
गोल टेबल…..
सौरभ एक फर्नीचर की दुकान के बाहर खड़ा दुकान के अंदर देख रहा था।
दुकान मालिक ने आकर कहा –
भाईसाहब कुछ चाहिए क्या?
अंदर आइये ना।
सौरभ ने कहा,”
भाई, कुछ खरीदना नहीं है।
आपकी दुकान में रखे गोल टेबल पर नजर पड़ी तो कुछ याद आ जाने से मैं रूक गया।
ऐसी टेबल हमारे यहाँ भी थी,
वह इससे बड़ी थी,
मेरे पिताजी ने बनवायी थी।
उसके आसपास आठ कुर्सियाँ लग जाती थी जिसपर
मेरे पिताजी,
माँ, मेरा भाई,
उसकी पत्नी,
उसका बेटा,
मेरा दूसरा भाई,
मेरी पत्नी और मैं साथ बैठ खाना खाते थे,
खाते हुए खूब गप्पे लगते थे।
लेकिन अब.. ”
दुकान मालिक बोला –
लगता है अब वह टेबल टूट गया है और आप नया लेना चाहते हैं।
सौरभ भर्राये स्वर में थरथराती आवाज से बोला,”
भाई, टेबल नहीं बल्कि मेरे भाइयों के बीच का रिश्ता टूट गया।
पिताजी इसे सहन नहीं कर पाये और स्वर्ग सिधार गये,
सब बिखर गया।”
दुकान के मालिक को सौरभ से हमदर्दी हुई,
उसने कहा,”
भाईसाहब,
आप यह टेबल ले लीजिये।
मेरा मन कह रहा है कि यह टेबल आपके बिखरे रिश्तों को पास ले आयेगा।”
सौरभ ने टेबल खरीद ली।
सौरभ की पत्नी ने टेबल देखा, फिर दोनों ने कुछ सोचा।
सौरभ ने भाइयों को फोन किया,
शंका के विपरीत भाइयों ने फोन उठा लिया।
सौरभ ने पूछा –
कैसे हो?
जवाब नहीं आया तो वह बोला,”
19 जून को पिताजी का जन्मदिन है,
संयोग से उस दिन फादर्स डे भी है।
मैं उनकी यादों को उनकी तरह से उनका जन्मदिन मनाकर जीवित करना चाहता हूँ।
तुम दोनों आओगे तो मुझे तो अच्छा लगेगा ही,
पिताजी भी जहाँ होंगे बहुत खुश होंगे और उनकी आत्मा भी तृप्त होगी।
जो भी हुआ बीत गया,
सब भूल जाओ और आ जाओ।”
सिसकते हुए सौरभ ने फोन रख दिया।
आने के लिये फोन तो पहले भी कई किये थे परंतु कहते हैं ना कि समय से पहले कुछ नहीं होता,
फिर शायद यह संयोग का भी प्रभाव था कि दोनों भाई आ गये।
वे सौरभ भैया को प्रणाम करने लगे तो उन्होंने कहा कि पहले पिताजी और माँ को प्रणाम करो।
पिता की तस्वीर के सामने दोनों भाई फूट पड़े और आँसुओं से मन की कड़वाहट साफ हो गयी।
दोनों भाई बोले,”
कभी हम फादर्स डे पर पिताजी को उपहार देते थे लेकिन आज उपहार लेने के लिये वे नहीं है,
वह भी हमारे कारण।”
सौरभ भैया बोले,”
उपहार तो तुम दोनों अभी दे सकते हो,
बस अपने घर लौट आओ।
पूरा परिवार गोल टेबल पर साथ बैठ खाना खायेगा तो पिताजी आसमान से हम सभी को आशीर्वाद देंगे।”
गोल टेबल देख दोनों भाई खुशी के आँसुओं में तैरने लगे।
पिताजी के पसंद की पूरी और भाजी बनी थी, भाभी ने बाकी सबके पसंद का ख्याल भी रखा था।
सौरभ ने फर्नीचर दुकान मालिक को फोन कर कहा कि भाई,
आपकी वाणी फल गयी और हमारा फादर्स डे भी मन गया।