
महराजगंज,श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास पंडित धर्मपाल शास्त्री ने सृष्टि की उत्पति का वर्णन कथा परीक्षित रामजी गुप्ता सहित समस्त श्रोताओं को ज्ञान रूपी रसपान करा रहे हैं। इसमें बताया गया है कि 24 तत्वों से बना हुआ है अण्ड उसमें ब्रम्ह का समावेश हुआ और दोनों मिलकर ब्रह्माण्ड कहलाए। पांच ज्ञान इन्द्रियां, पांच कर्म इन्द्रियां, पंच अधिभूत, पंच महाभूत, चार अंत:करन चतुष्ठय। पंचमहाभूत: पृथ्वी, पवन, जल, अग्नि, आकाश। तुलसीदास जी बहुत ही सरल शब्दों मनुष्य शरीर के निर्माण पर में कह देते हैं, जो समझने में आसान है। छिति जल पावक गगन समीरा। पंच रचित यह अधम सरीरा। आगे की कथा वर्णन में ध्रुव चरित्र कहते हुए व्यास जी कहते हैं पांच वर्ष का बालक ध्रुव जब पिता की गोद बैठ जाता है तो सौतेली मां द्वारा गोद से उतार कर बाहर वन में जाकर भगवान की तपस्या करके वरदान मांगने को कहती है। ध्रुव जी की माता ने भी इसी बात का समर्थन करते हुए कहा कि जब तुम्हें ईश्वर की तपस्या आराधना करने को कहा गया है तो करना ही चाहिए, क्योंकि माता ही प्रथम गुरु है और ध्रुव जी वन में जाकर भगवान को अपने आराधना से प्रसन्न किया।यहां तक कि ध्रुव की तपस्या से प्रकृति की गति को रुक गई थी।इस कथा को सुनकर श्रोता भाव विभोर हो गए।प्रति दिन श्रोताओं की काफी भीड़ लगी रहती है।
रिपोर्टर कैलाश सिंह महराजगंज