
उत्तर प्रदेश के सभी जिलों गाजियाबाद,
आगरा,
नोएडा,
अमरोहा,
मेरठ,
हापुड़,
मिर्जापुर,
सोनभद्र,
लखनऊ,
बरेली आदि में पानी के स्रोत सूखते जा रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता रविंद्र आर्य बताते है की ज्यादातर शहरों में पानी की कालाबाजारी के साथ दिन-प्रतिदिन लाखों-करोड़ों रुपये का बिजनेस हो रहा है और लाखों-करोड़ों लीटर जल का दोहन हो रहा हैं।
धड़ल्ले से बिना अनुमति के आर.ओ. प्लांट संचालित किए जा रहे हैं।
वहीं जिम्मेदार जल विभागों का कहना है कि आर.ओ. प्लांट के संचालकों को नहीं पता है कि आर.ओ. प्लांट संचालित करने का लाइसेंस किस विभाग द्वारा दिया जाता है।
जिसका परिणाम ये है कि मानकों को पूरा किए बगैर आर.ओ. प्लांटों का कारोबार पूरे उत्तर प्रदेश में धड़ले से चल रहा है।
जब की वाटर प्लांट के लिए लाइसेंस (वॉटर प्लांट लाइसेंस ) इस व्यापार को चलाने के लिये आरम्भ में ही लाइसेंस के लिए आवेदन करने जरुरत पड़ती है।
इस व्यापार के लिए उ.प्र. सरकार की तरफ से लाइसेंस के साथ एन.ओ.सी. एवं आईएसआई संख्या प्राप्त करने की जरुरत होती है।
जार (जार ऑफ़ वॉटर ) शुरूआती व्यापार के लिए आपको 100 ज़ार खरीदने की आवश्यकता होती है।
मशीनीकृत प्रक्रिया के जरिए जिस पानी को शुद्ध करके पीने लायक बनाया जाता है।
उसे आम भाषा में मिनरल वाटर कहते हैं।
इस मिनरल वाटर को पैकेजिंग कर मार्केट में बेचना ही मिनरल वाटर बिजनेस कहा जाता है।
मिनरल वाटर का बिजनेस शुरू करने के लिए पहले एक कंपनी या फर्म बनाई जाती है।
कंपनी एक्ट के तहत इसका रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। कंपनी का पैन नंबर और जी.एस.टी नंबर, एवं एन.ओ.सी आदि की भी जरूरत होती है।
क्योंकि इसकी हर जगह जरूरत पड़ती है।
वाटर प्लांट लगाने के लिए जमीन, बोरिंग, आर.ओ. और चिलर मशीन व कैन आदि रखने के लिए 1000 से 1500 स्क्वायर फिट जगह तो होनी ही चाहिए। पानी के स्टोरेज के लिए टंकियां बन सकें, इसकी भी व्यवस्था हो।
एवं हार्वेस्टिंग बोरिंग कराना भी जरुरी मानक में आता है।
परन्तु हरवस्टिंग बोरिंग सिस्टम आर.ओ. प्लांट संचालक नहीं लगता जिस कारण प्रतिदिन हजारों लीटर पानी नालियों में बहा दिया जाता है जो की उ.प्र. सरकार 7 अगस्त लखनऊ 2019 एक्ट के अनुसार कानूनी जुर्म है जिसमे जल दोहन दोषी पाए जाने पर 2 लाख से 5 लाख तक जुर्माना एवं 6 महीने से एक साल की सजा का प्रबधान भी है।
लेकिन अधिक जगहों पर ठंडा पानी बेचने का गोरखधंधा किया जा रहा है।
जिले में जिस रफ्तार से बोतलबंद पानी की मांग बढ़ती जा रही है,
उसी रफ्तार से पानी में भी मिलावट की मनमानी बढ़ती जा रही है।
आज बोतलबंद पानी नल के पानी से लगभग 10 हजार गुना ज्यादा महंगा हो चुका है।
उ.प्र. के लगभग सभी जिलों एवं तहसील : जैसे-
गाजियाबाद,
लोनी,
नोएडा,
अमरोहा,
मेरठ,
हापुड़,
बुलंदशहर,
मिर्जापुर,
सोनभद्र,
बागपत,
बरेली,
लखनऊ,
सहारनपुर,
आगरा
आदि में पानी के स्रोत सूखते जा रहे हैं और पानी के सौदागर मालामाल होते जा रहे हैं। जिले में लगभग ६५ प्रतिशत पानी खारा है।
बाकी ३५ प्रतिशत मीठा पानी सिर्फ नदियों और भूमिगत स्रोतों में उपलब्ध है।
मौजूदा जल संकट खतरे की घंटी है।
यही वजह है कि पानी का कारोबार करने वाली फर्म संचालक मालामाल हो रहे हैं।
पिछले कुछ ही वर्षों में बोतल बंद पानी का कारोबार का साल दर साल बढ़ता जा रहा है और संचालकों द्वारा अच्छा टर्नओवर किया जा रहा है।
स्थानीस अधिकारियों अनुसार लाइसेंसशुदा बिक्री का ब्योरा रहता है।
लेकिन बिना लाइसेंस वाली कंपनियों कारोबार बडा होता जा रहा है।
बता दें कि वाटर प्लांट चलाने के लिए क्वालिटी कंट्रोल से लाइसेंस,
जिला के साथ प्रखंडों से संबंधित अस्पताल से अनुमति प्रमाणपत्र एवं पानी की गुणवत्ता जांच के लिए लैब आदि हो तभी काम किया जा सकता है।
प्लांट पर सभी गुणवत्ता व पैरामीटरों को लिखना अनिवार्य होता है।
इससे साथ प्लांट में पानी का नियमित जांच के लिए एक निजी लैब और लैब टेक्नीशियन तैनाती होना चाहिए। साथ ही प्लांट की जांच हमेशा पीएचइडी विभाग से होते रहना चाहिए,
लेकिन प्रखंड में नियम को ताक पर रखकर आर.ओ. मिनरल वाटर प्लांट का संचालन किया जा रहा है।
बिना नाम, पता लिखे करोड़ों लीटर पानी की आपूर्ति प्रतिदिन की जा रही है।
जानकारी के अनुसार आस-पास क्षेत्रों में
गाजियाबाद,
लोनी,
हापुड़,
मेरठ और नोएडा आदि में आर.ओ. के सैकड़ो प्लांट है।
जिसमें एक भी बैध आर.ओ. दुकानदार नहीं है।
उ.प्र. भूजल लघु सिचाई विभाग के नोडल अधिकारीयों हरिओम (गाजियाबाद) हिमाशु ( नोएडा ) स्वनिल (मिर्जापुर, सोनभद्र ) एवं अभिजीत सिंह (लखनऊ) द्वारा बताया गया की जिसका मिलान के बाद उचित सख्त कार्रवाई की जाएगी एवं जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी की अनुमति प्राप्त कर अबैध आर.ओ. प्लांटो की चालान प्रक्रिया द्वारा जुर्माना दो लाख से 5 लाख का जुर्माना किया जायेगा।