
*जाति मजहब के नाम पर देश का बंटवारा करा कर हजारों हजारो लोगों का कत्लेयाम कराने वाले स्वंभू राष्ट्रपिता का सच जानिए*।
*देश की आजादी के लिए उबलते नौजवानों की हत्या में सहभागी हत्यारे की असलियत को जानिए पहचानिए वामपंथी विचारकों के द्वारा महिमा मंडित किए जाने वाले दम्भी के राज को खोलता लेख पढ़ें*।
*महान विचारक बैरिस्टर नाथू राम गोडसे का फैसला देर से हुआ वर्ना आज का भारत कुछ और होता*!
—————————————-
महात्मा गाँधी से नफरत करने वालों की संख्या क्यों बढ़ती जा रही है?
क्या कोई राजनैतिक हाथ है इसके पीछे?
महात्मा गांधी से नफ़रत करने वालो की संख्या बढ़ी नहीं, बस अब दिखने लगी है।
पहले केवल कुछ लोगो के विचार हर जगह पहुंच पाते थे और बाकी लोगो के विचार दबे रह जाते थे।
बचपन में सुना था कि कोई सर्वे हुआ था जिसमें भगत सिंह और महात्मा गांधी में से किसी एक को चुनना था। 80% लोगों ने भगत सिंह को चुना और 20% लोगों ने महात्मा गांधी को।
गांधी जी से लोग कुछ इस लिए भी नफ़रत करने लगे हैं कि उनके नाम का आज कोई और ही फायदा उठा रहा है।
गोडसे की आवाज को और उनके विचारों को जाने बिना सबने उन्हें गलत मान लिया क्यूंकि उन्होंने गांधी जी की हत्या की।
पर हत्या के पीछे की वजह जब आज लोगों को समझ आ रही है, तो लोग गोडसे से भी प्रभावित हो रहे हैं।
गोडसे से प्रभावित होने से जरूरी नहीं की वो गांधीजी के शब्दों को महत्व नहीं देते।
पर कुछ लोग इस बात को चिल्ला चिल्ला कर बताने लगे हैं कि गोडसे का समर्थन गांधी का विरोध है।
सुभाष चन्द्र बोस की मदद ना करना।
भगत सिंह की मदद ना करना।
सरदार की जगह नेहरू को गैर लोकतांत्रिक तरीके से प्रधान मंत्री बनाना ।
ब्रह्मचर्य का ऐसा पालन करना और करवाना जो समाज को मंजूर ना हो।
आज जब ये सारी बाते लोगों के सामने खुलकर आ रही हैं तो लोग प्रश्न पूछ रहे है।
आखिर इसमें गलत क्या है।
क्या सुभाष और सरदार, क्या भगत और सुखदेव को वो तव्वज्जो मिला इस देश में जो गांधी को मिला ?
आप खोजने कि कोशिश कीजिए सुभाष के विरोध में कोई बोलने वाला ।
आप खोजने कि कोशिश कीजिए सरदार के खिलाफ बोलने वाला।
आप कोशिश कीजिए भगत के खिलाफ बोलने वाला।
शायद ही आपको कोई मिले।
आप खोजने कि कोशिश कीजिए गांधी के खिलाफ बोलने वाला। आपको एक बहुत बड़ा वर्ग मिल जाएगा ।
आजादी बिना खडग बिना ढाल नहीं मिली है। क्रांतिकारियों और आजाद हिन्द फौज ने उसके लिए दुश्मन का और खुद का खून बहाया है तब जाकर आजादी मिली है।
जो आजादी पहले मिल सकती थी गांधी कि गलती से उसे मिलने में देर क्यूंकि उन्होंने सुभाष की बात नहीं मानी ।
जिन्हे ज्यादा पढ़ाया जाना चाहिए था किताबो में, उनके विचारो को दबाने की कोशिश की गई।
IGNOU में नेहरू और गांधी पर कोर्स हैं पर सुभाष और भगत पर क्यों नहीं।
आज देश सवाल पूछ रहा है, आज देश अपने सही सेनानियों के योग दान को क्यों छुपाया गया ? पूछ रहा है तो कुछ लोगो को दिक्कत हो रही है।
सवाल अब और तीव्र होंगे, मात्रा भी दिन पे दिन अधिक होगी। जवाब हो तो दें वो लोग जिन्होंने आजादी के बाद भी 20 सालो तक सुभाष के परिवार की जासूसी करवाई।
लाल बहादुर शास्त्री की मौत के सही कारण भी छिपाए गए, आखिर क्यों ?
