
23 अक्तूबर 1973, दिन मंगलवार
समय करीब दोपहर के 12 बजे
स्थान सैफई गांव…..!!
गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव गांव में हल्ला मचाते हैं कि मुलायम सिंह यादव के घर टीपू सुल्तान हुआ है,
उस समय गांव वालों की नजर में मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर के पहली बार के विधायक (1967) थे, तब कौन जानता था कि जसवंत नगर के पहली बार के विधायक पूरे भारतवर्ष के सियासी कोहिनूर दिवंगत नेता जी का सियासी वारिस और करोडों परिवारों के उम्मीद का किरण धरतीपुत्र के घर पुत्र के रूप में जन्म ले चुका है|
सैफई वालों के लिए टीपू, पीडीए के लिए जननायक, हम सबके हृदय सम्राट, उत्तर प्रदेश के लिए सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री (38 वर्ष), भारतीय सियासी चौसर का एक ऐसा खिलाड़ी जो मुस्कुरा कर अपनी सियासी चाले चलता है
जिसे समूचा हिंदुस्तान परम आदरणीय श्री अखिलेश यादव के नाम से जानता है, अखिलेश जी के जन्म के बाद से ही नेता जी की सियासत ने रफ्तार पकड़ ली मानो पुत्र नहीं नेताजी के लिए लकी चार्म बन कर जन्म लिए थे अखिलेश यादव जी !
___शिक्षा दीक्षा____
अखिलेश जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई इटावा के सेंट मैरी स्कूल में की थी। जब उनका दाखिला धौलपुर के मिलिट्री स्कूल में होना तय हुआ, तो वहाँ के लिए अंग्रेजी में सुधार की ज़रूरत थी।
इस ज़रूरत को देखते हुए नेता जी ने सेंट मैरी स्कूल के एक शिक्षक, अवध बिहारी वाजपेई, को अखिलेश यादव को अंग्रेजी सिखाने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
उन्होंने राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की और मैसूर के जयचामाराजेंद्र कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी विश्वविद्यालय से एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग में मास्टर्स की डिग्री हासिल की।
__असाधारण परिवार में साधारण जीवन____
जब जन्म हुआ तो पिताजी विधायक थे, जब धौलपुर मिलिट्री अकादमी में पढ़ने गए तब पिताजी रक्षा मंत्री थे, जब 12वीं पास किए तो पिताजी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, अब आप कल्पना करिए कि उनका जीवन शैली कैसी होनी चाहिए थी ? उससे पहले यह किस्सा पढ़ लीजिए !
यह किस्सा 1990 के दशक का है, जब अखिलेश यादव राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से 12वीं की पढ़ाई पूरी करके लौटे थे और मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
• घटना: मुलायम सिंह यादव एक रैली के लिए अपने गृह क्षेत्र इटावा पहुँचे थे और हेलीकॉप्टर से आए थे। युवा अखिलेश अपने पिता से मिलने के लिए रैली स्थल पर पहुँचे।
• जिद: अखिलेश ने अपने पिता से उम्मीद की कि वह उन्हें भी मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर में बैठने और थोड़ी सवारी करने देंगे। उन्होंने यह इच्छा मुलायम सिंह यादव के सामने रखी।
• मुलायम का जवाब: मुलायम सिंह यादव, जो सार्वजनिक जीवन में अनुशासन को बहुत महत्व देते थे, इस बात पर अखिलेश पर सबके सामने ही बिगड़ गए और उन्हें डांट दिया।
• सख्त हिदायत: उन्होंने अखिलेश से स्पष्ट रूप से कहा, “यह तुम्हारे लिए नहीं है।” (अर्थात, यह सरकारी प्रोटोकॉल का हिस्सा है, और एक मुख्यमंत्री का बेटा होने के नाते उन्हें कोई विशेष सुविधा नहीं मिल सकती)|
__दूसरा किस्सा ____
अखिलेश यादव जी की अपने पिताजी दिवंगत नेताजी के साथ कोई तस्वीर नहीं थी और वह नेताजी के साथ एक तस्वीर खिंचवाना चाहते थे सोचिए की तस्वीर खिंचवाने के लिए अखिलेश जी पहली बार लखनऊ आए और आवास पर पहुंचे तो नेताजी किसी सरकारी कार्यक्रम में निकल रहे थे, नेताजी के साथ उस समय एक फोटोग्राफर हुआ करते थे ( मनमोहन शर्मा) जिनके लड़के आज अखिलेश जी के साथ फोटोग्राफी करते हैं, अखिलेश जी एकदम साधारण कपड़ों में नेताजी से थोड़ी दूर खड़े थे और पैरों में स्लीपर चप्पल पहनी हुई थी, नेताजी के कहने पर फोटोग्राफर ने अखिलेश जी के साथ फोटो खींची और फोटोग्राफर ने उत्सुकता वश नेताजी से पूछा कि यह लड़का कौन है ? तब नेताजी ने जवाब दिया था कि मेरा लड़का है, अखिलेश! और वह तस्वीर नेताजी के साथ अखिलेश यादव जी की पहली तस्वीर थी|
अब आप कल्पना करिए आज के मुख्यमंत्री के पुत्रों का, आज की रक्षा मंत्री के पुत्रों का, आज के विधायक पुत्रों का, मैं किसी एक व्यक्ति विशेष की बात नहीं कर रहा मैं बस तुलनात्मक यह महसूस करने के लिए कह रहा हूं|
