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🚩‼️ओ३म्‼️🚩
हृदय रोग –
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हृदयरोग एवं चिकित्सा (Cardiology and Therapeutics)
आज विश्व में सबसे घातक कोई रोग तेजी से बढ़ता नज़र आ रहा है तो वह है हृदयरोग। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष भारत में पूरे विश्व की तुलना में सर्वाधिक हृदय के रोगी है। हमारे देश में प्रत्येक वर्ष लगभग एक करोड़ लोगों को दिल का दौरा पड़ता है।
मनुष्य का हृदय एक मिनट में तकरीबन ७० बार धडकता है।
चौबीस घंटों में १००,८०० बार। इस तरह हमारा हृदय एक दिन में तकरीबन २००० गैलन रक्त का पम्पिंग करता है।
स्थूल दृष्टि से देखा जाय तो यह मांसपेशियों का बना एक पम्प है। ये मांसपेशियाँ संकुचित होकर रक्त को पम्पिंग करके शरीर के सभी भागों तक पहुँचती है। हृदय की धमनियों में चर्बी जमा होने से रक्तप्रवाह में अवरोध उत्पन्न होता है जिससे हृदय को रक्त कम पहुँचता है। हृदय को कार्य करने के लिए आक्सीजन की माँग व पूर्ति के बीच असंतुलन होने से हृदय की पीड़ा होना शुरु हो जाता है। इस प्रकार के हृदय रोग का दौरा पड़ना ही अचानक मृत्यु का मुख्य कारण है।
हृदयरोग के कारणः
युवावस्था में हृदयरोग होने का मुख्य कारण अजीर्ण व धूम्रपान है। धूम्रपान न करने से हृदयरोग की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। फिर भी उच्च रक्तचाप, ज्यादा चरबी, कोलेस्ट्रोल अधिक होना, अति चिंता करना और मधुमेह भी इसके कारण हैं।
मोटापा, मधुमेह, गुर्दों की अकार्यक्षमता, रक्तचाप, मानसिक तनाव, अति परिश्रम, मल-मूत्र की हाजत को रोकने तथा आहार-विहार में प्राकृतिक नियमों की अवहेलना से ही रक्त में वसा का प्रमाण बढ़ जाता है। अतः धमनियों में कोलस्ट्रोल के थक्के जम जाते हैं, जिससे रक्त प्रवाह का मार्ग तंग हो जाता है। धमनियाँ कड़ी और संकीर्ण हो जाती हैं।
हृदय रोग के लक्षणः
छाती में बायीं ओर या छाती के मध्य में तीव्र पीड़ा होना या दबाव सा लगना, जिसमें कभी पसीना भी आ सकता है और श्वास तेजी से चल सकता है।
कभी ऐसा लगे कि छाती को किसी ने चारों ओर से बाँध दिया हो अथवा छाती पर पत्थर रखा हो।
कभी छाती के बायें या मध्य भाग में दर्द न होकर शरीर के अन्य भागों में दर्द होता है, जैसे की कंधे में, बायें हाथ में, बायीं ओर गरदन में, नीचे के जबड़े में, कोहनी में या कान के नीचे वाले हिस्से में।
कभी पेट में जलन, भारीपन लगना, उलटी होना, कमजोरी सी लगना, ये तमाम लक्षण हृदयरोगियों में देखे जाते हैं।
कभी कभार इस प्रकार का दर्द काम करते समय, चलते समय या भोजनोपरांत भी शुरु हो जाता है, पर शयन करते ही स्वस्थता आ जाती है। किंतु हृदयरोग के आक्रमण पर आराम करने से भी लाभ नहीं होता।
मधुमेह के रोगियों को बिना दर्द हुए भी हृदयरोग का आक्रमण हो सकता है।
हृदयरोग या हृदयरोग के आक्रमण के समय उपरोक्त लक्षणों से सावधान होकर, ईश्वरचिंतन या जप का अभ्यास शुरु करना चाहिए।
हृदयरोग के उपायः
नीचे दी गयी पद्धति के द्वारा हृदय की धमनियों के बीच के अवरोधों को दूर किया जा सकता है।
– हर रोज ध्यान में एक घंटा बैठना, श्वासोछ्वास की कसरतें अर्थात् प्राणायाम, आसन करना, हर रोज आधा घंटा घूमने जाना तथा चरबी न बढ़ाने वाला सात्त्विक आहार लेना अत्यंत लाभकारी है।
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🚩‼️आज का वेद मन्त्र‼️🚩
🌷ओ३म् नम: कपर्दिने च व्युप्तकेशाय च नम: सहस्राक्षाय च शतधन्वने च नमो गिरिशयाय च शिपिविष्टाय च नमो मीढुष्टमाय चेषुमते च॥ यजुर्वेद १६-२९॥
💐हमें उन सन्यासियों का आदर करना चाहिए जो हमें जीवन का सही रास्ता दिखाते हैं। हमें अपनी श्रद्धा उन विद्वानों में रखनी चाहिए जो हजारों विषयों के ज्ञाता हैं और हमें ज्ञान देते हैं। हमें उन प्रशिक्षकों का सत्कार करना चाहिए जो अस्त्र शस्त्र का प्रशिक्षण देते हैं। हमें उस किसान का सत्कार करना चाहिए जो हम सबके लिए अन्न उगाता है।
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