
🌷काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग🌷
काशी विश्वनाथ मंदिर शिव भगवान को समर्पित है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी जिले में पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर बना हुआ है। काशी विश्वनाथ मंदिर शिव भगवान के 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। मंदिर के प्रमुख देवता ‘विश्वनाथ’ और ‘विश्वेश्वरा’ हैं, जिसका अर्थ ब्रह्माण्ड के शासक से है। वाराणसी को काशी के नाम से भी जानते हैं, इसलिए यह मंदिर “काशी विश्वनाथ मंदिर” के नाम से प्रसिद्ध है। यहाँ वाम रूप में स्थापित विश्वनाथ शक्ति की देवी माँ भगवती के साथ विराजते हैं, यह अद्भुत है। ऐसा दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आदि शंकराचार्य, सन्त एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद, गोस्वामी तुलसीदास जैसे बड़े महापुरुष आ चुके हैं।
इंदौर की मराठा शासक अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर के वर्तमान आकार को सन. 1780 में बनवाया था। मंदिर का शिखर सोने का बना हुआ है, इसे महाराजा रणजीत सिंह के द्वारा बनवाया गया। हिंदू धर्म में काशी विश्वनाथ मंदिर का अधिक महत्व है। काशी तीनों लोकों में अलग नगरी है, जो शिव भगवान के त्रिशूल पर विराजती है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के संबंध में श्लोक-
सानंदमानंदवने वसंतमानंदकंद हतपापवृंदम्।
वाराणसीनाथमनाथनाथम्, श्री विश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।
भावार्थ :
जो भगवान् शंकर आनन्दवन काशी क्षेत्र में आनन्दपूर्वक निवास करते हैं, जो परमानन्द के निधान एवं आदिकारण हैं, और जो पाप समूह का नाश करने वाले हैं, ऐसे अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ की मैं शरण में जाता हूँ ।
कथा
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिग के सम्बंध में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं। एक प्राचीन कथा के अनुसार शिव भगवान के पार्वती जी से विवाह करने के बाद कैलाश पर्वत पर निवास करने से पार्वती जी नाराज रहने लगीं, उन्होंने अपने मन की इच्छा शिव भगवान के सामने रखी। पार्वती जी की बात सुनकर शिव भगवान कैलाश पर्वत को छोड़कर काशी नगरी में आकर रहे। काशी नगरी में आने के बाद शिव भगवान यहाँ ज्योतिर्लिग के रूप में स्थापित हो गए। तभी से काशी नगरी में विश्वनाथ ज्योतिर्लिग शिव भगवान का निवास स्थान बन गया।
अन्य मान्यता के अनुसार काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिग किसी मनुष्य की पूजा, तपस्या से प्रकट नही हुए, बल्कि यहाँ पर स्वंय निराकार परमेश्वर ही शिव बनकर विश्वनाथ के रूप में प्रगट हुए।
मंदिर की महिमा
सर्वसंतापहारिणी मोक्षदायिनी काशी की ऐसी महिमा है कि यहाँ प्राणत्याग करने से मुक्ति मिलती है। भोलेनाथ मरते हुए प्राणी के कान में तारक-मन्त्र का उपदेश करते हैं, जिससे वह आवगमन से छूट जाता है, चाहे मृत-प्राणी कोई भी क्यों न हो। मतस्यपुराण का मत है कि जप, ध्यान और ज्ञान से रहित एवंम दुखों पीड़ित जनों के लिए काशीपुरी ही एकमात्र गति का स्थान है।
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल हे। हर रोज प्रातःकाल और संध्या के समय इन 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम जपने से या दर्शन करने से मनुष्य के सारे पाप दूर हो जाते हैं। काशी विश्वनाथ में भगवान शिव का वास है, जो व्यक्ति इस पवित्र स्थान पर मृत्यु को प्राप्त होता है, वह इस संसार के क्लेश से मुक्त हो जाता है।
शिव पुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है और उससे संबंधित श्लोक इस प्रकार हैं-
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम्।।
हिमालये च केदारं डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये।।
ऐतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतम पापम् स्मरनिणां विनस्यति।।
इन सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का अपना विशेष महत्व है l
🙏🙏🌺🌺 जय बाबा विश्वनाथ की🌺🌺🙏
🙏🙏🌺🌺 हर हर महादेव 🌺🌺🙏🙏