___पहनावा __
अखिलेश जी कभी भी साथ में पर्स नहीं रखते, हाथों में घड़ी नहीं पहनते, आपने हमेशा उन्हें काली सदरी और सफेद कुर्ते पजामे में देखा होगा आपको एक किस्सा और सुना दूँ ! “जब अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तो उनकी बेटी ने एक बार उनसे कहा कि उनके दोस्त उनका मज़ाक उड़ाते हैं क्योंकि उनके पिता (मुख्यमंत्री) स्कूल में कुर्ता-पायजामा पहनकर आते हैं। बेटी की इस बात पर, अखिलेश यादव अगली बार स्कूल में जींस और टी-शर्ट पहनकर गए थे।”
___राजनितिक कला__
धौलपुर के मिलिट्री स्कूल में खेल की एक भी प्रतियोगिता न छोड़ने वाले, फुटबॉल प्रेमी अखिलेश जी सियासत के साथ-साथ क्रिकेट भी अच्छा खेल लेते हैं, आईए अखिलेश जी को सियासी नजरिए से कुछ समझने की कोशिश करते हैं, मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल (2012-2017) में अखिलेश यादव ने कई विकास-उन्मुख पहलों पर जोर दिया। उनकी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे का निर्माण, लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना की शुरुआत, और 1090 महिला हेल्पलाइन की स्थापना शामिल है। उन्होंने लैपटॉप वितरण योजना जैसी कई कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू कीं, जिसका उद्देश्य शिक्षा और तकनीक को बढ़ावा देना था। जिसने उनकी छवि को ‘विकास पुरुष’ के रूप में स्थापित कर दिया| आजकल पूरे देश में किसी भी राज्य को उठाकर देख लीजिए वहां की विपक्ष की पार्टियां लगभग लगभग सभी अखिलेश जी के सियासी फार्मूले पर काम कर रही है, मतलब पूरे भारतवर्ष में देश की तीसरी बड़ी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी अपने विचारों का संचार यूपी में किए और उसका प्रचार प्रसार पक्ष और विपक्ष दोनों देश में कर के सियासी लाभ उठा रहा है, अखिलेश जी को खेल में हारना पसंद नहीं है लेकिन सियासत के खेल में अखिलेश जी सत्ता से भले ही दूर हो लेकिन वह लगातार अपने विचारों से मजबूत होते जा रहे हैं और अपने मकसद में धीरे-धीरे कामयाब और जीतते जा रहे हैं, 2012 से 2017 तक अखिलेश जी ने उत्तर प्रदेश के विकास की इबारत लिखी थी 2027 में अखिलेश जी उत्तर प्रदेश के विकास का इतिहास लिखेंगे|
__कार्यकर्ता प्रेमी___
आजकल जहां लोग अपने कार्यकर्ताओं का डाटा डेटाबेस बनाकर रख रहे हैं, वही अखिलेश जी अपने कार्यकर्ताओं को सीधे दिल में रखते हैं, अपनी नजर में रखते हैं, और जिसे एक नजर देख लिया नाम पूछ लिया तो उसका नाम और चेहरा और जिला हमेशा याद रहता है उन्हें, इतने बड़े से उत्तर प्रदेश में उनका कौन सा कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर क्या कर रहा है और जमीन पर क्या कर रहा है इसकी उन्हें पूरी खबर रहती है, भारतवर्ष में राजनीतिक पार्टियां तो बहुत हैं, राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बहुत से हैं, लेकिन जैसा जुड़ाव अपने कार्यकर्ताओं के प्रति श्री अखिलेश जी का है वैसा शायद ही किसी राष्ट्रीय अध्यक्ष का अपने किसी कार्यकर्ता से हो सकता है ! विपक्ष में रहने के बाद भी अपने कार्यकर्ताओं की भरपूर मदद करते हैं, और अपने मन में मुराद कोई भी लेकर जाइए वक्त चाहे 5 सेकंड का मिला हो या 5 मिनट का वह पूरी कर देते हैं|
मेरा स्वयं का अनुभव है एक अदना सा कार्यकर्ता, जिसकी कोई पृष्ठभूमि सियासी नहीं, झंडा उठाने से लेकर लाठी खाने तक कभी पीछे नहीं हटा, पैरों ने कितने पेंडल मारे साइकिल ने कितनी दूर यात्रा की इसका कभी हिसाब किताब नहीं रखा, मुझे लगता था कि मेरा सियासत में कोई गॉडफादर नहीं तो मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की नजर में नहीं होऊँगा लेकिन मैं गलत था, पहली बार मिलने से लेकर उनके दिल में जगह बनाने तक उन्होंने यह महसूस कराया की हर मेहनती कार्यकर्ता के ऊपर उनकी नजर बनी रहती है|
परम आदरणीय हम सभी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, हम सबके बॉस, हृदय सम्राट हमारे कृष्ण कन्हैया, राजनीतिक दिन के सूरज, राजनीतिक अंधेरे के हम सभी के चांद ! पीडीए के जननायक करोड़ों युवाओं के महबूब नेता श्री अखिलेश यादव जी को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं बहुत-बहुत बधाई, ईश्वर से कामना है की आपकी मुस्कुराहट दुगनी करें और आपकी ऊर्जा चौगुनी करें, 2027 में पुनः आपको मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए उत्तर प्रदेश को इंतजार है और हम सभी का दिल बेकरार है, और आपको जन्मदिन उपहार के स्वरूप हम सभी अपना बूथ और विधानसभा जीता कर आपको गिफ्ट देने का काम करेंगे !
पुनः जन्मदिन की ढेर सारी बधाई हो भैया, 2027 में आप हम सभी कार्यकर्ताओं की इकलौती उम्मीद है !….. आपके जन्मदिवस के मौके पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि 2027 में हम सभी आपको पुनः मुख्यमंत्री के रूप में देखें !