
यूनिसेक्स सैलून का बहिष्कार करो !
-लव जिहाद का सबसे बड़ा अड्डा बन रहा है… यूनिसेक्स सैलून… मतलब वो सैलून जहां पर मर्द और औरतें दोनों की हेयर ड्रेसिंग एक साथ ही होती है… ये आजकल मेट्रो शहरों में जिहादियों के द्वारा विकसित की गई एक नई संस्कृति है जो लव जिहाद का बड़ा अड्डा बन चुकी है
-अपनी बात कहने से पहले मैं अपना एक अनुभव साझा करना चाहता हूं… मेरी आदत है जिहादियों के माल का बहिष्कार… मैं कोशिश रहती है कि अगर कहीं शेविंग करवाऊं तो ऐसी जगह जहां पर हिंदू हेयर ड्रेसर हो… आजकल हिंदू हेयर ड्रेसर ढूंढने से भी नहीं मिलते हैं… तो फिर भी मेरी प्राथमिकता होती है कि कम से कम दुकान का मालिक तो हिंदू हो
-खोजबीन करते हुए मैं एक ऐसे ही सैलून में गया जिसका मालिक हिंदू था… वहां पर हेयर ड्रेसर मुसलमान थे… वो एक अच्छी बड़ी मॉडर्न टाइप की हेयर ड्रेसिंग शॉप थी… लेकिन वहां पर ज्यादा लोग नहीं आते थे… फिर एक दिन मैं वहां गया तो मैंने देखा कि एक कोने में गणेश जी की प्रतिमा रखी हुई है और एक लड़की ने वहां रिसेप्शन बना लिया है और बैठी हुई है… वो हिंदू लड़की थी… उसने पूजा पाठ वगैरह किया
-मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन ये समझते देर नहीं लगी कि इस दुकान के हिंदू मालिक ने एक हिंदू लड़की को रखा है और दुकान में रिसेप्शन पर इसीलिए रखा है ताकि लोग उस सैलून पर आना शुरू कर दें और दुकान चल जाए…. मतलब… पैकेजिंग और ब्रांडिंग दिखाने के लिए एक हिंदू रिसेप्शनिस्ट लड़की रख ली गई… बाद में पता चला कि वो महिलाओं की हेयर ड्रेसिंग वगैरह भी करती है…
-अब उस शॉप की स्थिति ये थी कि तीन मुस्लिम लड़कों के बीच वो एक हिंदू लड़की रह रही थी… और वो मुस्लिम हेयर ड्रेसर उसे अपनी बहन की नजर से नहीं देखते थे… बहन की नजर से देखते तो भी वो सेफ नहीं थी… अब यहां मेरा सवाल तीन लोगों से है…. पहला वो हिंदू दुकान का मालिक जिसने तीन मुस्लिमों के बीच में एक हिंदू ल़ड़की को नौकरी दी । ज्यादातर ऐसे सैलून्स में लड़कियों की उम्र मात्र 17-18 साल ही होती है… दूसरा सवाल उस लड़की के मां बाप से है कि क्यों उसने अपनी लड़की को ऐसी जगह काम पर जाने दिया और तीसरा सवाल उस लड़की से ही है कि उसने वहां पर जाना क्यों स्वीकार किया ?
-यानी तीन तीन लेवल पर हिंदुओं की गलती दिख रही है… लेकिन हिंदुओं को अपने धर्म को नहीं अर्थ (पैसा) को ज्यादा वरीयता दे रहे हैं… उस दुकान के हिंदू मालिक ने सोचा कि पैसा आएगा लड़की को रख लूंगा तो ज्यादा ग्राहक आएंगे और उस लड़की के मां बाप ने सोचा कि लड़की चाहे चूल्हे भाड़ में जाए… कुछ कमा के तो लाएगी ही… और तीसरा वो लड़की जिसने दो पैसे के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा रखी है
(नोट- कई मित्रों ने मेरा नंबर 7011795136 को दिलीप नाम से सेव तो कर लिया है लेकिन मिस्ड कॉल नहीं की है… जो मित्र मुझे मिस्ड कॉल भी करेंगे और मेरा नंबर भी सेव करेंगे… यानी ये दोनों काम करेंगे सिर्फ उनको ही मेरे लेख सीधे व्हाट्सएप पर मिल पाएंगे…क्योंकि मैं ब्रॉडकास्ट लिस्ट से ही मैसेज भेजता हूं और इसमें मैसेज उन्हीं को मिलेगा जिन्होंने मेरा नंबर सेव किया होगा… जिन मित्रों को मेरे लेख व्हाट्सएप पर पहले से मिल रहे हैं वो मिस्ड कॉल ना करें… प्रार्थना है)
-कभी किसी मुसलमान औरत को किसी हिंदू के घर में झाड़ू पोंछा करते देखा… किसी रोंहिग्या या बांग्लादेशी औरत की बात छोड़ दो… इसके अलावा…. कभी नहीं देखा होगा….. कभी किसी मुस्लिम लड़की को हिंदू लड़कों के बीच नौकरी करते देखा ? कभी नहीं देखा होगा
-लेकिन हिंदुओं को समझ में नहीं आता है… अगर अभी हिंदुओं को ये बता दिया जाए कि फलाने जगह चीनी मुफ्त मिल रही है तो तुरंत सब समझ में आ जाएगा रास्ता भी पता कर लेंगे लेकिन जहां धर्म के स्वाभिमान की बात होगी वहां वो हमसे पचास सवाल करेंगे… शर्म की बात है धिक्कार है !
