
पिंडलियों का दर्द हो, गठिया हो या कितना भी पुराना शरीर या सिर दर्द का मामला हो।
साल के कुछ माह मिलने वाली एक कंदीय सब्जी जिसे अलग अलग जगहों पर अलग अलग नामों से जाना जाता है
फिर भी अगर प्रचलित नामो की बात करें तो जिमिकंद, सूरन , कान, या अंग्रेजी में बात करें तो Elephant Foot Yam का अगर सब्जी, चोखा, या आचार के रूप में अपने खाने में शामिल कर दिया जाए तो गठिया या सिर दर्द जैसी समस्याओं को यह जड़ से खत्म करने की कूवत रखता है।
अगर सप्ताह में कम से कम तीन बार सूरन की सब्जी का इस्तेमाल अपने खाने में आप करें तो आए दिन होने वाला सिर-फोडू दर्द और पिंडलियों का दर्द छू-मंतर हो जाएगा।
सूरन के दर्द निवारक गुणों को लेकर खूब सारी क्लीनिकल स्टडीज पब्लिश हो रखी हैं।
सूरन में एक खासियत है,
इसमें एंटीनोसिसेप्शन एक्टिविटी खूब है।
एक होती है – दर्द निवारक क्रिया (पेन किलर्स), यानी जब दर्द हो तो दर्द को कम करने के गुण या इन्फ्लेमेशन को कम करने की खासियत और दूसरी होती है
एंटीनोसिसेप्शन एक्टिविटी, दर्द होने से पहले ही सचेत होकर रोकने में सक्षम एक एक्शन।
यही एंटीनोसिसेप्शन एक्टिविटी सूरन में देखी गई है।
हमारे सेंसरी न्यूरॉन्स को एक्टिवेट करके सूरन दर्द को पहले ही मार भगाता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्मेसी और फार्मास्यूटिकल साइंसेज में सन 2014 में प्रकाशित एनीमल स्टडी में बाकायदा इस बात की पुष्टि होती है।
सिर्फ एक यही स्टडी क्यों, बल्कि 1968 से लेकर 2020 तक सौ से ज्यादा, बड़े से बड़े इंटरनेशनल रिसर्च पेपर्स भी सूरन की आरती उतारते हैं।
डॉ दीपक आचार्य ने अपनी पुस्तक जंगल लैबोरेटरी में सूरन के कई गुणों का जिक्र किया है।
जिसमें लिवर रोग और पाइल्स को ठीक करने में भी सूरन की भूमिका अहम बताया गया है।
अगर बाजार में कहीं सूरन बिकता हुआ दिखा जाए तो आप इसे जरूर घर ले जाएं।
इसमें फास्फोरस, कैल्सियम, विटामिन्स जैसे कोई पोषक तत्वों की भी प्रचुरता पाई जाती है।