
जब कोई छात्र पहली बार पटना में तैयारी के लिए घर से निकलता है,
तो उसके माता-पिता यही कहते हैं, “बेटा, मेरे पास पैसा कम है, मन लगाकर पढ़ना।
” पटना में 10×10 का कमरा भी आज 2000-3000 रुपये प्रति माह के हिसाब से मिलता है।
पढ़ने वाले छात्र अपनी किताबें खरीदने के लिए ऑटो से नहीं,
बल्कि पैदल चलते हैं ताकि 20 रुपये किराए के बच जाएं और वे दो टाइम सब्जी खरीद सकें।
उनके चेहरे की रौनक धंस जाती है और माथे पर तनाव की लकीरें साफ दिखाई देने लगती हैं।
दो टाइम के बजाय एक टाइम खाना बनता है ताकि पैसा बचे और वे किसी परीक्षा का फॉर्म भर सकें।
घर से पैसा बहुत लिमिट में मिलता है।
कभी-कभी बाहर की मिठाई खाने का मन होता है तो चीनी खाकर अनुभव करना पड़ता है कि उन्होंने रसमलाई खा ली है।
बहुत ही संघर्ष और तप जैसी जिंदगी पटना जैसे शहर में जीने के बाद, जब कोई भर्ती आती है, तो 1000 पदों के लिए लाखों आवेदन आते हैं।
पढ़ने वाले के घर से फोन आता है,
“बेटा,
इस भर्ती में बढ़िया से पढ़ना।”
घर वालों की उम्मीदों के बोझ से फिर से टेंशन बढ़ जाती है।
फिर भी लाखों लोगों को पीछे धकेल कर परीक्षा में पास होते हैं।
घर,
परिवार,
समाज और स्वयं को लगता है कि अब नौकरी मिल गई है,
कोई टेंशन की बात नहीं है।
बस ज्वाइनिंग रह गई है।
दोस्तों और रिश्तेदारों को पार्टी भी दे देते हैं। फिर दो साल तक इंतजार करते हैं कि अब ज्वाइनिंग होगी,
लेकिन उसी बीच नया आदेश आता है कि भर्ती की परीक्षा रद्द हो गई है।
क्या महसूस होता होगा उस पास हुए छात्र के ऊपर?
दस साल से पढ़ाई कर रहे हैं,
कोई भर्ती आती नहीं है।
एक भर्ती आई,
पास भी हुए,
अब उसे रद्द करना क्या न्यायोचित है?
आटा गूंथते समय गर्मी में पसीना इस कदर गिरता है जैसे लगता है कि शरीर से चिल्का झील का पानी निकल रहा है।
सर के बाल तख्त,
टेबल,
कुर्सी पर ऐसे गिरते हैं जैसे किसी नाई की दुकान हो।
रोटियां बनाते-बनाते जिंदगी भी रोटी जैसी हो जाती है।
पढ़ाई करने वाले छात्र घर पर ही रोटी,
सब्जी,
चावल,
दाल सब एक साथ खाते हैं।
रूम पर तो कभी एक साथ नहीं बनता है।
बनेगा भी कैसे,
क्योंकि घर से इतना पैसा नहीं मिलता है।
जब गैस भराना होता है,
तो दोस्तों से या बगल वाले भैया से उधार लेना पड़ता है।
जिस दिन रूम का किराया देना पड़ता है,
वह दिन सबसे कठिन होता है।
यह संघर्ष की कहानी पटना में तैयारी कर रहे हर छात्र की हकीकत है।
लेकिन वे उम्मीद नहीं छोड़ते, वे जानते हैं कि उनकी मेहनत और संघर्ष एक दिन जरूर रंग लाएगा।