
थाना प्रभारी शैलेश राय पर एफआईआर दर्ज़ करने का आदेश – सरकारी कार्यशैली की चौंकाने वाली तस्वीर
स्वतंत्र पत्रकार चंदन दुबे एन्टिकरप्शन मीडिया न्यूज
मीरजापुर के जिगना थाना प्रभारी शैलेश राय पर गंभीर आरोपों के चलते न्यायालय ने एफआईआर दर्ज़ करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने थाना प्रभारी शैलेश राय, एसआई सुभाष यादव और चार अन्य पर प्राथमिकी दर्ज़ कर विवेचना शुरू करने का आदेश दिया है। इस आदेश से साफ हो गया है कि सरकारी पदों पर बैठे लोग भी कानून के दायरे में आते हैं, लेकिन क्या इस आदेश के बाद भी सच्चाई सामने आएगी?
प्रार्थी का दुखड़ा और पुलिस की करतूत
सभा शंकर दूबे, एक इज्जतदार और कानून का पालन करने वाला व्यक्ति, ने जिगना थाना प्रभारी शैलेश राय और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रार्थी का कहना है कि पुलिसकर्मियों ने उसके घर में घुसकर न केवल तोड़फोड़ की, बल्कि महिलाओं के साथ भी दुर्व्यवहार किया। शैलेश राय और उनके सहयोगियों ने प्रार्थी को धमकी दी कि अगर उसने किसी के खिलाफ शिकायत की तो उसे झूठे मुकदमों में फंसाया जाएगा। इसके बाद प्रार्थी ने पुलिस अधीक्षक और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई।
चोरों को पुलिस का कंधा’
शैलेश राय की कार्यशैली के बारे में सुनकर कोई भी कह सकता है कि “चोरों को पुलिस का कंधा मिल गया है।” थाना प्रभारी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग कर विवादित जमीन पर कब्जा करवा लिया और सच्चाई के पक्षधर प्रार्थी की जान की भी परवाह नहीं की। कोर्ट में प्रार्थी के अधिवक्ता विष्णु सागर पांडेय ने इस मुद्दे को उठाया, जिसके बाद न्यायालय ने सख्त आदेश जारी किए हैं।
आय से अधिक संपत्ति और विवादित पृष्ठभूमि
जगह-जगह विवादों में घिरे रहे शैलेश राय पर आय से अधिक संपत्ति का मामला भी उठ सकता है। पहले भी शैलेश राय पर आरोप लग चुके हैं, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने पद की ताकत का हवाला देकर इन आरोपों को नजरअंदाज किया। सवाल उठता है कि जब बिल्ली दूध की रखवाली कर रही हो, तो दूध कैसे बचेगा? यही स्थिति आज मीरजापुर में देखने को मिल रही है।
सरकारी लापरवाही और संवैधानिक नियमों की धज्जियाँ
सरकारी तंत्र की लापरवाही ने इस मामले को और पेचीदा बना दिया है। न्यायालय के आदेश के बावजूद, यह देखने की आवश्यकता है कि क्या स्थानीय पुलिस इस आदेश को अमल में लाएगी या फिर यह मामला भी ठंडे बस्ते में चला जाएगा। सरकारी नियमों और संवैधानिक दायित्वों की धज्जियाँ उड़ाते हुए यह घटनाक्रम मीरजापुर की एक और काली तस्वीर पेश करता है।
विवाद की जड़ और भविष्य की राह
उपलब्ध साक्ष्यों और प्रार्थी के बयान के अनुसार, शैलेश राय और उनके सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई अपेक्षित है। यदि न्याय की गंगा अब भी मीरजापुर में बहती है, तो यह महत्वपूर्ण होगा कि दोषियों को सजा मिले और पीड़ितों को न्याय प्राप्त हो। वकील विष्णु सागर पांडेय ने अब इस मुद्दे को न्यायालय में उठाया है, उम्मीद है कि न्यायालय की कार्रवाइयों से स्थिति में सुधार होगा।
यह मामला यह स्पष्ट करता है कि सरकारी तंत्र में बैठे लोग भी कानून के दायरे में आते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई करना आवश्यक है। मीरजापुर की इस कहानी ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा ‘सत्यमेव जयते’ का नारा महज एक बयान बनकर रह जाएगा।