लोग महात्मा गांधी की इतनी बुराई क्यों कर रहे हैं?
क्यों बुराई कर रहे हैं ! मतलब ? अरे भाई ! जिस आदमी के सर पर दसियों महापाप के आरोप की गठरी हो उसकी बुराई नहीं करेंगे तो क्या उसकी आरती उतारेंगे ? रावण कितना बुद्धिमान था ? उसकी एक गलती ” सीता हरण ” ने उसे हमेशा के लिए विलेन बना दिया। राम द्वारा उसका वध कर देने के बावजूद हजारों साल से हर साल हम उसका पुतला फूंकते हैं। लेकिन विडम्बना देखिए , जिस गांधी के कारण विभाजन के समय २० लाख से ज्यादा हिन्दुओं का कत्ल हुआ , करोड़ों लोग शरणार्थी बन गए , मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए खिलाफत आंदोलन को समर्थन देने के कारण ७००० हिंदुओं की हत्या हुई , सुभाषचन्द्र बोस को गायब कराने में जिसका हाथ होने का शक हो , जिस पर महान स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद् स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती जी के हत्यारे के बचाव का आरोप हो , कांग्रेस के सर्वमान्य नेता सरदार पटेल को धकिया कर नेहरू जैसे नकारा , ऐयाश एवं मुस्लिम परस्त को हमपर जबरन थोप देने का आरोप हो , उसके मृत्यु दिवस पर हम राष्ट्रीय शोक मनाते हैं । इस तरह के और भी अनेकों अनेक गंभीर पाप का आरोप है गांधी पर। हिदुओं के महाभारत ग्रंथ के श्लोक ” अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैव च: ” का आधा अधूरा हिस्सा ” अहिंसा परमो धर्म:” सुनाकर भारत की भोली-भाली जनता को नपुंसक बनने के लिए् बरगलाया। ब्रह्मचर्य प्रयोग के नाम पर समाज में अश्लीलता फैलाया।
यह हमारा दुर्भाग्य है कि गांधी के बारे में इतना कुछ जानते हुए भी , आज भी एक ऐसा अभिजात्य वर्ग है जो उन्हें महिमा मंडित करने पर अमादा है। सिर्फ इसलिए , क्योंकि भ्रष्टाचारी नेहरूवियन कांग्रेस पार्टी ने अपने शाशनकाल के दौरान गांधी की जम कर मार्केटिंग की थी और आज भी गांधी सरनेम लगाकर जनता को लूट रहे हैं। चरखे से आजादी आई , का ढिंढोरा पीट रहे हैं।
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में तो हजारों लोग शरीक थे और अपनी जान की कुर्बानी दी थी। सुभाषचन्द्र बोस , भगतसिंह, सुखदेव, लाला लाजपतराय, चंद्रशेखर आजाद , वीर सावरकर इत्यादि अनगिनत लोगों ने भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष किया और काले पानी की असीम यातनाओं से लेकर फांसी के फंदे तक पर झूल गए । सावरकर जी को तो ब्रिटिश शासन के प्रति वफादारी का शपथपत्र न दाखिल करने के कारण अंत तक बैरिस्टर की डिग्री नहीं मिली । लेकिन गांधी नेहरू ने बाकायदा ब्रिटिश शासन के प्रति वफादारी का शपथपत्र दाखिल किया और बैरिस्टर की डिग्री लेकर जीवन पर्यन्त ऐश करते रहे। फिर गांधी नेहरू में ऐसे कौन से सुर्खाब के पर लगे थे कि आजादी का सारा श्रेय उन्हें दे दिया ? यह एक षड़यंत्र के तहत् किया गया जिसका खामियाजा हम आज भी भुगत रहे हैं। भारत को कश्मीर और पाकिस्तान का नाशूर गांधी नेहरू की अंग्रेजों के साथ साजिश का नतीजा है।
और आप पूछ रहे हैं ” लोग गांधी की इतनी बुराई क्यों करते हैं”?
धन्यवाद