
*सम्पादकीय*
✍🏾जगदीश सिंह सम्पादक✍🏾
*जाकी रही भावना जैसी*
*प्रभु मूरत देखि तिन तैसी*
सदमार्ग पर चलकर समाज के भीतर निष्छल प्रेम की अकथ कहानी को जन जन की जुबानी तक प्रवाहित करने वाला सन्त चाहे किसी भी धर्म सम्प्रदाय का उससे आम आदमी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। प्रभाव उनपर पड़ता है जो समाज के ठेकेदार बनकर मनमानी करते आये है!आज कल कुछ विक्षिप्त मानसिकता के पोषक परिवर्तन कि प्रयोगशाला में अपनी अलग अलख जगाने की मुहीम छेड़ रखें है!कुछ घृणित सोच के सौदागर उस हवा का बहसी बना रहें है जो सभ्य समाज के लिए हमेशा घातक साबित होता रहा है?इन्सानियत को दरकिनार कर धर्म सम्प्रदाय के नाम पर सामाजिक परिवेश में घटिया सोच को निवेश करने वाले आने वाले कल के लिए एक ऐसे वातावरण की नींव रख रहें जो निश्चित रूप से मानवता के मानमर्दन के लिए अहम साबित होगा!देश के भीतर आज कल कथित सनातनी हर जगह विदिर्ण होती ब्यवस्था में दिखावटी आस्था का परिदृश्य प्रतिबिंत कर रहे हैं!तनातनी के माहौल में उनके द्वारा जिस तरह के कृत्य कार्यान्वित होते दिख रहे हैं वे आने वाले कल के लिए शुभ नही है?आस्था के सानिध्य में तो इतिहास गवाह है लोहे के खम्भा से श्री हरि का प्रादुर्भाव हो गया!भगवान को मतस्य के पेट से अवतरित होना पड़ा!,बाराह अवतार लेना पड़ा!परम पिता परमेश्वर तो केवल इन्सान!बनाकर ही भेजते हैं!प्रारब्ध और कर्म के अनुसार ही जीवात्मा अपना वजूद कायम करती है!
जो मानव शरीर धारी समाज कल्याण के लिए अलख जगाता रहा सबका मालिक एक है सभी को समझाता रहा तो इस पर इतना हाय-तौबा क्यों!हम तो उस अवधारणा के पोषक है की बिन पग चले ,सुने बिना काना-?!तो फिर उस महापुरुष के सत्कर्मों पर इतना बवाल कर सवाल क्यों खड़ा किया जा रहा है!क्या जाति बिरादरी धर्म मजहब को देखकर जगत नियन्ता प्रकृति के नियमों का परिपालन कराते हैं! नहीं न! तो फिर काहे उन लोगों की आस्था पर चोट किया जा रहा जिनके जीवन के संकट में संकट मोचन बनकर ,वह सिद्ध पुरुष विश्वास की वह अलग जगा जाता है जो इस वर्तमान युग के लिए चुनौती है!वह महान शक्ति तो अपनी भक्ति के बल पर समाज के लोगों के बीच एकता भाई चारे का सन्देश देकर समाधिस्थ हो गया की सबका मालिक एक है! मगर जिनके बिचार नेक नहीं है वह आत्मा परमात्मा के बीच दुभाषिए का कार्य करने वाले फकीर की शोहरत पर जातिवादी मुहर लगाकर विकृति का खेल खेल रहे हैं!जिससे लोगो की आस्था पर चोट लग रहा है!।मन्दिर से मूर्ति बेशक हटा दोगे लेकिन लोगो के दिल की बस्ती से कैसे मरहूम कर पावोगे।जो धर्म मजहब की कुरितियो से हटकर समभाव के साथ आपसी लगाव प्रेम सद्भाव, करूणा,के मर्म का रसास्वादन कराया सभी को सन्मार्ग पर चलने का सन्देश दिया वह यह सोचकर तो किया नहीं की कल हमारी मूर्ति रखकर पूजा होगी!कर्म प्रधान विश्व रची राखा इसी लिए तो चर्चित है! लोभी समाज अपने स्वार्थ में कुछ भी कर जाता है!लेकिन वैश्विक पटल पर जातिवाद की चपेट में वह भी आनेलगे जिनका जीवन ही समाज सेवा के लिए समर्पित था!कुछ भी कोई कर ले शोहरत सद्गति पा चुकी है!लाखो लाखों भूखे लोगो को हर रोज भोजन इन्सानियत के तरफ खुद से ही मन का परिवर्तन मालिक की मेहरबानी,आसमानी बुलन्दी पर है उस फकीर का सानिध्य पाने के लिए लोगो का रेला लगा है।शिर्डी में हर रोज मेला लगा है! वहां धर्म मजहब का धमाका करने वालों का खेला क्यों फेल है!
मानवता के रक्षक पर विद्वेष फैलाने का चल रहा खेल है।
हम भी सनातनी है मगर आस्था की आग में समर्पण का होना हमारा अपना विवेक है!
साईं नाम प्रभु का है इस पर बहस क्यों!सबका मालिक एक 🕉️साई राम🙏🏾
जगदीश सिंह सम्पादक राष्ट्रीय अध्यक्ष राष्ट्रीय पत्रकार संघ भारत।
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