यक्ति को उसकी आस्था और विश्वास के अनुसार जीने का अधिकार मिले।
हमें अपनी सनातन परंपराओं और विरासत का सम्मान करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बच्चे भी इन मूल्यों को समझें और अपनाएं।
हमारा देश एक महान राष्ट्र है और इसकी अखंडता और एकता को बनाए रखना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।