कुछ पंडितों ने एक औरत को कहा – घर में तू विष्णु जी की फोटो रख ले और रोटी खाने से पहले उनके आगे रोटी की थाली रखना कर कहना है – *”विष्णु अर्पण”* अगर पानी पीना है तो पहले भी विष्णु जी के आगे रखकर कहना है – *”विष्णु अर्पण”*
उस औरत की आदत हो गई कि जो भी काम करती पहले मन में यह कहती कि *”विष्णु अर्पण”* फिर वह काम करती थी। आदत इतनी पक्की हो गई कि 1 दिन घर का कूड़ा इकट्ठा किया और फेंकते हुए कहा *”विष्णु अर्पण”* वही पास से नारद मुनि जा रहे थे। उन्होंने जब यह सुना तो उस औरत को थप्पड़ मार कर कहा – विष्णु जी को कूड़ा अर्पण कर रही है । विष्णु जी के प्रेम में रंगी औरत थप्पड़ पड़ते ही बोली *”विष्णु अर्पण”* अब तो नारद जी ने दूसरे गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा कि थप्पड़ भी विष्णु अर्पण कह रही है लेकिन वह औरत यही कहती रही *”विष्णु अर्पण”*।
नारद मुनि क्रोध करते हुए विष्णुपुरी में चले गए, वहां देखते है कि विष्णु जी के दोनों गालों पर उंगलियों के निशान बने हुए है, पूछने लगे – भगवान यह क्या हो गया। आपके चेहरे पर यह निशान कैसे पढ़े?
विष्णु जी बोले – *”नारद थप्पड़ मारो भी तुम और पूछो भी तुम”*
नारद जी बोले – प्रभु मैं आपको थप्पड़ कैसे मार सकता हूं?
विष्णु जी बोले – *’नारद जिस औरत ने कूड़ा फेंकते हुए यह कहा था – कि विष्णु अर्पण और तुमने उसे थप्पड़ मारा तो वह थप्पड़ उसने मुझे अर्पण कर दिया था। उसी अर्पित थप्पड़ के निशान है जो आपने उसे मारे थे।”*