
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इसे जितिया या जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। जितिया व्रत संतान की दीर्घायु, स्वस्थ और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। यह व्रत तीन दिन तक रखा जाता है। इसकी शुरुआत नहाए-खाए के साथ होती है। दूसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और तीसरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस बार जितिया व्रत की तारीख को लेकर लोगों में बड़ी कन्फ्यूजन है। आइए आपको बताते हैं कि जितिया व्रत 17 या 18 सितंबर, किस दिन रखा जाएगा।
सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें और गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की प्रतिमा जल के पात्र में स्थापित करें। इसके बाद उन्हें रोली, दीप और धूप अर्पित करें। इसके बाद उन्हें भोग लगाएं। इस व्रत में प्रसाद और रंग-बिरंगे धागे अर्पित किए जाते हैं। इसके बाद संतान को सुरक्षा कवच के रूप में धागे पहना दिए जाते हैं। उनकी आयु की कामना करके उन्हेंआशीर्वाद दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारायण किया जाता है।