
संजीव कुमार मेरे प्रिय अभिनेता रहे हैं।
जया बच्चन के साथ उनकी जोड़ी मुझे बहुत पसंद आती थी।
कोशिश,अनामिका, नया दिन नई रात के बाद मुझे लगता था यह दोनों सच में पति-पत्नी हैं।
बहुत बाद में पता चला कि ‘सिलसिला’ फिल्म में जया को धोखा देने वाले अमित ही उनकी असल जिंदगी के पति हैं।
हरि भाई यानि संजीव कुमार को तो वह अपना भाई मानती थीं।
उसके बाद दस्तक में रेहाना सुल्तान, अनुभव में तनुजा, गौरी में नूतन, खिलौना में मुमताज, अंगूर में मौसमी चटर्जी, दासी में रेखा, पति-पत्नी और वो में रंजीता और विद्या सिन्हा, मनचली में लीना चंद्रावरकर और आंधी में सुचित्रा सेन जैसी नायिकाओं के साथ उनकी अलग-अलग फिल्में आईं।
मुझे वह शर्मिला टैगोर के साथ भी बहुत अच्छे लगे ।
‘मौसम’, ‘नमकीन’ में इन दोनों कलाकारों ने बेहतरीन काम किया है।
असल जिंदगी में संजीव कुमार ख़ुद जिनके साथ जोड़ी बनाना चाहते थे वह थीं हेमा मालिनी।
महज 47 साल की उम्र में संजीव कुमार इस दुनिया से चले गए और उनके जाने का इल्ज़ाम लोग अक्सर हेमा मालिनी के सिर मढ़ देते हैं कि उनकी इनकार से से संजीव कुमार का दिल टूटा तो फिर वह शराब के नशे में डूबते चले गए और ह्रदयाघात ने उनकी जान ले ली, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है क्योंकि हेमा जी को पाने की ख़ुशी में जो धरम जी रात दिन पी रहे हैं, उन्हें तो अब तक कुछ नहीं हुआ ।
बहरहाल संजीव कुमार के जल्दी जाने का कारण पीने से कहीं ज्यादा खाना हो सकता है।
जी हां !
हरि भाई को खाने का बहुत ज़्यादा शौक था। कहते हैं कि मुंबई में उनका अपना कोई घर नहीं था, लेकिन ऊटी में उन्होंने एक रेस्टोरेंट ज़रूर खरीदा था।
संघर्ष ,सत्यकाम ,आशीर्वाद, गौरी, दस्तक, जैसी शुरुआती फिल्मों में संजीव ज़रुर थोड़ा फिट दिखे हैं लेकिन बाद की कोशिश ,आंधी, मौसम, चरित्रहीन, शोले, नमकीन, अंगूर, हीरो जैसी फिल्मों में वह लगातार मोटे होते चले गए।
मीना कुमारी के बाद एक वही कलाकार थे जिनके निरंतर बढ़ते मोटापे का निर्माता-निर्देशकों पर कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि वह जानते थे कि संजीव कुमार की असली अदाकारी छुपी है उनके चेहरे में ।
अपनी आंखों और चेहरे के हाव-भाव मात्र से भी वह सब कुछ कह सकते थे।
अपने मोटापे के हिसाब से उनकी पसंदीदा ड्रेस थी ‘कुर्ता-पजामा’।
लोग उनकी सादगी की मिसाल दिया करते थे कि देखो हरि भाई कुर्ता पजामा पहनकर बस में सफर किया करते हैं, मगर उनका यही सादापन हेमा जी को पसंद नहीं आया और उन्होंने उनसे शादी का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
इधर संजीव कुमार पर जो फिदा थीं उनमें सुलक्षणा पंडित और जयश्री टी नाम शामिल था।
ठीक संजीव कुमार की मृत्यु के दिन ही जयश्री टी के घर में किसी बच्चे का जन्म हुआ ।
उस बच्चे को उनका पुनर्जन्म मानते हुए वह तो संभल गईं जबकि सुलक्षणा पंडित यह धक्का सहन न कर सकीं और अवसाद में चली गईं।
सुलक्षणा जी जैसे अन्य उनके लाखों प्रशंसकों को भी संजीव कुमार के जाने से गहरा आघात पहुंचा। हिंदी सिनेमा में लंबे अरसे से खाली उनकी जगह को भरता कोई अन्य कलाकार दिखता भी नहीं।
सच यही है कि संजीव कुमार जैसे संपूर्ण कलाकार सदियों में एक बार पैदा होते हैं।
#संजीवकुमार
9 जुलाई 1938