
शीर्षक:- *अनाथ*
“कहाँ मर गयी?
और कितनी आवाज लगानी पड़ेगी?
जल्दी से भैया का दूध गर्म करके लेकर आ।
देख नहीं रही कि भैया भूख के कारण लगातार रोता जा रहा है।”
राधा ने गुस्से से तेज़ आवाज में दस वर्षीय आराध्या से कहा।
“बस अभी लायी मम्मी।
थोड़ा सा स्कूल का काम बाकी रह गया था,
वही कर रही थी।”
आराध्या ने जवाब दिया।
“जब देखो पढ़ाई-पढ़ाई।
कोई और काम है कि नहीं है।
एक बार में बात सुन लिया कर।
नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।”
राधा ने आराध्या को धमकाते हुए कहा।
यह सुनकर आराध्या खामोश हो गयी।
अमन व राधा खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे थे लेकिन शादी के पाँच साल गुजर जाने के बाद…
राधा का खूब इलाज करवाने के बावजूद,
उनके कोई औलाद न हुई।
निराश होकर मजबूरन उन्हें अनाथाश्रम से एक चार वर्ष की बच्ची गोद लेनी पड़ी।
उन्होंने उस बच्ची का नाम आराध्या रखा।
शुरुआत में आराध्या को अमन व राधा ने बहुत प्यार व दुलार दिया, उसकी हर जरूरत का ध्यान रखा लेकिन यह सब मात्र कुछ वर्षों के लिए ही था।
ईश्वरीय चमत्कार से आराध्या के आने के 4 वर्ष बाद एक दिन राधा प्रेग्नेंट हो गयी,
उसने एक बेटे को जन्म दिया।
उसका नाम उन्होंने अर्पित रखा।
अर्पित के पैदा होने के बाद अमन व राधा का व्यवहार आराध्या के प्रति बदल गया।
वे उसे अब पहले जैसा प्यार-दुलार नहीं करते थे।
अर्पित उनका अपना खून था इसलिए उसके प्रति सबका झुकाव होता चला गया।
आराध्या की हर जगह बेकद्री होने लगी।
उसका प्रवेश प्राइवेट स्कूल से हटाकर सरकारी स्कूल में करवा दिया गया।
अमन व राधा का पूरा समय अब अर्पित को समर्पित था।
मात्र दस साल की आराध्या से घर के सारे काम करवाये जाने लगे।
उसके साथ नौकरानी की तरह व्यवहार किया जाने लगा।
उस पर स्कूल न जाकर,
घर रहकर भैया अर्पित का ध्यान रखने का दबाव बनाया जाने लगा जबकि उसका मन पढ़ाई में ज्यादा लगता था।
उस घर में अर्पित पैदा क्या हुआ?
आराध्या की दुर्गति शुरू हो गयी,
उसके खान-पान, पढ़ाई लिखाई आदि का ध्यान रखना बिल्कुल बन्द हो गया।
आराध्या यह सब देखकर बहुत दुखी होती।
दस वर्ष बीत गए।
आराध्या ने इस आस में सब कुछ बर्दाश्त किया…
नौकरानी की तरह दिन रात लगकर घर के सब काम किये ताकि एक दिन अर्पित के बड़ा होने के बाद, राधा व अमन को अपनी गलती का एहसास होगा।
वे उसे फिर से पहले जैसा प्यार दुलार करेंगे और उसे गले से लगा लेंगे। बहुत जल्द ही उसका यह भरम उस दिन टूट गया।
एक दिन आराध्या भाग भागकर घर के काम कर रही थी।
गलती से उसके हाथ से फूलदान गिरकर टूट गया।
भाई अर्पित ने आव देखा न ताव, एक डंडा लाकर आराध्या को पीटने लग गया।
आराध्या रोने लगी।
उसने भी उसकी छड़ी छीनकर उसके भी दो तीन डंडे लगा दिए।
अर्पित के रोने की आवाज सुनकर राधा भागी हुई आयी और दो कसकर झापड़ लगाकर आराध्या को खींचकर कमरे में ले गयी और बोली-
“अनाथालय की लड़की,
तेरी इतनी हिम्मत… तू मेरे बेटे को पीटेगी?
