
महाशिवरात्रि पर बन रहा 5 ग्रहों का पंचग्रही महासंयोग, ,केदार, योग में महादेव जी का विवाह
महराजगंज,आर्यावर्त अंक ज्योतिष विज्ञान केंद्र महराजगंज के संस्थापक ज्योतिर्विद आचार्य लोकनाथ तिवारी के अनुसार इस साल दिनांक 01 मार्च 2022 दिन मंगलवार को शिव रात्रि मनाया जायगा।
महाशिवरात्रि पर इस साल ग्रहों का शुभ संयोग बन रहा है। मकर राशि के बारहवें भाव में पंचग्रही योग का निर्माण हो रहा है। इस राशि में मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा और शनि विराजमान होंगे।
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महाशिवरात्रि के दिन सुबह 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से दोपहर 02 बजकर 53 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा। शाम 05 बजकर 48 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा। पूजा बिधि–
1. मिट्टी या तांबे के लोटे में पानी या दूध भरकर ऊपर से बेलपत्र, आक-धतूरे के फूल, चावल आदि शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।
2. महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्र या शिव के पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन रात्रि जागरण का भी विधान है।
3. शास्त्रों के अनुसार, महाशिवरात्रि का पूजा निशील काल में करना उत्तम माना गया है। हालांकि भक्त अपनी सुविधानुसार भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को देवाधिदेव महादेव को समर्पित महाशिवरात्रि का महापर्व मनाया जाएगा। इस बार महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग के साथ ही केदार योग का महासंयोग निर्मित हो रहा है। इस महासंयोग में की गई महादेव की आराधना पुण्यफलदायी और सर्वमनोरथ को पूर्ण करने वाली होगी।
आचार्य लोकनाथ तिवारी ने बताया कि महाशिवरात्रि के एक दिन पहले यानि 28 फरवरी को सोम प्रदोष व्रत रहेगा। एक मार्च को महाशिवरात्रि और दो मार्च को अमावस्या का विशेष पूजन अनुष्ठान संपन्न होगा। इस बार शिव पूजा का लाभ प्रत्येक सनातन धर्म को मानने वाले को प्राप्त करना चाहिये य दुर्लभ संयोग कभी कभी मिलता है ।
मकर राशि में शुक्र, मंगल, बुध, चंद्र, शनि के संयोग के साथ ही केदार योग भी बनेगा, जो पूजा उपासना के लिए विशेष कल्याणकारी है। शिव पूजन का संयोग 28 फरवरी यानी सोमवार को प्रदोष से शुरू होगा।
ज्योतिर्विद लोकनाथ तिवारी ने बताया कि शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि एक मार्च को प्रात: 3:16 मिनट से 2 मार्च रात्रि एक बजे तक रहेगी। शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग बन रहा है और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। वहीं परिध योग के बाद से शिव योग शुरू हो जाएगा।
इसके साथ ही शिव पूजन के समय केदार योग रहेगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसके बाद भोलेनाथ ने वैराग्य का जीवन त्यागकर गृहस्थ जीवन अपनाया था। इस दिन व्रत रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है।