-ऐसे संस्कार विहीन मां बाप बाद में बजरंग दल और विहिप के दफ्तरों के चक्कर लगाते हैं कि हमारी बेटी को लव जिहाद से बचा लो… ये लोग जो पहले भगवा को गालियां दिया करते थे… हाथ पांव पड़ते थे और इनके चक्कर में हिंदू कार्यकर्ता अपने ऊपर मुकदमे झेलते हैं !
-आज कल यूनिसेक्स सैलून का कल्चर चल निकला है…. एक छोटी सी दुकान पर 3 से 4 मु्स्लिम हेयर ड्रेसर होते हैं और उसी दुकान पर तीन से चार हिंदू लड़कियां होती हैं जो कि हिंदू महिलाओं की ही हेयर ड्रेसिंग करती हैं… लव जिहाद के लिए ये अब सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है और लगातार कई केस सामने आ रहे हैं
-लव जिहाद के केस थोक के भाव में सामने आ रहे हैं… एक बार की बात है मुझसे ही जल्दबाजी में गड़बड़ हो गई… मैंने देखा नहीं बहुत जल्दी में था… और ऊबर पर किसी जिहादी ड्राइवर की बुकिंग हो गई… मुझे आखिर तक पता नहीं चला… मैं किसी से फोन पर बात कर रहा था और हिंदू वादी बातें ही चल रही थीं… तभी अचानक ड्राइवर ने मुझसे बोला कि सर मेरी बीवी यहीं पर काम करती है रात का वक्त है आप बुरा ना मानें तो उसको भी बैठा लूं मैंने कहा कोई बात नहीं बैठा लो । उसने थोड़ा रूट डायवर्ट किया और लड़की को बैठा लिया…. लड़की अतीव सुंदरी थी… मैंने उससे पूछ ही लिया कि तुम दोनों पति पत्नी हो… दोनों ने बोला हां… .मैंने लड़की का नाम पूछा उसने हिंदू नाम बताया और फिर जब मैंने उस ड्राइवर का पेटीएम नंबर लिया पेमेंट करने के लिए तो पता चला कि लड़का मुसलमान है… मैं अपना माथा ठोंककर बाहर निकल आया…
-ऐसी ही एक और घटना हुई… मैं एक फर्नीचर की दुकान पर गया… घर से तय करके निकला था कि किसी हिंदू कारीगर से ही सामान खरीदूंगा…. फाइनली एक दुकान देखी ऊपर लिखा था राजवंशी ट्रेडर्स… मैंने सामान पसंद कर लिया… फिर उसने मुझे अपना कार्ड दिया तो पता चला कि कार्ड में सब मुसलमान नाम लिखे हैं और बडा झटका तब लगा जब पेटीएम से पेमेंट करते वक्त एक हिंदू लड़की का नाम लिख कर आया…. मैंने उससे पूछा कि ये हिंदू लड़की का नाम क्यों आ रहा है तुम तो मुसलमान हो ? पता चला सेम वही केस लव जिहाद
-मेरठ के खरखौदा में जब लव जिहाद का पहला मामला सामने आया था । तब पता ये चला था कि जो लड़की लव जिहाद का शिकार हुई थी वो मदरसे में पढ़ाती थी… यानी अब आप जरा गौर कीजिए कैसे जाहिल मां बाप रहे होंगे जिन्होंने अपनी बेटी को पढाने के लिए मदरसे में भेज दिया । लव जिहाद तो होना ही था ।
-आखिर वो लड़की मुसलमान ही बन गई और बाद में इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों में इस पर लेख लिखे गए कि मुसलमान मीट खाते हैं और बॉडी अच्छी होती है इसलिए हिंदू लड़कियां उनके साथ चली जाती हैं… इस तरह हिंदू मर्दों पर तंज किए गए और हिंदुओं को ये सब सहने की आदत पड़ चुकी है
-इस तरह के अखबार के बिकाऊ पत्रकारों से कोई ये पूछे कि आधी आबादी को ताउम्र के लिए बुर्के में रखने वाले ये लोग कौन से मर्द हैं ? लेकिन मूल प्रश्नों का कोई जवाब नहीं है…. मेन टारगेट तो हिंदुओं के खिलाफ एजेंडा चलाना है और हिंदुओं को नीचा दिखाना है
– तो आखिर में मुद्दे की बात ये है कि यूनिसेक्स सैलून का बहिष्कार करो… छोटे शहरों में कहीं भी इसकी पैठ ना जमने दो… गांव देहात में जाओ दूर दराज जाओ हिंदू हेयर ड्रेसर से ही काम लो और वहीं जाओ जहां पर सिर्फ मर्दों के ही सैलून हों और अपनी औरतों को भी कहां हेयर ड्रेसिंग के लिए भेज रहे हो…. पता कर लो…. .
-सौ की सीधी बात ये है कि हम खुद अपने ही हाथों से अपनी कब्र खोदना बंद करें !
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धन्यवाद