
मेरे दोस्त के साथ संभोग करके देखो तुम्हें काफी अच्छा लगेगा क्योंकि मैं भी उसकी पत्नी के साथ संभोग करना चाहता हूं जब मेरी शादी अमित से हुई, तो मैं बेहद खुश थी। वो एक केयरिंग पति और एक रोमांटिक साथी थे। शादी के शुरुआती दिन किसी खूबसूरत ख्वाब जैसे थे — हम हर पल एक-दूसरे में खोए रहते, और मैं सोचती थी कि वक्त के साथ हमारा प्यार और भी गहरा होगा।
मगर धीरे-धीरे जैसे ही ज़िंदगी की जिम्मेदारियां बढ़ीं, हमारे बीच की नज़दीकियाँ कम होने लगीं। यह शायद स्वाभाविक था, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे रिश्ते से वह भावनात्मक गर्माहट कम हो जाएगी। जब शारीरिक संबंधों में दूरी बढ़ने लगी, तो मैंने अमित से पूछा, “क्या अब आप मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते?” उन्होंने जवाब दिया, “मैं अब भी तुमसे उतना ही प्यार करता हूं, लेकिन समय के साथ ज़रूरतें बदलती हैं।”
उसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिसने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। अमित ने मुझसे पूछा, “क्या तुम मेरे दोस्त के साथ संबंध बनाना चाहोगी?” मैं अवाक रह गई। गुस्से और हैरानी से मैंने कहा, “आप कैसी बातें कर रहे हैं? मैं अपने पति के अलावा किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती।” मगर अमित ने इसे ‘एक नया अनुभव’ बताते हुए समझाने की कोशिश की कि इससे हमारे रिश्ते में नयापन आएगा।
उन्होंने इसे ‘वाइफ स्वैपिंग’ या ‘पार्टनर एक्सचेंज’ कहा। मैं स्तब्ध थी। इस मानसिकता को समझने के लिए मैंने एक मनोचिकित्सक से बात की, जिन्होंने बताया कि कुछ लोग रिश्तों में नयापन लाने के लिए इस तरह के चलन का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
एक बार, केवल अमित के दबाव में, मैंने उनकी एक पार्टी में जाने का फैसला किया जहां यह सब होता था। वहां का माहौल देखकर मैं भीतर तक असहज हो गई। यह सब मेरे आत्मसम्मान और भावनात्मक सीमाओं के खिलाफ था।
घर लौटने पर मैंने अमित से स्पष्ट शब्दों में कहा, “मैं तुम्हारे साथ बहुत कुछ सह सकती हूं, लेकिन अपनी आत्मा और आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकती। अगर तुम्हारे लिए यह जरूरी है, तो हमारे रास्ते यहीं अलग हो जाते हैं।” मैंने तलाक का निर्णय ले लिया, क्योंकि मेरे लिए मेरी मर्यादा सबसे ऊपर थी।
इस अनुभव ने मुझे यह सिखाया कि आज की आधुनिकता की दौड़ में रिश्तों की पवित्रता खोती जा रही है। इंटरनेट और फिल्मों की रंगीन दुनिया असल ज़िंदगी की सच्चाई को धुंधला कर रही है।
अगर आप मेरी जगह होते, तो क्या करते? क्या आप किसी की खुशी के लिए खुद को बदलते या अपने आत्मसम्मान के लिए वो रिश्ता छोड़ देते?
*लेख – शालिनी सिंह कानपुर*