
🌹 बहुत गर्मी है भाई।
पसीना रुक ही नहीं रहा।
कहते हुए तुरंत AC का स्विच ऑन कर दिया।
फास्ट कूलिंग के लिए 16 डिग्री पर सेट कर दिया।
लगातार 4 घंटे शीतल हवा खाने के बाद घर के बाहर कदम रखकर कार में बैठ गए और गाड़ी स्टार्ट करके सबसे पहले AC चलाया।
मन ही मन धूप को गाली देते हुए गाड़ी को किसी छांव वाली जगह में पार्क करने के लिए ढूंढने लगे।
कोई पेड़ नहीं मिला जहां छांव हो।
AC क्या करता है?
कभी उसके आगे और पीछे खड़े होकर देखिए।
आगे अगर शीतल हवा है तो इसलिए कि आपके कमरे की गर्मी को वो बिजली का प्रयोग करके बाहर फेंक रहा है।
अब बाहर पेड़ भी नहीं हैं जो थोड़ा बहुत उस गर्मी को शांत कर सके।
तो धीरे धीरे बाहर गर्मी बढ़ती चली जा रही है।
दिन पर दिन AC की संख्या बढ़ रही है।
AC घरों में हैं,
कारों में है,
ऑफिस में है,
फैक्ट्री में है।
शहरों में है,
गांवों में है।
अमीरों के यहां है और तो और कुछ तथाकथित गरीबों के यहां भी है।
ऊपर से बिजली 18 से 20 घंटे आती है।
दनादन पूरे दिन चलता है AC।
बचपन में 6 से 8 घंटे ही आती थी बिजली।
बैटरी इन्वर्टर भी तब प्रचिलित नहीं थे।
हवा के लिए सिर्फ हाथ के पंखे झाले जाते थे।
पेड़ थे जिनकी छांव तले बैठ के गर्मी से थोड़ा बहुत निजात पाते थे।
पर तब इतनी गर्मी भी नहीं थी।
तो बात यह है कि AC कहीं जायेगा नहीं।
यूं ही बाहर गर्मी फेंकता रहेगा।तापमान बढ़ता रहेगा।
घर के बाहर भट्टी बनती रहेगी।
सामाजिक विकास के लिए पेड़ों की बलि चढ़ती रहेगी।
कंक्रीट के जंगल बनते रहेंगे।
लोग झुलसते रहेंगे।
सूरज और बारिश को कोसते रहेंगे।
AC तले बैठ कर पर्यावरण की रक्षा का ज्ञान बांचते रहेंगे।
सही बताएं तो अब पेड़ लगाने से भी कुछ नहीं होने वाला क्योंकि कच्ची जमीन तो बची ही नहीं है।