बस बहुत हुआ जब देखो काम ही काम …आज मै कुछ नही करने वाली…. मानसी कुछ नाराज सी होते हुए अपने पति कमल और दोनों बच्चों सुमित और आराध्या से बोली
अरे भाई क्या हुआ जरा हमें भी तो पता चले हमारी महारानी आज गुस्से में कयुं है कमलबाबू मुस्कुराते हुए मानसी की और देखकर बोले वहीं दोनों बच्चे भी हैरानी से अपनी मां को देख रहे थे कि आखिर आज मां ने ऐसा कयुं कहा
क्या ….. जैसे आप लोगों को कुछ पता ही नहीं आपकी रविवार को छुट्टी इन दोनों की स्कूल की छुट्टी एक में ही हूं जिसकी कोई छुट्टी नहीं होती मुझे भी छुट्टी चाहिए बस … और अब तो व्हाट्सएप पर फेसबुक पर भी चल रहा है कि औरतो के लिये रविवार नही आता आज तो मै अपना रविवार मना कर ही रहूंगी बस मुझे भी छुट्टी चाहिए
ओह तो ये बात है इसलिए आपका मूड खराब है ठीक है चलो आजसे आपको आपका रविवार मनाने का मौका दिया…कयुं बच्चों …
ठीक है मां…. आज आप आराम करिये आज सारा खाना मै बनाउगीं आराध्या बोली
बेटा सुमित बोला…. हां मम्मी मै पापा के साथ मिलकर नाश्ता बनाउगां … सुधा ने जैसे ही ये सुना वह खुशी से फूलकर कुप्पा हो गई और जाकर बालकनी मे अखबार लेकर बैठ गई…
वाह… क्या बात है आज वो भी उस गुनगुनी धूप का भरपूर आनन्द लेगी जिस पर तकरीबन हर रविवार सुबह सात बजे से दस बजे तक केवल उसके पतिदेव कमलबाबू का हक था
लगभग आधा घंटा बीत चुका था और अबतक किसी ने नाश्ते के लिए उसे आवाज नहीं दी थी जबकि वो अबतक सभी को उनकी मनपसंद का नाश्ता करवा चुकी होती थी आखिर उसने बेटी को आवाज दी अरे क्या हुआ ..
बस मम्मा ब्रेकफास्ट तैयार है दो मिनट में ही पतिदेव हाथ मे ट्रे लिये आ गये सबके साथ सैन्डविच और चाय का आनन्द लिया गया इसके बाद दोनो बच्चे और पतिदेव काम मे लग गये बालकनी से कमरे में आकर मानसी ने टीवी चला लिया मगर थोड़ी देर देखने के बाद ऊबने लगी तो सोचा कमरे का समान ही सुधार ले हाथ मे चादर तह करने को उठाई थी कि प्यारे पतिदेव ने हाथ से ले ली और बोले आज आपका रविवार है आज आपको कुछ काम नही करना … करना है तो बस आराम और चादर हाथों से ले ली
दोपहर का खाना बेटी और बेटे के साथ पतिदेव को बड़ी मेहनत से बनाते हुए देखकर उसका मन खुश हो गया था
शाम होते होते बच्चे और पति जी थककर चूर हो गये थे सुधा ने कहा …चलो अब बहुत हुआ शाम को मै खाना बना लूंगी…
जी नही ….शाम का खाना बाजार से मंगा लेते है कमलबाबू ने कहा तो दोनों बच्चे खुशी खुशी तैयार हो गए सुधा के बहुत बार मना करने पर भी खाना बाजार से ही आया …..
खैर….रात होते होते दोनो बच्चे सुमित और आराध्या खाना खा कर सोने चले गये वहीं कमलबाबू का भी थकान से बुरा हाल था
मानसी ने कहा आप आराम करिए…..अब ताले वगैरह मै लगा लूगी
पर तुम तो आज छुट्टी पर हो ना … कमलबाबू बिस्तर पर बैठे हुए बोले
मानसी आंखें भरकर कमलबाबू के हाथों को थामकर बोली… नहीं जी…. बंधन मे जो सुख है वो मुक्ति मे कहां मै तो एक दिन की छुट्टी मे ही बोर हो गई …
सच कहूं …. ईश्वर ने हम स्त्रीयों को शायद ये ममता और त्याग के बीजों के साथ बनाया है कहने को तो कह दिया मगर अपने परिवार को काम पर बिठाकर कोई भी स्त्री स्वयं कभी आराम कर ही नहीं सकती
हां …सच कहा तुमने मानसी …. मगर इस रविवार ने हमें एक सीख जरुर दे दी है कि एक अकेला थक जाएगा मिलकर बोझ उठाना साथी हाथ बढ़ाना …
कहकर एकबार फिर से कमलबाबू ने मानसी के हाथों को चूमकर थाम लिया
एक सुंदर रचना…
#दीप..🙏🙏🙏