
साथियों गोरखपुर से बड़हलगंज ब्लॉक के बाल भीटी
गांव में स्थापित यह प्राथमिक विद्यालय भीटी बाल जो मेरी प्राथमिक शिक्षा का केंद्र था जहां से मैंने अपना अध्ययन आरंभ किया , प्रणाम है इसे ग्राम भूमि को प्रणाम है इस विद्यालय के प्रांगण को इसके भवन को जिसने मुझे आज इस मुकाम तक पहुंचाया पहली सीढ़ी अध्ययन की मैंने यहीं से चलना आरंभ किया और यहां से होता हुआ गोरखपुर जुबली इंटर कॉलेज और इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पहुंच कर मैंने अपने जीवन को एक दिशा प्रदान की और उन संस्थाओं के अभूतपूर्व योगदान के कारण आज मैं एक सफल व्यक्ति के रूप में अपना जीवन निर्वहन कर रहा हूं और दिल्ली पुलिस में उपायुक्त डीसीपी के पद पर तैनात हूं मैं बार-बार प्रणाम करता हूं यहां के भवन को प्रांगण को यहां के आचार्यों को प्राचार्य को अध्यापकों को जिनके मार्गदर्शन में मैं आज इस मुकाम तक पहुंचा हूं बहुत भावुक हो जाता हूं जब मैं इस भवन को देखता हूं हालांकि इसमें काफी सुधार हो चुका है पहले से पहले मुश्किल से एक कमरा हुआ करता था और हम लोग बाहर प्लास्टिक के बोरे पर बैठकर के अध्ययन किया करते थे और मुझे याद आता है दो गुरुजी हुआ करते थे एक मुंशी जी थे और एक दुबे जी थे जो मुझे पढ़ाया करते थे और वहां बैठ कर के हम लोग खुली छत के नीचे पढ़ाई करते थे आकाश हमारी छत थी और जब बरसात होती थी तो वही प्लास्टिक की बोरी हम लोग सर पर डाल कर के अपने आप को बारिश से बचाते थे। वहीं पर पटरी पर पढ़ाई करते थे और आपको शायद ज्ञात ना हो बहुत लोगों को मोटा वाला जो सेल था बैटरी या टॉर्च में डालने के लिए उसको तोड़ कर के हम लोग अपने लकड़ी की पटरी को काला किया करते थे उसको घोल कर के कपड़े से पोत कर के और दूधिया चाक जो है तोड़ कर के उस में धागा डाल कर मोटा वाला उससे अपनी पटरी पर लाइन खींचा करते थे और नरकट की कलम जो है वह ब्लेड से बना करके उससे हम लोग लिखा करते थे स्याही घोलकर के बाद में तू इस तरह की प्रारंभिक और आधारभूत शिक्षा केंद्र से मैंने अध्ययन करके जीवन में इस मकाम को पाया है और आज मैं अत्यंत संतुष्ट पूर्ण ढंग से इन संस्थाओं को देखता हूं जिन्होंने मुझे से अनगढ़ पत्थर को अपनी छीनी और हथौड़ी से तलाश करके इस मकाम तक पहुंचाया है बारंबार प्रणाम है इन तमाम संस्थाओं को यहां के संचालकों को यहां के अध्यापकों को कोटि-कोटि नमन
जितेन्द्र मणि त्रिपाठी DCP DELHI POLICE