जानिये, आरती में शंख क्यों बजाते है?………
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मन्दिर में आरती के समय शंख बजते सभी ने सुना होगा, परन्तु शंख क्यों बजाते है? इसके पीछे क्या कारण है यह बहुत कम ही लोग जानते है। भारतीय संस्कृति में शंख का महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख भी था। पुराणों और शास्त्रों में शंख ध्वनि को कल्याणकारी कहा गया है। इसकी ध्वनि विजय का मार्ग प्रशस्त करती है।
शंख पूजाघर में न रखकर बाजू में तिपाई पर रखे। पूजा के समय शंख को अन्दर-बाहर से पीले कपड़े द्वारा पोंछकर साफ कर ले। उस पर गंध एवं फूल चढ़ाएं। तुलसी पत्र भी रखे। शंख पर अक्षत न चढ़ाएं। शंख को तिपायी पर रखते समय उसका मुंह अपनी ओर होना चाहिए। शंखनाद करने के बाद शंख का मुख स्वच्छ कर लेना चाहिए।
स्वास्थ्य सम्बन्धी लाभ
1. शंख बजाने का स्वास्थ्य लाभ यह है प्रयोगों से सिद्ध हुआ है कि वाणी सम्बन्धी विकार भी शंखनाद के सतत अभ्यास से नष्ट हो जाते हैं, यदि कोई बोलने में असमर्थ है या उसे हकलेपन का दोष है तो शंख बजाने से ये दोष दूर हो हैं।
2. शंख बजाने से कई तरह के फेफड़ों के रोग दूर होते है जैसे दमा, यकृत, और इन्फ्लून्जा आदि रोगों में शंख ध्वनि फायदा पहुंचाती है।
3. शंख के जल से शालिग्राम को स्नान कराएं और फिर उस जल को यदि गर्भवती स्त्री को पिलाया जाए तो पैदा होने वाला शिशु पूरी तरह स्वस्थ होता है। साथ ही बच्चा कभी मूक या हकला नहीं होता। यदि शंखों में भी विशेष शंख दक्षिणवर्ती शंख कहते है। इस शंख में दूध भरकर शालीग्राम का अभिषेक करें, फिर इस दूध को निःसंतान महिला को पिलाएं इससे उसे शीघ्र ही सन्तान का सुख मिलता है।
परन्तु गर्भवती स्त्री को शंख नाद का अधिकार नहीं है। इसका कारण यह है कि शंख फूंकते समय अवयवों पर तनाव आने से गर्भ पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा गर्भवती स्त्री को नजदीक से शंख की तेज आवाज भी नहीं सुननी चाहिए।
4. शंखघोष से निकलने वाले ओम का महानाद मानसिक रोगों की निवृत्ति करता हुआ कुण्डलिनी जागरण का सशक्त साधन बनता है। इसमें विशेष प्रकार के कुम्भक (प्राणायाम) की प्रक्रिया सन्नहित होती है, इसलिए यह शरीर के समूचे तन्त्रिका तन्त्र को उद्वेलित करता है। इसमें प्रसुप्त तन्त्र जाग्रत होता है, शंखनाद से समूचे वातावरण की शुद्धि होती है। इसका सम्पदन शुभ और सतोगुणी क्रियाशक्ति का संचार करता है।
5. शंख का धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, वैज्ञानिक रूप से भी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके प्रभाव से सूर्य की हानिकारक किरणें बाधक होती है इसलिए सुबह और शाम शंख ध्वनि करने का विधान सार्थक है। इसकी ध्वनि जहां तक जाती है, वहां तक व्याप्त बीमारियों के कीटाणु नष्ट हो जाते है।
6. इससे पर्यावरण शुद्ध हो जाता है। शंख में गंधक, फास्फोरस और कैल्शियम जैसे उपयोगी पदार्थ मौजूद होते है, इससे इसमें मौजूद जल सुवासित और रोगाणु रहित हो जाता है इसलिए शास्त्रों में इसे महा औषधि माना जाता है।