
अमेरिका और ब्रिटेन ने मिलकर लूटा है ईरान को और फिर से वहां राजशाही लाना चाहते हैं …
ईरान के एक प्रधानमंत्री चुना था 1951-52 में , नाम था मोहम्मद मुसादिक।
उसने ईरान के राजा की शक्तियों को कम किया और संसद की शक्तियों को बढ़ाया ।
उसने राजा की बहुत सारी जमीन , मजदूरों को वास्तविक मूल्य के मात्र 20% पर दे दीं।
उसने अमीरों पर टैक्स बढ़ाया और ईरान के तेल पर से ब्रिटिश हक़ और दावे को खत्म किया ।
उसने ईरान के तेल और तेल रिफाइनरी का राष्ट्रीयकरण कर दिया ।
ब्रिटिश के लिए ईरान का तेल , मोटा पैसा बनाने का जरिया था , इसलिए बिलबिला गए ।
ब्रिटिश में दम न था कि अकेले कुछ कर सकें , इसलिए दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के पास गए , अमेरिकी सचिव ने कहा कि ब्रिटिश विनाशकारी हैं और इनकी नीति ईरान को या तो राज करेंगे या बर्बाद कर देंगे वाली है ।
बाद में अमेरिकी सरकार बदली और डी आइजनहावर राष्ट्रपति बना।
ब्रिटिश ने फिर अमेरिका से अनुरोध किया कि ईरान में मोहम्मद मुसादिक का तख्तापलट करवाया जाए ।अब अमेरिका रुचि लेने लगा , पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट का पोता कर्मिट रूजवेल्ट खुद CIA के साथ ईरान को तोड़ने में इन्वॉल्व हो गया ।
विंस्टन चर्चिल ने अमेरिका को बार बार चेताया कि ईरान की सत्ता कभी भी कम्युनिस्ट सोवियत यूनियन के प्रभाव में आ सकती है ।
लब्बोलुआब ये कि कर्मिट रूजवेल्ट ने एक एक कर ईरान के राजा की बहन से लेकर , ईरानी विपक्ष , जनरल, ईरानी influencer और खुद प्रधानमंत्री मोहम्मद मोसादेग के साथियों को रिश्वत दी , राजशाही के समर्थकों और विरोधियों दोनों को रिश्वत देकर ईरान में फर्जी प्रदर्शन करवाए ।
धीरे धीरे इसी से बहाना ढूंढा गया और प्रधानमंत्री के घर पर हमले करवाए गए ।
प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करवाया गया जब उसने इस्तीफ़ा दिया तो और उसे उसकी मौत तक घर में नजरबंद रखा ।
तेल फिर से ब्रिटिश और अमेरिकन हाथों में आ गया ।
CIA की secret फाइल्स कुछ साल पहले लीक होने से इस ईरानी तख्ता पलट में अमेरिका के रोल का दुनिया को सबूत मिला ।
ईरान का बेहद लोकप्रिय नायक मोहम्मद मोसादेह एकांत की मौत मरा क्योंकि वो ईरान को आजादी दिलाना चाहता था , मजदूरों को हक और समृद्धि के लिए काम कर रहा था ।
1979 में जब ईरान के शाह रजा शाह पहलवी का तख्ता पलट हुआ तो ईरान के लोगों के दिल में मोहम्मद मोसादेह की याद थी जिसने ये करवाया ।
अयातुल्लाह खोमैनी कोई बहुत लोकप्रिय नहीं था मगर जनता ने उसे अमेरिकी और ब्रिटिश टट्टुओं से बेहतर माना और सत्ता दी ।