
पत्रकार को फंसाने की कोशिश!
उभांव थाना परिसर में कट्टा पकड़ाकर फोटो खींचने का प्रयास, न्याय माँगने पहुँचा था –
मिला डर, धमकी और अपमान–
आम लोगों और पत्रकारों की सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल
रिपोर्ट- पिन्टू तलवार
बलिया/मऊ | 13 जून 2025
“जब न्याय की उम्मीद लेकर कोई थाने का दरवाज़ा खटखटाता है, और वहीं उसके साथ अन्याय हो – तो सोचिए आम आदमी कहाँ जाएगा?”
ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला बलिया जिले के उभांव थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहाँ मऊ निवासी एक पत्रकार अपनी मौसी को न्याय दिलाने के लिए थाने पहुँचा था। लेकिन वहाँ उसे कानून का सहारा मिलने के बजाय, डर और अपमान का सामना करना पड़ा। पत्रकार का आरोप है कि थाना प्रभारी ने न केवल उसे घंटों बैठाए रखा, बल्कि बिना वर्दी में मौजूद लोगों से उसके साथ बदसलूकी और मारपीट करवाई।
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि पत्रकार के मुताबिक, उसके हाथ में जबरन एक अवैध कट्टा थमाकर फोटो खींचने की कोशिश की गई – ताकि उसे फर्जी मुकदमे में फंसाया जा सके।
क्या अब थाने इंसाफ की जगह, डर फैलाने के अड्डे बनते जा रहे हैं?
इस घटना ने न सिर्फ पत्रकारिता जगत को झकझोर दिया है, बल्कि आम जनता के दिलों में भी डर पैदा कर दिया है। अगर एक पत्रकार के साथ ऐसा हो सकता है – जो समाज की आवाज़ है, जो हर दिन लोगों की समस्याएँ उठाता है – तो आम नागरिकों की सुरक्षा की क्या गारंटी है?
जब पत्रकार ने अपनी फरियाद थाना प्रभारी से नहीं सुनी तो उसने मामले की शिकायत बलिया के पुलिस अधीक्षक और डीआईजी से की। उसने उम्मीद जताई है कि उच्च अधिकारी निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
अब वक्त है – सवाल पूछने का
क्या थाने न्याय दिलाने के लिए हैं या उत्पीड़न का ज़रिया बनते जा रहे हैं?
क्या आम आदमी अब अपनी फरियाद लेकर पुलिस के पास जाने से डरेगा?
क्या हम एक ऐसे समाज की तरफ बढ़ रहे हैं, जहाँ सच बोलने वालों को दबाने की कोशिश की जाती है?
यह सिर्फ एक पत्रकार की नहीं, हर उस इंसान की लड़ाई है जो न्याय चाहता है। अगर आज हम चुप रहे, तो कल किसी और के हाथ में जबरन कट्टा पकड़ा दिया जाएगा।
अब जरूरत है – जागने की, सवाल उठाने की, और अन्याय के खिलाफ एकजुट होने की।
क्योंकि अगर आज आवाज़ नहीं उठेगी, तो कल न्याय की उम्मीद भी खो जाएगी।
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