एन्टिकरप्शन मीडिया न्यूज संवाददाता – शिवम् राज गोरखपुरी
समृद्ध जन कल्याण सामाजिक संस्थान के तत्वाधान मे संस्थान के अध्यक्ष अमित सिंह सूर्यवंशी के निर्देशानुसार जनपद बाराबंकी के
जहांगीराबाद में महिलाओ को स्वावलम्बी बनाए जाने की दिशा के क्रम में चल रहे प्रशिक्षण केंद्र के द्वारा प्रशिक्षित महिलाओ बलिकाओ को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया जिसमें जिला मंत्री भारतीय जनता पार्टी शिल्पी सिंह, संस्थान की सचिव दीपा सिंह, पत्राकार अमन मिश्रा प्रशिक्षिका सर्वेश कुमारी उत्तम सिंह आदि लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम का संपन्न हुआ इसी क्रम अमित सिंह सूर्यवंशी जी ने कहा कि मुख्य रूप से महिलाओं को स्वतंत्र बनाने की प्रथा को संस्थान संदर्भित करता है ताकि वे अपने निर्णय स्वयं ले सकें और साथ ही बिना किसी पारिवारिक या सामाजिक प्रतिबंध के अपने जीवन का प्रबंधन कर सकें। सरल शब्दों में, यह महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने का अधिकार देता है। चूंकि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं पर हमेशा से अत्याचार होता रहा है, इसलिए महिला सशक्तिकरण का मुख्य उद्देश्य उन्हें पुरुषों के बराबर खड़ा होने में मदद करना है। यह एक परिवार के साथ-साथ देश की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए एक मौलिक कदम है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, दुनिया निश्चित रूप से लैंगिक समानता देखेगी और समाज के हर वर्ग की महिलाओं को अपने लिए खड़े होने और अपनी इच्छा के अनुसार अपना जीवन जीने में मदद करेगी। और हमारे संस्थान द्वारा महिलाओं / बालिकाओं स्वावलंबी बनाने के लिए जागरूकता अभियान एवं नाना प्रकार का प्रशिक्षण दिलाया जाता है साथ ही साथ निशुल्क विधि परामर्श भी प्रदान कराता हूं!
इसी क्रम संस्थान की सचिव दीपा सिंह ने कहा कि महिला सशक्तिकरण में यह सुनिश्चित करना ही शामिल नहीं है कि महिलाओं को उनके बुनियादी अधिकार मिलें। अपने वास्तविक रूप में, महिला सशक्तिकरण में स्वतंत्रता, समानता के साथ-साथ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पहलू भी शामिल हैं। इसके माध्यम से, वास्तविक प्रयास यह सुनिश्चित करने में निहित है कि हम लैंगिक समानता लाएँ। सही सहयोग मिलने से महिलाओं ने हर क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। भारत में भी, हमने महिलाओं को प्रधान मंत्री, अंतरिक्ष यात्री, उद्यमी, बैंकर और कई अन्य भूमिकाओं में देखा है। इसके अलावा महिलाओं को परिवार की रीढ़ भी माना जाता है। घर के कामकाज से लेकर बच्चे के पालन-पोषण तक वह कई जिम्मेदारियां संभालती हैं। यही कारण है कि वे मल्टीटास्किंग में माहिर हैं और अक्सर कई कामकाजी महिलाएं पेशेवर और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों के बीच कुशलता से काम करती हैं। जहां शहरों में महिलाएं कामकाजी हैं, वहीं ग्रामीण इलाकों ने उन्हें घरेलू कामकाज तक ही सीमित कर दिया है। भारत एक ऐसा देश है जहां हम देवी-देवताओं की पूजा करते हैं, जबकि हम लैंगिक समानता के बारे में सोचने की जहमत नहीं उठाते।