
घंटेभर से पति पत्नी लड़ रहे थे। दोनों बच्चे चुपचाप सहमे हुए माता पिता की लड़ाई देख रहे थे। अंत मे पत्नी ने रोते हुए कहा ” मै अपने मायके जा रही हूँ।” पति तुनक कर बोला ” कौन रोक रहा है तुझे? जा अभी निकल जा यहाँ से। वह आंसू पोंछते हुए कपड़े बैग मे डालने लगी। उसे कपड़े बैग मे डालते देख कर पति का गुस्सा फुस्स हो गया। मगर फिर भी वह जोश मे बोला ” मायके तो जा रही हो मगर सर्दी मे बच्चो को कुछ हो गया तो देख लेना मुझसे बुरा कोई नही होगा? ” वह एक हाथ से आंसू पोंछ कर गुस्से मे बोली ” तुम्हे मेरे बच्चो की चिंता करने की कोई जरूरत नही है। अब मै कभी भी लौट कर नही आऊँगी। इतना सुनकर पति चुपचाप बाहर बारामदे मे जाकर बैठ गया।
उधर पत्नी कपड़ों को बैग मे धीरे धीरे डाल रही थी। शायद वह इंतजार कर रही थी कि पति आयेगा। सॉर्री बोलेगा और उसे जाने से रोक लेगा। मगर काफी देर तक इंतजार करने के बाद भी वह उसे मनाने नही आया। हार थक कर वह बैग और बच्चों को लेकर घर से निकल पड़ी। पति ने उसे देखकर मुँह फेर लिया। फिर पत्नी ने भी मुड़ कर नही देखा। धीरे धीरे चलती हुई उसकी आँखों से ओझल हो गई। धीरे धीरे इसलिए चली शायद उसे विश्वास था कि पीछे से आवाज देगा। मगर ऐसा कुछ नही हुआ। जब बस मे बैठी तो चौंक गई। क्योंकि पतिदेव तो पहले से ही बस मे बैठा हुआ था शायद दूसरे रास्ते से भाग कर आया था। पति को देखते ही उसके हृदय मे हूक सी उठी और आँखों से झर झर आंसू बहने लगे। मगर उसने खुद को रोने से रोका और चुपचाप पति का हाथ पकड़ कर उसे बस से नीचे ले आई। फिर रास्ते मे रोते हुए बोली ” इतना प्यार करते हो तो पहले नही रोक सकते थे क्या? वह कस कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला तू खुद भी तो रुक सकती थी।” वह बोली ” जाँच रही थी तुमको कि प्यार करते हो या नही? वह बोला “तुम अच्छी तरह जानती हो मुझे तुम्हारी लत लगी हुई है। तुम्हारे बिना एक दिन भी रहना मुश्किल है। हमेशा के लिए तुमसे दूर कैसे रह सकता हूँ।” इतना सुनते ही वह पत्नी का दिल जोर से धड़कने लगा। फिर एक मीठे अहसास के साथ शांत हो गया। फिर वे चारों एक कुल्फी की रेहड़ी पर रुक कर हँसते हुए कुल्फी खाने लगे