
#वीर_सावरकर जी को 7 X 11 साईज़ की कोठरी में रखा था….
ठण्ड हो या गर्मी उसी पर सोना है….
इसी कोठरी के एक कोने में खुले में शौच और पेशाब करना है… !!
गले-हाथ और पैरों में बेड़ियाँ लगी रहेंगी उसी स्थिति में…!
जो भी और जैसा भी मिले, वैसा भोजन करना है..!
फिर इसी स्थिति में बैल की तरह कोल्हू में लगकर तेल निकालना पड़ता था….!
पूरी जेल में बेहद दुबले-पतले सावरकर एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने तांबे की पट्टी लटका रखी थी, जिस पर “D” लिखा हुआ था,,,!!
D यानी Dangerous…… वही एकमात्र कैदी थे,
जिसे अंग्रेज “डेंजरस” मानते थे और यह चक्र चला पूरे 11 साल तक…..!
जी हाँ पूरे ग्यारह वर्ष तक…… चला…..!!
जो लोग वीर सावरकर जी पर उंगली उठाते हैं,
उनसे कहना पड़ेगा कि युवराज एक बार देशप्रेम के लिए काला पानी जाओ, कोल्हू में बैल की तरह जुतो, दो कटोरे पानी में पूरा दिन गुज़ारो, जेल की दीवारों पे माँ भारती की स्तुति में 6 हज़ार कविताएँ लिखो,
फिर सावरकर पर टिप्पणी करना…..?
अपनी तुलना करनी है, तो किसी और से करो,
उस से नहीं जो भारत-भक्ति का अपराध करके धन्य हो गया……
*जय हिन्द*🫡