मैं गोमतीनगर विस्तार में जब सुबह वॉक करता हूँ तो मुझे ये बांग्लादेशी सफ़ाई करते हुए मिलते है।
ये अपने को असम का निवासी बताते है
परंतु ये सब है अनाधिकृत रूप से रह रहे बांग्लादेशी।
पूरे लखनऊ में ये झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रहते हैं।
दुखद यह है कि लखनऊ नगरनिगम ने इन्हें सफ़ाई कर्मी के रूप में तैनात कर रखा है।
गोमतीनगर विस्तार में ख़ाली ज़मीनों और गोमती नदी की तलहटी, नालों के किनारे इनकी बहुत सी झोपड़ियाँ मिल जायेंगी।
इनके बारे में न तो लखनऊ पुलिस को चिंता है और नगर निगम ने तो इन्हें सफ़ाई कर्मी बनाकर अलग से मान्यता दे रखी है।
ये अपने को असम के बोंगाई गाँव का निवासी बताते है और कुछ नलबाड़ी, बरपेटा और नौगाँव का।
यह वही स्थान है जहाँ कांग्रेसी सरकारों में इन्हें वोट-बैंक के तौर पर योजनाबद्ध तरीक़े से बसाया गया था।
इंदिरा गांधी जी इन्ही बांग्लादेशियों के सहारे 1983 का असम चुनाव जीतना चाहती थीं
जिनकी संख्या उस समय लगभग 40 लाख थी।”
आल असम स्टूडेंट यूनियन”, “आल असम गणसंग्राम” की माँग थी कि पहले इन विदेशियों को बाहर करो, तब विधान सभा का चुनाव कराओ।
इंदिरा जी अपनी ज़िद पर अड़ी रही जिसका परिणाम 12 फ़रवरी 1983 को “नेल्ली” दंगा हुवा जिसने 3000-4000 लोग मारे गये।
लखनऊ में रह रहे ये बांग्लादेशी देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा है।
जब से बांग्लादेश में कट्टरपंथियों और पाकिस्तान समर्थक सरकार बनी है, यह खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है।
बांग्लादेशी अपराधी गैंग डकैती, चोरी जैसी घटनाये कर रहे है।
इतना ही नहीं बांग्लादेशी आतंकी संगठन “HUJI”(हरकत-उल-जिहाद- अल- इस्लामी” ने देश में कई आतंकी घटनाएँ की है
जिसमें उत्तरप्रदेश भी शामिल है।
ख़ूँख़ार हुजी आतंकी बाबू भाई आदि अब भी उत्तरप्रदेश की जेल में हैं। 23-11-2007 को लखनऊ, वाराणसी , अयोध्या की न्यायालयों में हुये बम-ब्लास्ट में हूजी का भी हाथ था।
बांग्लादेशी आतंकी संगठन “JMB” (जमात-उल- मुजाहिदीन बांग्लादेश) भारत में भी सक्रिय है।
अगर इन अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को भारत से नहीं भगाया तो बांग्लादेशी उपरोक्त आतंकी संगठनों को लखनऊ सहित देश में ठिकाना बनाने में मदद मिलेगी।
लखनऊ की इन बांग्लादेशियों की झोपड़ियों में बहुत से बच्चे भी मिलेंगे।लखनऊ के चौराहों पर बांग्लादेशी महिलायें-बच्चे गुब्बारे, खिलौने और भीख माँगते मिल जायँगे।
उत्तरप्रदेश में केवल आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी ही कड़ा निर्णय लेकर इन्हें वापस बांग्लादेश भेज सकते है।
पुलिस को भी इनकी जाँच में पर्याप्त जानकारी नहीं है।
इनके डॉक्यूमेंट लेकर असम में टीम बनाकर भेजना चाहिए, तभी पूरी जानकारी मिल सकेगी।
अपने को असमी बताने वाले इन बांग्लादेशियों की दूसरी-तीसरी पीढ़ी का भी पता नहीं चलेगा क्योंकि ये सभी घुसपैठिए है।
भारत में बांग्लादेशी, रोहंगिया का घुड़पैठ एक अंतरराष्ट्रीय साज़िश का हिस्सा है जो भारत को एक इस्लामिक राष्ट्र( ग़ज़वा-ए-हिन्द) बनाना चाहता है।
Brij Lal IPS Retd.
Member of Parliament (Rajya Sabha)
Dated Lucknow October 23,2025.

