“तलाक” आज कुछ ख़ामोश सा था दिल। न जाने क्यों? पर बार बार उसकी याद आ रही थी। तीन साल हो चुके मेरे तलाक...
.
दोपहर के करीब 1:30 बजे दरवाज़े की घंटी बजी। काला चश्मा पहने, दुपट्टा लपेटे एक महिला मेरे सामने खड़ी थीं। उन्होंने एक पैकेट देते...