तुझे हमने नाम दिया, घर दिया, अच्छा खाने पीने को दिया…
एहसान मानने के बजाय मेरे बेटे पर हाथ उठाती है…
कमीनी कहीं की…”
आराध्या शून्य में ताकती रह गई।
क्या अब वह अनाथ नहीं है?
क्या अब वह अनाथालय में नहीं रहती?
क्या वह वास्तव में उनके लिए बोझ है?
उनके लिए महत्वहीन है?
क्या कभी उसे अपने परिवार का हिस्सा माना गया था?
वह अनाथ अब है या तब थी, जब वह अनाथालय में थी?
वह यह समझ नहीं पा रही थी।
उसी वक़्त आराध्या ने फैसला किया कि वह अब इस घर में और नहीं रहेगी।
उसने चुपके से अपना सामान पैक किया और घर से निकल गयी।
जब अमन और राधा को पता चला कि आराध्या घर छोड़कर चली गई है,
तो वे बहुत परेशान हो गए।
अमन और राधा ने आराध्या को ढूंढने की कोशिश की,
लेकिन वह नहीं मिली।
उन्हें अपनी गलती का एहसास होने लगा था।
वे समझ गए थे कि आराध्या उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी?
कुछ समय बाद, अमन और राधा को एक पत्र मिला जिसमें आराध्या ने लिखा था- ‘मैं सुरक्षित हूँ और खुश भी।
आप लोग मुझे ढूंढने की कोशिश न करें।’
इसके साथ ही उसने लिखा था- ‘मम्मी-पापा, मैं आपको कभी माफ नहीं करूँगी।।
आपने मेरे साथ बहुत बुरा सलूक किया है।
अर्पित के पैदा होने के बाद आपने हमेशा मुझे गैर होने व अनाथ होने का एहसास पल पल याद दिलाया है।
आपकी नजर में अर्पित और मैं बराबर होने चाहिए थे, लेकिन आपने भेदभाव किया।
यह गलत है। ऐसा किसी के साथ नहीं होना चाहिए।
हर माँ बाप को अपने सभी बच्चों के साथ प्यार व सम्मान से पेश आना चाहिए।
हर बच्चे को अपने माता पिता का प्यार, दुलार, अपनापन, सहयोग और स्वीकृति मिलनी चाहिए, चाहें वह अनाथ हो या नहीं…
किसी को अपनाओ तो दिल से अपनाओ..
न कि अपनी जरूरत पूरे करने के लिए।’
पत्र पढ़कर अमन और राधा को एहसास हुआ कि उन्होंने अपनी बेटी को खो दिया है।
एक ऐसी बेटी जिसके आने के बाद राधा दैवीय चमत्कार से गर्भवती हुई और बेटा अर्पित पैदा हुआ।
पत्र पढ़कर अमन और राधा ने फैसला किया कि वे अपनी गलती को सुधारेंगे और आराध्या को ढूंढने की कोशिश करेंगे।
वे उसे अपने परिवार का हिस्सा बनाएंगे और उसकी हर जरूरत का ध्यान रखेंगे।
जो गलती उनसे हुई है, वह गलती अब नहीं दोहराएंगे।
क्या अमन और राधा आराध्या को ढूंढ पाएंगे?
क्या वे अपनी गलती को सुधार पाएंगे?
यह तो समय ही बताएगा।
लेकिन एक बात तय है कि आराध्या की अनुपस्थिति ने अमन और राधा को उसकी परिवार में अहमियत बता दी थी।
इसका एक मतलब यह भी था कि जो नौकरानी का काम आराध्या से लिया जा रहा था, वह अब राधा को करना पड़ा।
लेख – दीपक कश्यप