
यही है वो कार जिस पर बैठकर नाथूराम गोडसे आया था महात्मा गांधी की हत्या करने के लिए
अपने जमाने की मशहूर कार कंपनी स्टडबेकर ने इस कार को जौनपुर के महाराजा यादवेन्द्र दत्त दूबे के कहने पर बनाया था
यूएसएफ 73 रजिस्ट्रेशन वाली ये कार 1930 में भारत आई थी
जौनपुर के महाराजा यादवेन्द्र दत्त दूबे और गोडसे एक ही संगठन के थे इसलिए दूबे जी ने गांधी के हत्या के लिए ये कार गोडसे को दिया था
हत्या के बाद ये कार बहुत दिनों तक दिल्ली पुलिस के मालखाने में रही जहा 1978 में कलकत्ता के एक व्यापारी ने इसे खरीद लिया
कलकत्ता के व्यापारी से इस कार को बनारस के महाराजा विभूति नारायण सिंह ने खरीदा मगर वो भी इसका प्रयोग नहीं करते थे इसलिए वहां भी ये खड़ी ही रही
राजा साहब से इस कार को कमाल खान ने खरीदा और कमाल खान ने इसे फिर दिल्ली के एक परवेज नाम के व्यक्ति को बेच दिया
2000 से ही ये कार दिल्ली में है और विंटेज कार रैली में पुरूस्कार वगैरा भी जीतती है
इस कार के आगे बोल्ड अक्षरों में ” किलर ” भी लिखा हुआ है!