
श्राद्धपक्ष का आरंभ आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। लेकिन भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को प्रथम तर्पण किया जाता है जो अगस्त मुनि के नाम से होता है। पितृपक्ष में पितरों को जल देने वाले सभी लोगों को 10 सितंबर को तिल, फूल और फल लेकर अगस्त मुनि एवं ऋषियों का तर्पण करना चाहिए।
श्राद्ध पक्ष का आरंभ 11 सितंबर को होगा। इस दिन आश्विन कृष्ण पतिपदा तिथि दोपहर 2 बजे तक है। ऐसे में जिन लोगों के माता अथवा पिता का देहांत किसी भी महीने में किसी भी पक्ष में प्रतिपदा को हुआ है उनका श्राद्ध तर्पण 11 सितंबर को किया जाना शास्त्रअनुकूल होगा!
पितृ पक्ष द्वितीया तिथि श्राद्ध तर्पण 12 सितंबर द्वितीया तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष द्वितीया तिथि 12 सितंबर को होगा जो इस दिन दोपहर 1 बजकर 9 मिनट तक है!
पितृ पक्ष तृतीया तिथि श्राद्ध तर्पण 13 सितंबर
तृतीया तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष तृतीया तिथि 13 सितंबर को होगा जो इस दिन दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक है!
पितृ पक्ष चतुर्थी तिथि श्राद्ध तर्पण 14 सितंबरचतुर्थी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष चतुर्थी तिथि 14 सितंबर को होगा जो इस दिन दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है।
पंचमी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष पंचमी तिथि 15 सितंबर को होगा जो इस दिन दोपहर 12 बजकर 43 मिनट तक है।
पितृ पक्ष षष्ठी तिथि श्राद्ध तर्पण 16 सितंबर षष्ठी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष षष्ठी तिथि 16 सितंबर को होगा जो इस दिन दोपहर 1 बजकर 37 मिनट तक है।
पितृ पक्ष सप्तमी तिथि श्राद्ध तर्पण 17 सितंबर सप्तमी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष सप्तमी तिथि 17 सितंबर को होगा जो इस दिन दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक है।
पितृ पक्ष अष्टमी तिथि श्राद्ध तर्पण 18 सितंबर अष्टमी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष अष्टमी तिथि 18 सितंबर को होगा जो इस दिन शाम 4 बजकर 39 मिनट तक है।
पितृ पक्ष नवमी तिथि श्राद्ध तर्पण 19 सितंबर नवमी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृ पक्ष नवमी तिथि 19 सितंबर को होगा जो इस दिन शाम 6 बजकर 37 मिनट तक है। पितृपक्ष की नवमी तिथि को मातृ नवमी तिथि कहते हैं। इस दिन जो महिलाएं सुहागन ही इस दुनिया से विदा हुई हैं उनका तर्पण श्राद्ध किया जाता है।
पितृ पक्ष दशमी तिथि श्राद्ध तर्पण 20 सितंबर दशमी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष दशमी तिथि 20 सितंबर को होगा जो इस रात 8 बजकर 42 मिनट तक है।
पितृ पक्ष एकादशी तिथि श्राद्ध तर्पण 21 सितंबर एकादशी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष एकादशी तिथि 21 सितंबर को होगा जो इस रात 10 बजकर 43 मिनट तक है।
पितृ पक्ष द्वादशी तिथि श्राद्ध तर्पण 22 सितंबरद्वादशी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष द्वादशी तिथि 22 सितंबर को होगा जो इस रात 12 बजकर 29 मिनट तक है। इसी दिन साधु संन्यासियों हो चुके लोगों को भी तर्पण श्राद्ध किया जाएगा।
पितृ पक्ष त्रयोदशी तिथि श्राद्ध तर्पण 23 सितंबरत्रयोदशी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष त्रयोदशी तिथि 23 सितंबर को होगा जो इस रात 1 बजकर 56 मिनट तक है
पितृ पक्ष चतुर्दशी तिथि श्राद्ध तर्पण 24 सितंबरचतुर्दशी तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृ पक्ष चतुर्दशी तिथि 24 सितंबर को होगा जो इस रात 2 बजकर 54 मिनट तक है। पितृपक्ष की चतुर्दशी तिथि को लेकर ऐसी मान्यता है कि जिनकी किसी कारण से अकाल मृत्यु हई है उनका श्राद्ध तर्पण इस दिन करना चाहिए। इस दिन को लेकर ऐसी भी मान्यता है कि जिनकी समान्य मृत्यु मृत्यु चतुर्दशी तिथि में हुई है उनका श्राद्ध तर्पण चतुर्दशी को नहीं करके अमावस्या के दिन ही करना चाहिए।
पितृ पक्ष महालया तिथि श्राद्ध तर्पण 25 सितंबर अमावस्या तिथि को जिनके माता पिता स्वर्गवासी हुए हैं उनका श्राद्ध तर्पण मृत्यु तिथि अनुसार पितृपक्ष अमावस्या तिथि 25 सितंबर को होगा जो इस रात 3 बजकर 23 मिनट तक है। अमावस्या के दिन ही महालया महालया लगता है जिस दिन सर्वपितृ श्राद्ध होता है। इस दिन सभी वापस अपने लोक को लौट जाते हैं। इसलिए श्राद्ध तिथि पर जिनका किसी कारण से श्राद्ध तर्पण नहीं हो पाता है उनके नाम से जल और ब्राह्मण भोजन भी इसी दिन करवाने का नियम है।,,लेख, अमूल्य रत्न न्यूज ब्यूरो चीफ कुशीनगर