*तनाव मुक्त सुखमय जीवन के* *उपाय – 1*
1. वाणी व्यवहार में मधुरता , विनम्रता ,सरलता , सत्यता को अपनाएं ,निरभिमानता ,सहनशीलता को अपनावें ।
2. किसी भी स्थिति में विचलित न होकर शांत चित्त होकर धैर्यपूर्वक कोई भी निर्णय करें।
3 . प्रतिदिन प्रातः सायं ओम् और गायत्री मंत्र से ईश्वर का ध्यान करें ।
4.यज्ञ- हवन , स्वाध्याय – सत्संग, सेवा , दान , परोपकार को अपनाते हुए जीवन पथ पर अग्रसर होवें ।
5. व्यवहार काल में ईमानदारी, बुद्धिमत्ता और पुरुषार्थ पूर्वक सब काम करें ।
6 . निंदा, चुगली, ईर्ष्या द्वेष , कठोर वाणी, लडाई झगड़ा आदि बुराइयों से दूर रहें और सद्गुणों को बढ़ाएं।
7 . पति पत्नी आपस में समन्वय स्थापित करते हुए प्रेम पूर्वक जीवन बिताएं और सन्तानों को संस्कारवान बनाएं।
8. हमेशा आशावादी बनकर रहें परन्तु अनावश्यक इच्छाओं को समाप्त करें ।
9 .सत्य अहिंसा आदि यमों को व शौच संतोष आदि नियमों को धारण करें ।
10 . हानिकारक नकारात्मक विचारों को हटाते हुए सदा सकारात्मक विचार को धारण करें।
11 .माता पिता व विद्वानों का सम्मान करें व उनकी आज्ञा का पालन करते हुए उन के द्वारा बतलाये धर्म के पथ पर चलें । कभी भी माता पिता को अपने व्यवहार से दुःखी न करें ।
12 . देश धर्म संस्कृति सभ्यता की रक्षा के प्रति जागरूक रहें ।
13 . घर में गाय रखकर या गौशाला जाकर गौ ग्रास खिलायें , गौमाता के ऊपर हाथ फेरें ,उसे सहलायें और ये संभव न हो सके तो गौमाता के लिए कुछ दान अवश्य करें।
14. किसी भी वैदिक गुरुकुल आश्रम या धर्मात्मा परोपकारी वैदिक विद्वानों से जुड़कर रहें व जीवन में कोई समस्या आए तो उन्हें सलाह लें ।
15 .परस्पर संगठन बना कर, आपसी फूट को समाप्त कर सगे सम्बन्धी पड़ौसियों आदि के साथ मधुर व्यवहार बनाकर मिल जुलकर जीवन पथ पर आगे बढ़ें।
इस प्रकार तनाव रहित आनंद मय जीवन जी सकते हैं ।
*स्वामी शान्तानन्द सरस्वती*
आचार्य
दर्शन योग महाविद्यालय
सुंदरपुर कुटिया , रोहतक
निर्देशक
संत श्री ओधवराम वैदिक गुरुकुल भवानीपुर कच्छ गुजरात