
पति कमरे में घुसते ही सीधा बिस्तर पर लेट गए और आंखें बंद करते हुए पत्नी से बोला – “जल्दी से पानी ले आ, बहुत नींद आ रही है।”
पत्नी तुरंत रसोई की ओर गई। कुल्हड़ में ठंडा पानी भरकर जब वो लौटी, तब तक पति गहरी नींद में सो चुका था।
पत्नी ने पति को देखा। उसके चेहरे पर थकान के साथ एक मासूम सी शांति थी।
वो चाहती तो पानी पास रखकर आराम से सो सकती थी।
वो चाहती तो धीरे से जगा देती और कहती – “पानी लाओ तो कहा था…”
लेकिन उसने कुछ नहीं किया।
उसने सोचा –
“अब नींद तो लग गई है… अगर मैं जगा दूं, तो दिनभर की थकान बेकार जाएगी… और अगर प्यास लगी थी, तो नींद खुलने पर और ज्यादा सताएगी…”
बस यही सोचकर…
वो कुल्हड़ में पानी लिए, पति के सिरहाने खड़ी रही – पूरी रात।
रात बीतती रही, वो खड़ी रही.
घड़ी की सुइयां आगे बढ़ती रहीं।
पूरे घर में सन्नाटा था, पर उसका दिल धड़क रहा था।
वो हर दो मिनट में पति की सांसों को सुनती थी –
कहीं वो करवट तो नहीं ले रहा?
कहीं प्यास में तड़प ना उठे?
लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा, कुछ भी नहीं मांगा…
बस, एक कटोरा पानी लिए –
प्रेम में जागती रही।
जब सूरज की हल्की किरणें खिड़की से अंदर आईं, पति की आंखें खुलीं।
उसने देखा – उसकी पत्नी अब भी वही खड़ी है, हाथ में पानी लिए।
“तुम… अब तक सोई नहीं?”
उसने हैरानी और झल्लाहट के बीच पूछा।
पत्नी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा –
“तुमने कहा था पानी लाना… मुझे लगा कहीं रात में प्यास लगे और मैं सो रही होऊं… इसलिए खड़ी रही…”
उस एक वाक्य ने, पति के अंदर कुछ तोड़ दिया।
वो चुप हो गया।
उसने वो कुल्हड़ अपने हाथ में लिया – और पानी पीते हुए सिर्फ इतना कहा –
“तुम्हारे जैसा प्रेम, कोई नहीं कर सकता।”
💬 इस कहानी से क्या सीख मिलती है? प्रेम शब्दों से नहीं, कर्मों से होता है।
📌 जिनके प्रेम में न शोर होता है, न शर्त – सिर्फ संवेदना हो