
हमारे सनातन धर्म में कुछ नियम हैं जो बड़े ही अदभुद और अनूठे हैं।
हमारे यहां बेटी के विवाह के पश्चात बेटी के ससुराल का पानी भी नहीं पिया जाता है और ये नियम सिर्फ़ माता पिता के लिए नही होता अपितु जिनकी भी बिटिया के पद से बिटिया लगेगी काका, मौसा, मामा हर कोई बचाने की कोशिश करता है कि बेटी के घर का कुछ न खाया पिया जाय। छोटी बहन के विवाह में मैं ने भी बड़ी बहन के अधिकार से पांव धोए और हाथ पीले किए इस तरह से अब ये नियम मुझ पर भी लागू होता है कि बहन के ससुराल पक्ष से आई कोई भी चीज न खाऊं पीयू।
पहले के समय में आने जाने के साधन इतने नहीं होते थे । तब लोग अक्सर पैदल ही लाठी लेकर उसमें धोती लोटा और सत्तू , लाइए बताशा, गुड़ बांधकर बेटी के ससुराल हाल चाल लेने पहुंच जाते थे।
धूप में पैदल चलते चलते जब थक जाते थे तब कहीं पेड़ के नीचे बैठ जाते थे। उस समय अक्सर सड़क किनारे पेड़ की छांव में राहगीरों के लिए भी दयावान लोग कुएं खुदाए रहते थे। कुएं से लोटा डोरी की मदद से ठंडा पानी निकालकर सत्तू घोलकर पीकर कुछ देर सुस्ता कर फिर से ऊर्जा एकत्र करके बेटी के ससुराल की तरफ निकलते थे।
मुझे अभी भी याद है मेरी बड़ी मामी का मायका काफी दूर और थोड़ा अविकसित क्षेत्र में था। जहां पक्की सड़क नहीं पहुंची थी। मामी जी के पिता जी को साइकिल चलानी नहीं आती थी इसलिए वो अक्सर पैदल यात्रा करके ही मामी जी से मिलने आया करते थे । जब वो मामी जी से मिलने आते थे तब सत्तू लेकर आते थे और गांव में किसी के घर से पानी आता था तब वो सत्तू खाते थे या फिर गांव में कोई अपने घर उनके भोजन की व्यवस्था करता था।
सत्तू ऐसा भोजन है जो मैगी से जल्दी बन जाता है और बेहद स्वादिष्ट व सुपाच्य होता है।
हमारी तरफ़ सत्तू सात अनाज से मिलकर बनता है जिनमें अधिकतर मोटे अनाज होते हैं।
सत्तू के अनाज पहले भिगोए जाते हैं फिर सुखाए जाते हैं उसके बाद सेके जाते हैं तब कहीं जाकर पीसकर सत्तू रुप बनता है।
सोचिए जिसमें मटर, चना, मक्की, बाजरा, ज़ाै जैसे अन्न शामिल हो वो पौष्टिक कैसे नहीं होगा। जिसको बनाने के लिए इतनी प्रक्रिया की गई होगी उसे तो सुपाच्य होना ही है।
अब ये आप पर निर्भर करता है कि आप नमक, सिरका, प्याज, हरी मिर्च संग गाढ़ा घोलकर उंगली से चाट चाट कर खाना चाहते हैं या राब ( ककई, खांड ) में मिक्स करके मुठिया बनाकर खाना चाहते हैं या पतला घोलकर नमकीन, चटपटा सा पेय बनाकर पीना चाहते हैं। ये हर तरह से लाभदायक होता है और स्वादिष्ट लगता है। कम समय में आपको ऊर्जावान बना देगा और पेट तो भर ही जाएगा इसलिए घर से कभी सत्तू न खत्म होने दे भले मैगी का पैकेट खत्म हो जाए।